आपका अखबार ब्यूरो।
छत्तीसगढ़ में सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर 22 जवानों की शहादत ने दो साल पहले फरवरी में हुए पुलवामा हमले की याद दिला दी है l शनिवार, 3 अप्रैल को नक्सलियों द्वारा किए गए हमले में 22 जवान शहीद हो गए और 31 जवान घायल हुए हैं। नक्सलियों ने ‘यू शेप’ में घात लगा कर सुरक्षा बल के जवानों पर ग्रेनेड लॉन्चर से हमला किया था। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक पी. सुंदरराज ने बताया है कि इस मुठभेड़ के बाद कोबरा 210 बटालियन के एक जवान राकेश्वर सिंह मनहास अभी भी लापता है। नक्सलियों के इस जघन्य कृत्य से पूरा देश दुखी और आक्रोशित है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी।
भाजपा विधायक की हत्या में भी शामिल था
खबरों के अनुसार, सुरक्षा बल के जवानों पर हमले का मास्टरमाइंड कुख्यात नक्सली हिडमा है। शनिवार को सुरक्षाबलों पर घातक हमले को नक्सलियों ने उसकी अगुवाई में ही अंजाम दिया है। करीब 40 साल की उम्र के हिडमा पर पुलिस ने चालीस लाख रुपए का इनाम रखा है। भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या में भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईएन) ने हिडमा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। भीमा मंडावी छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से विधायक थे, जिनकी हत्या 9 अप्रैल, 2019 को नक्सलियों ने कर दी थी। इस हमले में उनके ड्राइवर और तीन सुरक्षाकर्मी भी मारे गए थे। नकुलनार के श्यामगिरी गांव के पास आईईडी लगाकर नक्सलियों ने उनके काफिले को विस्फोट से उड़ा दिया था।
गुरिल्ला हमलों का माहिर
सुकमा जिले के पुवर्ती गांव का निवासी हिडमा बहुत कम उम्र में ही 1990 के दशक में नक्सली बन गया था। शनिवार को जो घातक हमला सुरक्षाबल के जवानों पर हुआ है, हिडमा को इस तरह के गुरिल्ला हमलों को अंजाम देने में माहिर माना जाता है। वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की बटालियन एक का कमांडर है, जिसमें करीब दो से ढाई सौ नक्सली शामिल हैं। इस बटालियन में महिलाएं भी शामिल हैं। हिडमा इतना शातिर है कि पुलिस के पास उसकी कोई हालिया फोटो भी नहीं है। पिछले पिछले साल भी 21 मार्च को सुकमा जिले में नक्सलियों के इसी तरह के हमले में 17 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के पीछे भी हिडमा का ही हाथ था। यह हमला भी ‘वी-शेप’ घात लगाकर किया गया था।
घात लगाकर बैठे थे नक्सली
सुरक्षाबलों को यह इनपुट मिला था कि वॉन्टेड नक्सली हिडमा छत्तीसगढ़ के जंगलों में छिपा है। उसकी तलाश में सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन शुरू किया था। पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की बटालियन एक के नक्सली वहां पहले से ही घात लगाकर बैठे थे। सुरक्षाबल के जवानों के पहुंचते ही उन्होंने हमला कर दिया। करीब तीन घंटे तक लगातार जमकर गोलीबारी हुई, जिसमें 22 जवान शहीद हो गए।
नक्सलियों को भी हुआ नुकसान
गृह मंत्रालय और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सुत्रों के अनुसार, इस मुठभेड़ में नक्सलियों को भी भारी क्षति हुई है। एक दर्जन से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं। सर्विलांस ड्रोन से मिली तस्वीरों और वीडियो के आधार पर पता चला है कि इस मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की लाशों को उनके साथी ट्रॉली-ट्रक में लेकर भागे हैं। एक वरिष्ठ सीआरपीएफ अधिकारी के अनुसार, ‘हमारा अनुमान है कि हमले में 12 से 20 नक्सली मारे गए हैं। ऐसा न होता तो वे दो ट्रैक्टर ट्रॉली न मंगवाते।’
उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षाबल अब अपने तरीके से इस हमले का जवाब देंगे।
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