आपका अखबार ब्यूरो।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पुणे की जिला अदालत में खुद की जान को गंभीर खतरा होने का दावा किया है। यह बयान उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के अपमान से जुड़े मानहानि मामले की सुनवाई के दौरान दिया। मामला पुणे निवासी सत्याकी सावरकर द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राहुल गांधी ने वीर सावरकर के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी।
गुरुवार को पुणे की विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट में सुनवाई के दौरान, राहुल गांधी के वकीलों ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल को हाल ही में कई धमकियां मिली हैं और मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में उनका खतरा और बढ़ गया है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि सुरक्षा और निष्पक्ष सुनवाई से संबंधित गंभीर आशंकाओं पर न्यायिक संज्ञान लिया जाए।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता पर लगाए गंभीर आरोप
राहुल गांधी की ओर से पेश वकील मिलिंद पवार ने अदालत में एक न्यायिक अर्ज़ी दाखिल की, जिसमें दो सार्वजनिक धमकियों का उल्लेख किया गया। पहली धमकी केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू से जुड़ी है, जिन्होंने राहुल गांधी को ‘देश का नंबर वन आतंकवादी’ कहा था। दूसरी धमकी भाजपा नेता तरविंदर सिंह मारवाह के बयान से संबंधित है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने राहुल गांधी को सीधे जान से मारने की धमकी दी।
वकीलों ने तर्क दिया कि कुछ सांसद पहले ही धमकी दे चुके हैं और दिल्ली की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए खतरा और गंभीर हो गया है। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में अदालत को सुनवाई के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और निष्पक्ष माहौल बनाए रखना चाहिए।
राहुल गांधी की तरफ से यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ता की पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हुए सुरक्षा संबंधी खतरा और बढ़ जाता है। साथ ही, मौजूदा राजनीतिक तनाव और हालिया घटनाओं ने आशंका को और गंभीर बना दिया है। राहुल गांधी का कहना है कि यह सिर्फ व्यक्तिगत सुरक्षा का मामला नहीं है, बल्कि निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली परिस्थिति भी है।
अदालत की प्रतिक्रिया
अदालत ने राहुल गांधी की अर्ज़ी को रिकॉर्ड में ले लिया है और इस पर अगली सुनवाई 10 सितंबर को निर्धारित की है। उस सुनवाई में यह तय होगा कि आगे की कार्यवाही के दौरान राहुल गांधी की सुरक्षा व्यवस्था और उनकी आशंकाओं को लेकर क्या कदम उठाए जाएं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए कहा है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, किसी भी नेता की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि राहुल गांधी की सुरक्षा में कोई ढिलाई देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरनाक होगी।
वहीं, भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी के दावों को ‘राजनीतिक नाटक’ करार दिया। उनका कहना है कि यह केवल सहानुभूति बटोरने और राजनीतिक माहौल बनाने की कोशिश है। भाजपा ने यह भी कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ जो मुकदमा चल रहा है, उसमें कानून के अनुसार कार्रवाई होगी।
यह मामला उस समय शुरू हुआ था, जब राहुल गांधी ने एक भाषण में वीर सावरकर को लेकर टिप्पणी की थी, जिसे शिकायतकर्ता ने अपमानजनक और मानहानि वाला बताया। इसे लेकर पुणे की अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था। इससे पहले मई 2024 में एक अन्य आदेश के तहत यह मामला स्थानीय अदालत में स्थानांतरित किया गया था।
अब 10 सितंबर की सुनवाई पर सबकी नजर होगी, क्योंकि उस दिन यह स्पष्ट होगा कि अदालत राहुल गांधी की सुरक्षा संबंधी आशंकाओं को किस प्रकार संबोधित करती है और क्या इस मुकदमे की कार्यवाही में कोई बदलाव या विशेष प्रावधान जोड़े जाते हैं।