लैंसेट में छपी रिपोर्ट का दावा, हवा में तेजी से फैलता है कोरोना

आपका अखबार ब्यूरो।

पूरी दुनिया कोरोना के प्रकोप से अस्त-व्यस्त है। भारत में भी कोरोना की रफ्तार बढ़ती ही जा रही है। हर रोज संक्रमण के मामलों में तेज वृद्धि हो रही है। गुरुवार, 15 अप्रैल को संक्रमित होने वालों की संख्या दो लाख को भी पार कर गई। 15 अप्रैल को संक्रमण के कुल 2,16,828 मामले आए, जो पिछले दिन से 17,244 अधिक थे। इस बीच एक बड़े हेल्थ रिसर्च जर्नल लैंसेट ने दावा किया है कि कोरोना वायरस हवा में फैलता है। इसके इलावा, इस समीक्षा रिपोर्ट में और भी कई बातें कही गई हैं।

Lancet report says Covid-19 is primarily airborne, safety protocol should  change urgently - Coronavirus Outbreak News

लैंसेट की समीक्षा में यह गया है कि नोवेल कोरोना वायरस का प्रसार मुख्य रूप से हवा से होता है। यही वजह है कि कई सावधानियां और स्वास्थ्य सुविधाएं भी इस घातक वायरस के आगे नाकाफी साबित हो रही हैं। इस रिव्यू को ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा के छह विशेषज्ञों ने लिखा है। विशेषज्ञों ने दावा किया है कि हवा में कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर उन्हें ठोस साक्ष्य मिले हैं। इसमें उन्होंने एक कार्यक्रम का उदाहरण देते हुए लिखा है कि कागिट कॉयर इवेंट एक ‘सुपर-स्प्रेडर’ इवेंट साबित हुआ। इस इवेंट में एक संक्रमित व्यक्ति शामिल हुआ था, जिससे 53 और लोग संक्रमित हो गए। इसका अध्ययन करने पर पता चला कि इवेंट में शामिल कई लोग तो आपस में संपर्क में भी नहीं आए थे। सारे लोग किसी एक ही सरफेस पर बार-बार नहीं गए, फिर भी संक्रमित हो गए। यानी वायरस हवा से फैला, तभी बाकी लोगों को संक्रमण हुआ। इसमें यह भी दावा किया गया है कि कोरोना का प्रसार इनडोर के मुकाबले आउटडोर में ज्यादा तेजी से देखा जा रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन से रिपोर्ट को गंभीरता से लेने की अपील की

WHO reports highest number of new coronavirus cases 'since the outbreak  began'

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की इस टीम ने समीक्षा में कहा है कि बड़े ड्रॉपलेट से ही कोरोना फैलता है, इसका कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन इसका प्रमाण मिला है कि हवा के जरिये से यह वायरस तेजी से फैलता है। रिव्यू की मुख्य लेखक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की त्रिश ग्रीनहाल के अनुसार, इस नए शोध के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) और दूसरी स्वास्थ्य संस्थाओं को वायरस के फैलने की परिभाषा को बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने छह फीट शारीरिक दूरी, मास्क लगाने, साबुन-पानी से हाथ धोने सैनिटाजर का उपयोग करने आदि उपायों को अपनाने की जो गाइडलाइन जारी की है, वह कोरोना वायरस को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इस रिव्यू को लिखने वाले विशेषज्ञों ने आग्रह किया है कि डब्ल्यू.एच.ओ. और दूसरे संगठन इस बात को गंभीरता से लेते हुए ऐसे कदम उठाएं, जिससे वायरस के प्रसार को कम किया जा सके।

बंद जगहों में ज्यादा तेजी से फैलता है कोरोना

इस रिव्यू में यह भी कहा गया है कि खुली जगहों की बजाय बंद जगहों में संक्रमण ज्यादा तेजी से फैलता है। बंद जगहों को हवादार बनाकर संक्रमण के प्रसार को कम किया जा सकता है। इसे रोकने के लिए उपयुक्त वेंटिलेशन, हवा को फिल्टर करने करने के उपायों, भीड़भाड़ को कम करने, मास्क पहनने, उच्च गुणवत्ता के पीपीई किट बनाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। रिव्यू में यह भी कहा गया कि 40 प्रतिशत संक्रमण बिना लक्षण वाले संक्रमितों ने फैलाया है यानी कोरोना वायरस के प्रसार में साइलेंट ट्रांसमिशन का बड़ा योगदान रहा है।

COVID-19 patients who undergo surgery at increased death risk: Lancet study  | India News | Zee News

हालांकि विशेषज्ञों ने कहा है कि हवा से कोरोना वायरस फैलने की बात सामने आने के बावजूद छह फीट शारीरिक दूरी, मास्क लगाने, साबुन-पानी से हाथ धोने सैनिटाजर का उपयोग करने आदि उपायों को अपनाना जरूरी है, लेकिन ध्यान केवल इन्हीं उपायों पर ही नहीं होना चाहिए। हवा से वायरस फैलने की रोकथाम के लिए तुरंत जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए। वायरस को श्वसन पथ में जाने से रोकने और इसे हवा में ही समाप्त करने के उपायों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर समय-समय पर नए अध्ययन सामने आते रहते हैं, जिनमें से कई को विश्व स्वास्थ्य संगठन, अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी और कई अन्य प्रमुख स्वास्थ्य एजेंसियों ने खारिज भी किया है। अब इस समीक्षा रिपोर्ट को लेकर इनका क्या नजरिया रहता है, यह देखने वाली बात होगी।

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