आपका अखबार ब्यूरो ।
देश में रोज कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों ने केंद्र और राज्य सरकारों को चिंता में डाल दिया है। 2 अप्रैल को देश में 89,000 से ज्यादा लोग कोरोना पॉजीटिव पाए गए हैं। केवल महाराष्ट्र में ही 47,913 लोग शुक्रवार को कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अप्रैल के मध्य तक कोरोना के मामले चरम पर होंगे। यानी यह संख्या एक लाख को पार कर सकती है। 16 सितंबर को कोरोना के 97,860 मामले आए थे, जो अभी तक एक दिन में सर्वाधिक है। लेकिन जिस रफ्तार कोरोना के मामलों में रोजाना वृद्धि हो रही है, उसे देखते हुए 16 सितंबर वाली संख्या जल्दी ही पार होने की आशंका है।
लापरवाही से बढ़ रहे मामले
संक्रमण दर फिलहाल 9 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है। यानी अगर 100 लोगों की जांच होती है, तो उसमें करीब 9 लोग संक्रमित पाए जाते हैं। महाराष्ट्र में तो संक्रमण दर 25 प्रतिशत से भी ज्यादा है। अकेले महाराष्ट्र में जितने मामले आ रहे हैं, वह दो देशों को छोड़कर बाकी सारे देशों से ज्यादा हैं। केवल ब्राजील और अमेरिका में ही महाराष्ट्र से ज्यादा मामले देखने के मिल रहे हैं। देश में जहां कोरोना संक्रमितों की संख्या में वृद्धि हो रही है, वहीं संक्रमितों के ठीक होने की दर भी घट गई है, जिससे सक्रिय मामलों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। 2 अप्रैल तक देश में सक्रिय मामलों की संख्या 6,55,047 है। अब तक कुल 1,23,91,133 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसमें से 1,15,67,023 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1,64,141 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। सक्रिय मामले तेजी से बढ़ने के कारण अस्पतालों में बेड कम पड़ने की आशंका हो गई है। वैसे राहत की बात है कि पहली लहर के मुकाबले इस दूसरी लहर में मृत्यु दर कम है।
डॉक्टरों का कहना है कि लोगों की लापरवाही की वजह से कोरोना दोबारा विकराल रूप धारण कर रहा है। लोग मास्क का प्रयोग नहीं कर रहे हैं, जो चिंताजनक है। बाहर निकलने पर सोशल डिस्टेसिंग का पूरी तरह पालन कर पाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन मास्क का प्रयोग तो करना ही चाहिए। अभी मास्क और वैक्सीन ही कोरोना से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। इसलिए घर से बाहर मास्क का प्रयोग जरूर करें। जहां तक वैक्सीन के असरदार होने की बात है, तो भारतीय वैक्सीन के 70 से 80 फीसदी तक कारगर होने का दावा किया जा रहा है। वहीं कोविड वैक्सीन निर्माता कंपनियों का यह भी दावा है कि कोरोना से होने वाली मौतों को रोकने में वैक्सीन 100 प्रतिशत प्रभावी है।
देश के कई भागों में बढ़ी सख्ती
महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, दिल्ली, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, सहित देश के कई राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर तेजी से बढ़ रही है। महाराष्ट्र के पुणे में हालात इतने खराब हैं कि वहां एक हफ्ते के लिए 12 घंटों का कर्फ्यू लगा दिया गया है। आज शाम से एक सप्ताह के लिए हर रोज शाम छह बजे से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू रहेगा। मॉल और सिनेमा हॉल, रेस्टोरेंट, खाने-पीने की दुकानें आदि बंद रहेंगे। सिर्फ होम डिलीवरी की सुविधा मिलेगी। स्कूल-कॉलेजों को 30 अप्रैल तक के लिए बंद कर दिया गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि यही हालात रहे, तो राज्य में लॉकडाउन लगाया जा सकता है। उद्धव ठाकरे के बयान के बाद महाराष्ट्र में लॉकडाउन की आशंकाएं बढ़ गई हैं।
पुणे नगर निगम ने एक बड़ा फैसला लेते हुए निर्देश जारी किया है कि कोरोना से हुई मौतों में मृतक के शव को खुद परिवार वालों की ही संभालना होगा। इस नई व्यवस्था में वार्ड अधिकारियों द्वारा परिजनों को बॉडी बैग और चार पीपीई किट उपलब्ध कराए जाएंगे। संबंधियों को ही किट पहनकर शव को बॉडी बैग में डालना होगा और शव ढोने वाली गाड़ी में रखना होगा। वहीं छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला प्रशासन ने 6 से 14 अप्रैल तक पूर्ण लॉकडाउन लगाने की घोषणा की है। मध्यप्रदेश सरकार ने भी चार जिलों- खरगौन, बेतुल, छिंदवाड़ा और रतलाम में आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। इनके अलावा भी देश के कई स्थानों पर सख्तियां बढ़ा दी गई हैं। हालांकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने देश की राजधानी में लॉकडाउन की बात से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना को रोकने के लिए लॉकडाउन की जरूरत नहीं है। इसके खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन और सावधानी की जरूरत है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कोरोना की इस स्थिति के बीच अनलॉक व्यवस्था की समीक्षा की। उन्होंने लखनऊ सहित सात जिलों में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं और नागरिकों को आश्वस्त किया है कि कोविड-19 के संक्रमण को नियंत्रित रखने तथा इसके उपचार के लिए प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध हैं।
100 में से 5 लोग दोबारा संक्रमित
हिन्दुस्तान टाइम्स ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक अध्ययन का हवाला देते हुए यह खबर प्रकाशित की है कि भारत में कोरोना से दोबारा संक्रमित होने वालों का प्रतिशत 4.5 पहुंच गया है। वहीं अगर पूरी दुनिया की बात करें, तो यह एक प्रतिशत ही है। अखबार ने यह भी लिखा है कि हालांकि इस अध्ययन में पहले और दूसरे संक्रमण के जीनोम का विश्लेषण नहीं किया गया है, जो री-इन्फेक्शन के मामले को साबित करने का एकमात्र निश्चित तरीका है।