जब चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री को ही कर दिया चुनाव क्षेत्र से बाहर

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केंद्रीय चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनाव प्रचार करने से 24 घंटे के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। वैसे ये पहली बार नहीं है, जब चुनाव आयोग ने किसी मुख्यमंत्री या बड़े नेताओं पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले में कार्रवाई की है। आइए नजर डालते हैं ऐसी कुछ घटनाओं पर।

हिमंत विस्वसरमा पर 48 घंटे का प्रतिबंध

Himanta Biswa Sharma made enemies during CAA protests, but now he is Assam's Covid crisis hero

चुनाव आयोग ने 2021 में भाजपा नेता हिमंत विस्वसरमा को हगराम मोहिलरी पर उनके द्वारा की गई टिप्पणियों के कारण असम विधान सभा चुनावों में 48 घंटे के लिए प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया। हालांकि हिमंत विस्वसरमा के माफी मांगने के बाद इस प्रतिबंघ को घटाकर 24 घंटे का कर दिया।

दिल्ली चुनाव, 2020 में भाजपा नेताओं पर प्रतिबंध

EC bans Anurag Thakur for 72 hours from campaigning, Parvesh Verma for 96 hours | Elections News,The Indian Express

चुनाव आयोग ने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को 72 घंटे और भाजपा सांसद परवेश वर्मा को 96 घंटे के लिए प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया था। वहीं भाजपा उम्मीदवार कपिल मिश्रा को भी शाहीन बाग के बारे में विवादास्पद बयान देने के चलते प्रतिबंधित कर दिया था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रचार से रोका

Ban Yogi Adityanath from campaigning in Delhi: AAP to Election Commission | Elections News,The Indian Express

चुनाव आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार करने पर 72 घंटों के लिए रोक लगा दी थी। इसी चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को 48 घंटों के लिए चुनाव प्रचार करने से रोक दिया था। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री और सुल्तानपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी को 48 घंटे और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और रामपुर से सपा प्रत्याशी आजम खान को 72 घंटे के लिए चुनाव प्रचार करने से रोक दिया था।

मोदी पर बनी फिल्म की रिलीज को स्थगित किया

2019 को लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर बनी एक फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी थी। फिल्म लोकसभा चुनाव के बाद रिलीज हुई थी। इसमें विवेक ओबेरॉय ने नरेंद्र मोदी की भूमिका निभाई थी।

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2019 के लोकसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 72 घंटे के लिए चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित कर दिया था। प्रज्ञा ने मुंबई के पूर्व एटीएस प्रमुख स्वर्गीय हेमंत करकरे और बाबरी विध्वंस पर विवादित टिप्पणी की थी।

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चुनाव आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ कथित तौर पर खराब भाषा का इस्तेमाल करने पर 48 घंटे के लिए चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित कर दिया था।

बाबा रामदेव को योग शिविर लगाने से रोका

पतंजलि योग समिति नेपाल- योग शिक्षकों के लिए एडवांस योग प्रशिक्षण शिविर | Pranayama, Yoga practice, Yoga

2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव आयोग ने लखनऊ और हिमाचल प्रदेश में बाबा रामदेव के योग शिविरों को रद्द कर दिया था।

चुनाव आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा नेता अमित शाह और सपा नेता आजम खान के उत्तर प्रदेश में रैली करने, मीटिंग करने और रोड शो करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में इस प्रतिबंध को हटा लिया था।

प्रशासन को मायावती की मूर्तियां ढकनी पड़ी

Mayawati statues n elephants uncoverd in the Dalit Prerna Sthal in Noida. - YouTube

2012 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने सार्वजनिक पार्कों में लगी बसपा नेता व राज्य की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और हाथियों की मूर्तियों को ढकने का आदेश दिया था। ये मूर्तियां मायावती सरकार ने नोएडा और लखनऊ के पार्कों में बनवाई थीं।

मुख्यमंत्री चौटाला को वोट नहीं देने दिया

1999 में हरियाणा के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को मुख्य चुनाव आयुक्त जे.एम. लिंगदोह ने लोकसभा चुनाव के दौरान भिवानी लोकसभा चुनाव क्षेत्र छोड़ने के लिए कहा था। यहां तक कि उन्हें चुनाव में वोट देने की भी अनुमति नहीं दी थी। चौटाला ने इस प्रतिबंध के कारण 2004 के लोकसभा चुनावों और 2005 में भी मतदान मतदान नहीं किया।

बाल ठाकरे के चुनाव लड़ने पर रोक

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1999 में चुनाव आयोग ने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे को छह साल के लिए चुनाव लड़ने और वोट देने से प्रतिबंधित कर दिया था। ठाकरे पर यह प्रतिबंध 1987 के एक उपचुनाव के दौरान विवादास्पद भाषण देने के कारण लगाया गया था। यह प्रतिबंध 2001 में हटा लिया गया था।

मध्य प्रदेश के सतना में चुनाव आयोग द्वारा मतदान स्थगित किए जाने के बाद हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल गुलशेर अहमद को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। चुनाव आयोग ने इस आधार पर मतदान स्थगित कर दिया था कि गुलशेर अहमद ने अपने बेटे के लिए उस निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार किया था।

चुनाव आयोग द्वारा जांच कराए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के राज्यपाल मोतीलाल वोरा को अपने बेटे के निर्वाचन क्षेत्र दुर्ग (मध्य प्रदेश) में चुनाव प्रचार करने के आरोपों से बरी कर दिया गया था। वोरा इससे पहले भी चुनाव आयोग के निशाने पर आए थे, जब मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन ने उन्हें गढ़वाल के एक एसपी का स्थानांतरण रद्द करने पर मजबूर कर दिया था।

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ऐसी ही एक घटना में, राजस्थान के राज्यपाल बलिराम भगत को अपने गृह राज्य बिहार से ताल्लुक रखने वाले एक पुलिस अधिकारी को पुलिस महानिदेशक बनाने की कोशिशों को विराम देना पड़ा था, जब मुख्य चुनाव आयुक्त शेषन ने इस पर आपत्ति जताई थी और शेष मतदान प्रक्रिया को स्थगित करने की धमकी दी थी।

1996 में मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन ने प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हाराव को अपने मंत्रियों सीताराम केसरी और कल्पनाथ राय को हटाने को कहा था, क्योंकि वे दोनों कथित तौर पर अनुचित वादे कर मतदाताओं को प्रभावित कर रहे थे।

शेषन ने बिहार में चुनाव किया स्थगित

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1995 में टीएन शेषन ने बिहार विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम में चौथी बार फेरबदल किया था, जिससे नाराज होकर बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने शेषन पर राजनीति से प्रेरित होने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था, “यह साफ है कि शेषन ने यह फैसला कांग्रेस और भाजपा को खुश करने के लिए लिया है।” तब बिहार में 11 मार्च को पहले चरण में 88 सीटों पर मतदान के दौरान काफी हिंसा हुई थी। उस समय सामूहिक झड़पों तथा चरमपंथियों द्वारा किए गए हमले में कम से कम 14 लोग मारे गए थे, जिसमें एक एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट भी शामिल थे। हालांकि आधिकारिक तौर पर चार लोगों के ही मारे जाने की बात कही गई थी।

 

1990 में चुनाव आयोग ने हरियाणा के मेहम विधानसभा का उपचुनाव दो बार रद्द कर दिया था। पहली बार हिंसा और बूथ कैप्चरिंग की वजह से चुनाव रद्द किया गया था, जबकि दूसरी बार निर्दलीय उम्मीदवार अमीर सिंह की मृत्यु के कारण रद्द किया गया था। पहले अवसर पर ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा हेतु निर्वाचित होने के लिए इस सीट से चुनाव लड़ रहे थे।

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