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देश का सबसे महंगा साहित्यिक पुरस्कार बंद कर दिया गया है। प्रतिवर्ष दिए जाने वाले जेसीबी साहित्य पुरस्कार की पुरस्कार राशि 25 लाख रुपये थी। जेसीबी पुरस्कार की साहित्य निदेशक मीता कपूर ने इस बात की पुष्टि की कि यह पुरस्कार बंद कर दिया जाएगा। यह पुरस्कार पिछली बार लेखक उपमन्यु चटर्जी को ‘लोरेंजो सर्चेस फॉर द मीनिंग ऑफ लाइफ’ के लिए दिया गया था। हालांकि उन्होंने इस निर्णय के पीछे की घटनाओं के बारे में विस्तार से बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “पुरस्कार बंद कर दिया गया है। मैं किसी ऐसी बात से इनकार नहीं करूंगी जो स्पष्ट है। लेकिन बाकी सब चीजों के लिए ‘कोई टिप्पणी नहीं’।”
यह खबर जेसीबी लिटरेचर फाउंडेशन के लाइसेंस को रद्द करने के बाद आई है। कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8(5) के तहत उसे जारी किया गया था। जेसीबी प्राइज वेबसाइट पर 12 मार्च को जारी एक नोटिस के अनुसार, फाउंडेशन ने लाइसेंस रद्द करने के लिए दिल्ली और हरियाणा के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को आवेदन भेजा था। नोटिस में कहा गया है, “कंपनी को अपने नाम में ‘फाउंडेशन’ की जगह ‘प्राइवेट लिमिटेड’ शब्द जोड़ना होगा।” यह साहित्यिक पुरस्कार ‘फाउंडेशन’ द्वारा दिया जाता है, जिसकी स्थापना “भारत में साहित्य की कला” को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।
2018 में स्थापित, साहित्य के लिए जेसीबी पुरस्कार, एक भारी नकद पुरस्कार के अलावा, भारतीय कथा साहित्य, विशेष रूप से अनुवादों को पुरस्कृत करने में अग्रणी रहा है। सात संस्करणों में से, पुरस्कार पाँच बार अनुवादित कार्यों के लिए दिया गया-2018 में बेन्यामिन द्वारा ‘जैस्मीन डेज़’, जिसका अनुवाद शहनाज़ हबीब ने मलयालम से किया; 2020 में एस हरीश द्वारा ‘मूँछ’, जिसका अनुवाद जयश्री कलाथिल ने मलयालम से किया; 2021 में एम मुकुंदन द्वारा ‘दिल्ली: ए सोलिलोक्यू’, जिसका अनुवाद फातिमा ईवी और नंदकुमार के ने मलयालम से किया; 2022 में खालिद जावेद द्वारा ‘द पैराडाइज़ ऑफ़ फ़ूड’, जिसका अनुवाद बर्मन फ़ारूकी ने उर्दू से किया और 2024 में पेरुमल मुरुगन द्वारा ‘फ़ायर बर्ड’, जिसका अनुवाद जननी कन्नन ने तमिल से किया। 2019 का पुरस्कार माधुरी विजय द्वारा ‘द फ़ॉर फ़ील्ड’ को दिया गया।