आपका अखबार ब्यूरो ।
कुख्यात माफिया सरगना मुख्तार अंसारी को पंजाब से उत्तर प्रदेश की जेल में शिफ्ट करने के घटनाक्रम में एक और शख्स काफी चर्चा में हैं। वह हैं उत्तर प्रदेश के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह। सन् 2004 में सेना के एक भगोड़े बाबूलाल यादव से लाइट मशीनगन (एलएमजी) खरीदने के आरोप में मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने वाले शैलेंद्र को उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सरकार ने इतना प्रताड़ित किया कि उस ईमानदार पुलिस अधिकारी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। मुलायम सिंह यादव का मन इतने से भी नहीं भरा, तो शैलेंद्र को झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दिया गया। हद तो तब हो गई जब पुलिस शैलेंद्र का शर्ट फाड़कर उन्हें घसीटते हुए जेल लेकर गई और दूसरी ओर, मुख्तार अंसारी तत्कालीन सरकार के संरक्षण में और भी फलता-फूलता गया। शैलेंद्र सिंह का कहना है कि मुलायम सरकार उनसे इस कदर खफा थी कि उनकी हत्या तक कराना चाहती थी।
कोई किराए पर मकान देने को तैयार नहीं था
मुख्तार से जान का खतरा होते हुए भी शैलेंद्र से सुरक्षा वापस ले ली गई थी। उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए आर्म्स का लाइसेंस तक नहीं दिया गया था। सरकार के दबाव की वजह से उन्हें कोई अपना घर किराये पर देने को तैयार नहीं था। उन्हें अपने एक रिश्तेदार के अधबने घर में रहना पड़ा। सरकार और मुख्तार के डर से उन्हें कोई प्राइवेट कंपनी नौकरी देने को राजी नहीं थी। शैलेंद्र ने सारे कष्ट सहे, लेकिन झुके नहीं। कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शैलेंद्र पर लादे गए झूठे मुकदमे को वापस ले लिया है।
मुलायम चाहते थे मुख्तार लपेटे में न आए
सेना के भगोड़े बाबूलाल से जब शैलेंद्र ने एलएमजी बरामद की थी, तो सरकार चाहती थी कि मुकदमा ‘आर्म्स एक्ट’ के तहत दर्ज किया जाए, ताकि मुख्तार अंसारी लपेटे में न आए, लेकिन शैलेंद्र ने कानून के मुताबिक ‘पोटा’ लगाया। शैलेंद्र के अनुसार, ‘आर्म्स एक्ट’ के तहत, जिसके पास से हथियार बरामद होता है, वही आरोपी होता है, लेकिन ‘पोटा’ में आरोपी से बात करने वाले भी आरोपी माने जाते हैं। ‘पोटा’ के कारण मुख्तार भी लपेटे में आ रहा था, लिहाजा मुलायम सिंह बहुत नाराज हो गए। शैलेंद्र पर पोटा हटाने का दबाव बनाया गया, लेकिन वह नहीं माने। फिर उन पर दबाव डाला गया कि वह जांच अधिकारी के सामने मुख्तार का नाम न लें। वह इसके लिए भी तैयार नहीं हुए। फिर उनकी टीम पर दबाव डाला गया कि वह शैलेंद्र का साथ न दे और जांच में उनके उलट बयान दे, लेकिन शैलेंद्र की टीम ने ऐसा नहीं किया।
प्रताड़ना का अंतहीन सिलसिला
उसके बाद शुरू हुआ शैलेंद्र को प्रताड़ित करने का सिलसिला। शैलेंद्र और उनकी टीम का तत्काल तबादला करके बनारस से लखनऊ बुला लिया गया। शैलेंद्र के वरिष्ठ अधिकारी भी उनका साथ देने की बजाय सरकार के इशारों पर नाचते रहे। तंग आकर शैलेंद्र ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया। अपने इस्तीफे में उन्होंने लोकतंत्र के अपराधीकरण की बात लिखी थी, इसलिए सरकार ने पहली बार उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। शैलेंद्र इतने तंग आ गए थे कि फिर उन्होंने इस बात को हटाकर दोबारा इस्तीफा भेजा, तब जाकर इस्तीफा स्वीकार हुआ।
तुम्हारा गनर ही क्रॉस फायरिंग में तुम को मार डालता
इस संदर्भ में वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ से बातचीत में शैलेंद्र सिंह ने बताया कि मुख्तार पर ‘पोटा’ लगाने की वजह से तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह उनसे इतने खफा थे कि उनका नाम नहीं सुनना चाहते थे। मुलायम सिंह ने तब विधानसभा में कहा था कि एक अदना-सा अधिकारी बताएगा कि हमें प्रशासन कैसे चलाना चाहिए! शैलेंद्र इस बारे में चौंकाने वाला खुलासा भी करते हैं। बकौल शैलेंद्र, ‘मेरे सूत्रों ने बताया था… एक बड़े अधिकारी कह लीजिए… मुझे रात में बुलाया रिजिग्नेशन के बाद, कहा- शैलेंद्र तुमने रिजाइन करके लीड ले ली। मैंने कहा, सर मैं समझा नहीं। उन्होंने कहा- ऊपर वाले ने तुम्हारी जान बचा ली। मैंने कहा, सर मैं फिर भी समझा नहीं, आप कहना क्या चाह रहे हैं? तो उन्होंने कहा कि इन लोगों ने प्लानिंग की थी कि तुम्हारा रिजिग्नेशन स्वीकार नहीं करेंगे… इसीलिए मुझे दो-दो रिजिग्नेशन भेजने पड़े। पहला कंडीशनल कहके स्वीकार नहीं कर रहे थे… इनकी प्लानिंग थी कि तुम्हें ज्वाइन कराके तुम्हारा दोबारा कहीं ऐसी जगह बॉर्डर पुलिस में ट्रांसफर करेंगे कि जहां तुम्हारा गनर ही क्रॉस फायरिंग में तुमको मारेगा, जो उनका आदमी होगा।’
आतंक का खौफ पैदा करने वाला आज खुद डरा-सहमा
समय का एक चक्र पूरा हुआ। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या सहित दर्जनों बेहद गंभीर अपराधों को अंजाम देने वाला मुख्तार आज उत्तर प्रदेश की जेल में बंद है और उसके परिवार वाले विलाप करते हुए गुहार लगा रहे हैं कि उसकी जान को खतरा है। अपने आतंक से लोगों में खौफ पैदा करने वाला मुख्तार आज बुरी तरह डरा-सहमा हुआ है और शैलेंद्र जैसे लोग अपनी चारित्रिक दृढ़ता और ईमानदारी के कारण जनता के नायक बन गए हैं। कष्ट और संघर्ष उन्हें डरा नहीं सके, डिगा नहीं सके। ऐसे लोग ही देश और समाज के लिए उम्मीद की रोशनी हैं।