आपका अख़बार  ब्यूरो।  
वो जानते हैं कि कितना भी कुछ कर लें दुनिया उनको गंभीरता से नहीं लेती। वो जितना बड़ा करने की ठानते हैं उतना ही अधिक हंसी के पात्र बन जाते हैं। पर दिल है कि मानता नहीं। उन्हें यशस्वी अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में इतिहास में दर्ज होना है- और इस बात को वह समय समय पर सार्वजानिक रूप से व्यक्त करते रहे हैं।  

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की निगाहें नोबेल शांति-सम्मान पर ही नहीं अमेरिका के माउंट रशमोर स्मारक पर भी हैं। दुनिया में राष्ट्रीय नेताओं की याद में बना यह अनोखा स्मारक है। इस पहाड़ को माउंट रशमोर कहते हैं। इस पर अमेरिका के चार पूर्व राष्ट्रपतियों जॉर्ज वॉशिंगटन, टॉमस जैफ़रसन, थियोडोर रूज़वेल्ट और अब्राहम लिंकन के चेहरे बनाए गए हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने माउंट रशमोर के प्रति अपने लगाव तथा वहाँ के रॉक-स्टारों में शामिल होने की अपनी इच्छा को कभी छिपाया नहीं है।

अपने पहले कार्यकाल के दौरान, ट्रंप ने क्रिस्टी नोएम से कहा था-जो उस समय साउथ डकोटा से अमेरिकी प्रतिनिधि थीं, और अब ट्रंप की होमलैंड सिक्योरिटी सचिव हैं-कि उनका ‘सपना’ माउंट रशमोर पर जाना है। बाद में उन्होंने ट्रंप को माउंट रशमोर का एक मॉडल दिया, जिस पर उनका चेहरा बना हुआ था।

ट्रंप के फिर चुने जाने के बाद से यह विचार फिर से सामने आया है। फ्लोरिडा की एक महिला सांसद ने जनवरी में एक विधेयक प्रायोजित किया था, जिसमें ‘आंतरिक सचिव को माउंट रशमोर राष्ट्रीय स्मारक पर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की आकृति उकेरने की व्यवस्था करने का निर्देश देने का निर्देश दिया गया था।’ इसे प्राकृतिक संसाधनों पर सदन की समिति को भेजा गया था, जिसने अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की है।

मार्च में, आंतरिक सचिव डग बर्गम ने ट्रंप की पुत्रवधू लारा ट्रंप के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि माउंट रशमोर पर ट्रंप के चेहरे के लिए ‘हमारे पास निश्चित रूप से जगह है।’ वहीं माउंट रशमोर नेशनल मेमोरियल की देखरेख करने वाली नेशनल पार्क सर्विस ने, जिसका नेतृत्व वर्तमान में बर्गम कर रहे हैं, और चेहरे नहीं जोड़े जा सकने के दो कारण बताए हैं। सबसे पहले, यह माउंट रशमोर को कला का एक पूर्ण कार्य मानता है। दूसरे, वहाँ कोई जगह नहीं है। पार्क सेवा ने एक बयान में कहा, माउंट रशमोर के नक्काशीदार हिस्से का पूरी तरह से मूल्यांकन किया गया है, और अतिरिक्त नक्काशी के लिए कोई व्यवहार्य स्थान नहीं बचा है। बहरहाल देखना है कि ट्रंप क्या यह काम भी करवाकर मानेंगे।