आपका अख़बार ब्यूरो ।
एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एम.सी. मिश्र का कहना है कि वैक्सीन की प्रभावकारिता भले ही 100 प्रतिशत नहीं है, लोकिन यह कोरोना से लड़ने में मदद करेगी। इसे लगवाने में कोई खतरा नहीं है। हां, कुछ विशेष मेडिकल कंडीशन में वैक्सीन लगवाने से परहेज करना चाहिए।
कोरोना की दूसरी लहर ने केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ विशेषज्ञों की पेशानी पर भी बल ला दिया है। कई राज्यों ने, जहां स्कूल और कॉलेज खुल चुके थे, फिर से उन्हें बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। देश के कई स्थानों पर सख्ती बढ़ा दी गई है। कई जगहों पर तो शाम से सुबह तक 12 घंटे का कर्फ्यू और कई स्थानों पर आंशिक लॉकडाउन कर दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि दूसरी लहर के तेजी से बढ़ने के पीछे लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाही का भी बड़ा योगदान है।
…तो लोगों ने सोचा कि कोरोना देश से चला गया
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक डॉ. एम.सी. मिश्र का कहना है कि जब कोरोना के मामले रोजाना 10,000 से कम आने लगे, तो लोगों ने सोचा कि कोरोना देश से चला गया है। वे लापरवाही बरतने लगे। ज्यादातर लोगों ने मास्क लगाना छोड़ दिया, सैनिटाइजर के उपयोग और साफ-सफाई को लेकर कोताही करने लगे। शॉपिंग में भी ऐसे भीड़ हो रही है, जैसे सब कुछ नॉर्मल है। पिछले साल वे जितने सतर्क थे, उसमें कमी आ गई, इसलिए कोरोना फिर से तेजी से फैलने लगा। पिछले कुछ दिनों में संक्रमण दर तेजी से बढ़ रही है। मार्च के शुरू में यह जहां दो से तीन प्रतिशत के बीच थी, वहीं अप्रैल के शुरू में नौ प्रतिशत के करीब पहुंच गई है। डॉ. मिश्र का यह भी कहना है कि वैक्सीन आने से भी लोगों को यह लगने लगा था कि अब डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है, जबकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार कह रहे थे कि दवाई है, तो भी ढिलाई नहीं।
युवा ‘सुपर स्प्रेडर’ की भूमिका में
डॉ. मिश्र यह भी कहते हैं कि युवा इसमें ‘सुपर स्प्रेडर’ की भूमिका निभा रहे हैं। पहले स्कूल-कॉलेज खुल गए थे। मनोरंजन और घूमना-फिरना भी हो रहा था, लोग काम पर भी जा रहे थे। तो युवाओं को संक्रमण तो हो रहा है, हां बीमारी से कोई समस्या नहीं हो रही है, लेकिन उनसे दूसरों को संक्रमण हो रहा है। इस संदर्भ में वे आईआईएम अहमदाबाद का उदाहरण देते हैं, जहां पांच छात्र कोरोना पॉजीटिव थे। उन्होंने सबसे इस बात को छिपाया और कैंपस में सामान्य रूप से गतिविधियां करते रहे। कोई विशेष एहतियात नहीं बरता। सबसे मिलते रहे, परीक्षा देते रहे, साथियों से मिलते रहे, टीचर से भी मिलते रहे। तो आईआईएम अहमदाबाद में कोविड तेजी से फैला।
वैक्सीन की वजह से किसी की मौत नहीं
क्या नोवेल कोरोना वायरस से सब संक्रमित होंगे? इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं, नहीं, इसकी आशंका नहीं लगती। क्या वैक्सीन लगने के बाद भी संक्रमण हो सकता है? इस पर वह कहते हैं कि वैक्सीन लगने के बाद कोरोना होने का चांस कम होगा, लेकिन कोई भी वैक्सीन 100 प्रतिशत असरदार नहीं होती। फिर भी वैक्सीन उनमें बीमारी की गंभीरता को कम करने में मदद करेगी। वह कहते हैं कि वैक्सीन लेने में कोई खतरा नहीं। वैक्सीन की वजह से सीधे किसी की मौत का मामला अभी सामने नहीं आया है। कुछ लोगों को मामूली साइड इफेक्ट हो सकता है, जो किसी भी वैक्सीन में होते हैं, जैसे बुखार आदि। यह इस बात को भी दिखाता है कि वैक्सीन अपना काम कर रही है। लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।
उन लोगों को वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए
हां, जिन लोगों को कुछ ही समय पहले इन्फेक्शन हुआ है, इन्फेक्शन हुए चार से छह हफ्ते नहीं गुजरे हैं, तो उन्हे वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए। जो लोग केमाथेरेपी ले रहे हैं, वे उसके थोड़े समय बाद डॉक्टर की सलाह से वैक्सीन लगवाएं। रुमेटाइड आर्थ्राइटिस वाले लोग डॉक्टर की सलाह के बाद वैक्सीन लगवाएं। जो लोग एस्टेरॉयड्स पर हैं, तो उसकी डोज थोड़ी कम कर लें और फिर वैक्सीन लगवा लें। जब आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो तो उस समय वैक्सीन न लगवाएं। अगर आपको किसी दवाई से एलर्जी की स्ट्रॉन्ग हिस्ट्री है, तो वैक्सीन से परहेज करें। इसके अलावा वैक्सीन सुरक्षित है।
मास्क जरूर लगाएं
डॉ. मिश्र कहते हैं कि मास्क वायरस से सुरक्षा करने में बहुत मददगार होता है, इसलिए मास्क जरूर लगाएं। मास्क के बहुत फायदे हैं, यह प्रदूषण से भी बचाता है। जापान में कई जगहों पर लोग सामान्य परिस्थितियों में भी मास्क लगाते हैं।
एम्स के डायरेक्टर हैरत में, कोरोना इतना विकराल और लोग मास्क पहनना नहीं चाहते