प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जोहानिसबर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन के तीसरे सत्र को संबोधित करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का दुरुपयोग रोकने के लिए एक वैश्विक समझौते का आह्वान किया। उन्होंने महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को वित्त-केंद्रित के बजाय मानव-केंद्रित बनाने पर भी जोर दिया। मोदी ने कहा कि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग “राष्ट्रीय” के बजाय “वैश्विक” होने चाहिए तथा इन्हें “विशिष्ट मॉडल” के बजाय “ओपन सोर्स” पद्धति पर आधारित होना चाहिए। “ओपन सोर्स” पद्धति से तात्पर्य सभी के लिए मुफ्त में उलब्ध होने से है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया को उभरती और महत्वपूर्ण तकनीकों के निर्माण और उपयोग के तरीकों पर गहन पुनर्विचार करने की जरूरत है। जी20 शिखर सम्मेलन का तीसरा सत्र “सभी के लिए एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण भविष्य-महत्वपूर्ण खनिज; सभ्य कार्य; कृत्रिम बुद्धिमत्ता” विषय पर आधारित था। मोदी ने कहा कि इस दृष्टिकोण को भारत के प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत किया गया है और इसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण लाभ हासिल हुए हैं। फिर चाहे वह अंतरिक्ष अनुप्रयोग हों या फिर एआई या डिजिटल भुगतान, जहां भारत दुनिया में अग्रणी है।
PM Modi kicks off G20 in Johannesburg with a power-packed global outreach, high-stakes bilaterals, and India’s fearless vision for sustainable growth, innovation, and the rise of the Global South!
The world is listening.
Watch highlights from PM Modi’s first day at #G20… pic.twitter.com/kzvIpGJV3P
— BJP (@BJP4India) November 23, 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रणनीति पर जोर देते हुए कहा कि देश का ध्यान समान पहुंच, बड़े स्तर पर स्किलिंग और जिम्मेदार एआई उपयोग पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि भारत की एआई मिशन उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग क्षमता बढ़ा रहा है ताकि एआई का लाभ हर नागरिक तक पहुंच सके। पीएम मोदी ने दुनिया से एक वैश्विक एआई कॉम्पैक्ट बनाने की अपील की, जिसमें पारदर्शिता, मानव निगरानी, सुरक्षा-आधारित डिजाइन और एआई के दुरुपयोग को रोकने जैसे सिद्धांत शामिल हों। उन्होंने कहा कि “एआई मानव क्षमताओं को बढ़ाए, लेकिन अन्तिम निर्णय हमेशा इंसानों के हाथ में होना चाहिए।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “हम सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई का इस्तेमाल वैश्विक भलाई के लिए हो और इसका दुरुपयोग रोका जाए। ऐसा करने के लिए, हमें कुछ मूल सिद्धांतों पर आधारित एआई पर एक वैश्विक समझौते की आवश्यकता होगी, जिसमें प्रभावी मानवीय निगरानी, डिजाइन के जरिये सुरक्षा, पारदर्शिता और ‘डीप फेक’, अपराध तथा आतंकवादी गतिविधियों में एआई के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध शामिल हो।”
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत फरवरी 2026 में “एआई इम्पैक्ट समिट” की मेजबानी करेगा, जिसका विषय -‘सर्वजनहिताय, सर्वजनसुखाय’ होगा यानी ‘सभी के हित और सभी के सुख के लिए’। उन्होंने सभी जी20 देशों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। तेजी से बदलती तकनीकों के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया को “आज की नौकरियों” से आगे बढ़कर “भविष्य की क्षमताओं” पर ध्यान देना होगा। उन्होंने प्रतिभा गतिशीलता पर भारत की अगुवाई में हुए प्रगति को आगे बढ़ाते हुए आने वाले वर्षों में एक ग्लोबल फ्रेमवर्क फॉर टैलेंट मोबिलिटी बनाने का प्रस्ताव रखा।
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। भारत हमेशा ऐसी विकास प्रणाली का समर्थन करता है जो टिकाऊ हो, ऐसा व्यापार जो विश्वास पर आधारित हो, ऐसी फाइनेंस प्रणाली जो न्यायपूर्ण हो और ऐसी प्रगति जो सभी को समृद्धि दे।



