आपका अखबार ब्यूरो।

भारत सरकार ने 16 जून 2025 को राजपत्र अधिसूचना जारी कर आगामी जनगणना 2027 की औपचारिक तैयारियों का श्रीगणेश कर दिया है। यह केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया भर नहीं, बल्कि देश की सामाजिक, आर्थिक और जनसंख्या संबंधी संरचना का एक अद्यतन प्रतिबिंब प्रस्तुत करने वाली राष्ट्रीय परियोजना है।
इस अधिसूचना के साथ सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह नागरिकों की जनगणना कराने के लिए प्रतिबद्ध है और एक समावेशी, सटीक एवं आधुनिकतम तकनीकों पर आधारित जनगणना की योजना पर काम शुरू हो चुका है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 3 और 4 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें देश भर के जनगणना संचालन निदेशकों, विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के जनगणना निदेशालयों के वरिष्ठ अधिकारी तथा भारत के महापंजीयक एवंकई महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर जोर दिया गया जैसे: प्रशासनिक इकाइयों की संरचना को अंतिम रूप देना, ताकि जनगणना के दौरान सटीक क्षेत्रीय डेटा प्राप्त हो सके।

मोबाइल ऐप के माध्यम से डिजिटल डेटा संग्रहण को प्राथमिकता दी गई है, जिससे जनगणना प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, समयबद्ध और लागत-कुशल (कॉस्ट इफेक्टिव) बनेगी।
सेंसस मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम (CMMS) पोर्टल के उपयोग द्वारा सभी गतिविधियों की रियल टाइम निगरानी सुनिश्चित करने की योजना है।

स्व-गणना (Self Enumeration) जैसे डिजिटल नवाचार को अपनाकर नागरिकों को स्वयं अपनी जानकारी दर्ज करने का विकल्प भी प्रस्तावित किया गया है, जिससे प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी बढ़ेगी और डेटा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

जनगणना कर्मियों के लिए व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जा रही है, जिससे वे तकनीकी उपकरणों का प्रभावी उपयोग कर सकें।

गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में इस बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इस जनगणना को आधुनिक तकनीकी संसाधनों से सुसज्जित कर देश के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचने का संकल्प लिया है।

जनगणना केवल आंकड़ों का संकलन नहीं, बल्कि नीति निर्माण, संसाधन वितरण और राष्ट्रीय योजनाओं की नींव है। 2027 की जनगणना इस दृष्टि से ऐतिहासिक होने वाली है, क्योंकि यह पहली बार पूर्णतः डिजिटल और सहभागी स्वरूप में आयोजित की जाएगी। इसमें नागरिकों की सक्रिय भागीदारी, तकनीकी नवाचार और प्रशासनिक दक्षता का संगम देखने को मिलेगा।

भारत जैसे विविधता से भरे देश में, जहां भाषा, जाति, धर्म, ग्रामीण-शहरी विभाजन, आयु संरचना और लिंग अनुपात जैसे अनेक आयाम हैं, वहां जनगणना का प्रत्येक आंकड़ा राष्ट्रीय योजना और लोकतांत्रिक निर्णयों के लिए अमूल्य होता है।

जनगणना 2027 न केवल भारत के वर्तमान का दस्तावेज बनेगी, बल्कि भावी विकास का पथ भी प्रशस्त करेगी। उल्लेखनीय है कि 2011 के बाद 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से यह छह साल बाद 2027 में हो रही है।