नवम्बर 2025 में निर्यात 19.4 फीसदी बढ़ा।

प्रहलाद सबनानी।
पहले बात दुलत्ती की। जो लोग दुलत्ती शब्द से वाकिफ नहीं हैं उनको बता दें कि दुलत्ती का मतलब होता है घोड़े का पिछली दोनों टाँगों को झटकार कर मारना। इसे दुलत्ती चलाना भी कहते हैं।

दिनांक 27 अगस्त 2025 को, अमेरिका के ट्रम्प प्रशासन द्वारा, भारत से अमेरिका को होने वाले विभिन्न उत्पादों के निर्यात पर, 50 प्रतिशत टैरिफ (25 प्रतिशत जवाबी टैरिफ एवं 25 प्रतिशत, रूस से तेल की खरीद के चलते, अतिरिक्त सेकेण्डरी टैरिफ के रूप में) लगा दिया गया था। भारत से अमेरिका को होने वाले विभिन्न उत्पादों के निर्यात पर लगाए गए टैरिफ के चलते यह आंकलन किया जा रहा था कि इसके बाद भारत से अमेरिका को निर्यात बहुत कम अथवा लगभग समाप्त हो जाएंगे और भारत को अत्यधिक नुक्सान झेलना पड़ सकता है।

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भारत ने अमेरिका द्वारा टैरिफ सम्बंधी लिए गए उक्त निर्णय के बाद गम्भीरता से अपनी रणनीति बनाई एवं अपने मित्र देशों से सम्पर्क में रहते हुए अमेरिका को किए जाने वाले इन वस्तुओं के निर्यात को अपने मित्र देशों की ओर मोड़ दिया। यहां, यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस बीच भारत के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी अथवा मंत्री ने दबाव में आकर अमेरिका के विरुद्ध किसी भी प्रकार का कोई सार्वजनिक  ब्यान नहीं दिया। परंतु, सम्बंधित भारतीय अधिकारी एवं मंत्री शांत नहीं बैठे और अन्य मित्र देशों से विदेशी व्यापार सम्बंधी गम्भीर चर्चाएं करते रहे।

भारत सरकार की उक्त रणनीति का असर नवम्बर 2025 माह के भारत से विभिन्न वस्तुओं के निर्यात सम्बंधी जारी किए गए आंकड़ों में स्पष्ट रूप से देखने में आ रहा है। नवम्बर 2025 माह में भारत के निर्यात में 19.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि, अगस्त 2025 माह में ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारत के उत्पादों पर अमेरिका में लगाए गए टैरिफ का कुछ असर अगस्त 2025 माह में ही होना दिखाई देने लगा था। जुलाई 2025 माह में भारत से विभिन्न उत्पादों का निर्यात 13.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा था और अमेरिका को विभिन्न वस्तुओं का निर्यात 27.8 प्रतिशत की दर से बढ़ा था, जबकि अगस्त में यह वृद्धि दर गिरकर क्रमशः 5.8 प्रतिशत एवं 6.7 प्रतिशत तक नीचे आ गई थी। सितम्बर 2025 माह में तो अमेरिका को विभिन्न वस्तुओं की निर्यात में वृद्धि दर ऋणात्मक 11.9 प्रतिशत एवं अक्टोबर 2025 में ऋणात्मक 8.6 प्रतिशत की हो गई थी। परंतु, नवम्बर 2025 माह में आश्चर्यजनक रूप से बढ़कर 22.6 प्रतिशत की हो गई है। कहां गया, ट्रम्प प्रशासन द्वारा अमेरिका में भारत से विभिन्न उत्पादों के आयात पर थोपे गए 50 प्रतिशत टैरिफ का असर?

अमेरिका द्वारा भारत पर बनाए जा रहे दबाव की इस घड़ी में विश्व के कई देशों ने भारत से विभिन्न वस्तुओं का आयात अतुलनीय रूप से बढ़ाकर, भारत पर अमेरिका द्वारा निर्मित किए गए उक्त कृत्रिम दबाव को कुछ हद्द तक कम करने में मदद की है। नवम्बर 2025 माह में स्पेन को भारत से किए गए निर्यात में 181.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है तो फ्रान्स को किए गए निर्यात में 65.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी प्रकार, वियतनाम को किए गए निर्यात में 36 प्रतिशत, हांगकांग को 35.5 प्रतिशत, बेलजीयम को 30.9 प्रतिशत, जर्मनी को 24.9 प्रतिशत, ब्राजील को 21.3 प्रतिशत, आस्ट्रेलिया को 19 प्रतिशत, ब्रिटेन को 15.4 प्रतिशत, यूनाइटेड अरब अमीरात को 13.2 प्रतिशत, इटली को 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। और तो और, चीन को भारत से विभिन्न वस्तुओं के निर्यात में भी 90.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। कुछ देशों को भारत से विभिन्न वस्तुओं के निर्यात केवल नवम्बर 2025 माह में ही नहीं बढ़े हैं बल्कि अप्रेल 2025 माह से नवम्बर 2025 माह की 8 माह की अवधि के दौरान भी तेज गति से बढ़े हैं। इस सूची में शामिल देश हैं – स्पेन – 54.5 प्रतिशत, चीन – 32.9 प्रतिशत, हांगकांग – 22.4 प्रतिशत, वियतनाम – 14.7 प्रतिशत, अमेरिका – 11.4 प्रतिशत, जर्मनी – 9.3 प्रतिशत, यूनाइटेड अरब अमीरात – 6.7 प्रतिशत, ब्राजील – 5.1 प्रतिशत एवं बेलजीयम – 5 प्रतिशत।  जबकि, भारत के इस अवधि में कुल निर्यात केवल 2.6 प्रतिशत से बढ़े है।

अब यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भारत की ओर अपना रूख करती हुई दिखाई दे रही हैं। जर्मनी, जो विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जिसके सकल घरेलू उत्पाद का आकार 4.9 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है एवं जिसकी जनसंख्या 8.4 करोड़ है, भारत में अपने निवेश को दुगुना करने पर गम्भीरता से विचार कर रही है। जर्मनी की विशाल बहुराष्ट्रीय कम्पनियां जिनमें सीमेंस, वोक्सवागन, बोश एवं बीएमडब्ल्यू जैसी कम्पनियां शामिल हैं, अपनी विनिर्माण इकाईयों की भारत में उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर विचार कर रही हैं। विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, क्लीन इनर्जी, आरटीफिशियल इंटेलिजेन्स, ग्रीन इनर्जी हाईड्रोजन एवं सेमीकंडकटर के क्षेत्र में भारतीय कम्पनियों के साथ अपने सहयोग को बढ़ा रही हैं।

विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान, जिसका सकल घरेलू उत्पाद का आकार 4.29 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है एवं जिसकी जनसंख्या 12.3 करोड़ है, एवं जो तकनीकी रूप से विश्व के कुछ मुख्य उन्नत देशों में शामिल है, भी भारत को अपने कूटनीतिक साझेदार के रूप में देख रहा है एवं जापान ने आज भारत की ओर अपना रूख कर लिया है। चीन के साथ जापान के सम्बंध भी बहुत अच्छे नहीं है एवं हाल ही के समय में इन दोनों देशों के बीच राजनैतिक सम्बन्धों में कुछ खटास पैदा हुई है। इसलिए भी जापान, भारत को अपना रणनैतिक साझीदार एवं हितैषी के रूप में देख रहा है। भारत में अहमदाबाद एवं मुंबई के बीच विकसित की जा रही बुलेट ट्रेन भी जापान के सक्रिय सहयोग से ही सम्भव हो पा रही है। इसके लिए जापान ने बहुत ही सस्ती दरों पर जापानी मुद्रा, येन, में भारत को ऋण उपलब्ध कराया है। जापान की अति विशाल बहुराष्ट्रीय कम्पनियों – टोयोटा एवं सोनी, आदि द्वारा भारत में अरबों डॉलर का निवेश किया गया है एवं ये कम्पनियां अपने निवेश को भारत में और आगे बढ़ा रही हैं।

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विश्व की सबसे बड़ी छठी अर्थव्यवस्था युनाईटेड किंगडम, जिसके सकल घरेलू उत्पाद का आकार 3.73 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर हैं एवं जिसकी जनसंख्या 6.9 करोड़ है तथा जिसने भारत के साथ हाल ही में मुक्त व्यापार समझौता सम्पन्न किया है, ने भी अब भारत की ओर अपना रूख कर लिया है। युनाईटेड किंगडम, भारत के कुशल एवं प्रशिक्षित युवाओं को वीजा देकर अपने देश में आकर्षित एवं प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रहा है ताकि उसकी डूबती अर्थव्यवस्था को किनारे पर लाया जा सके। हालांकि, युनाईटेड किंगडम के साथ सम्पन्न हुए मुक्त व्यापार समझौते के बाद भारत से रेडीमेड गारमेंट्स, जेम्स एवं ज्वेलरी, समुद्री उत्पाद, कृषि उत्पाद आदि का ब्रिटेन को निर्यात तेज गति से आगे बढ़ने की प्रबल सम्भावना व्यक्त की जा रही है। भारतीय कम्पनियों द्वारा भी युनाईटेड किंगडम में अपना निवेश बढ़ाया जा रहा है एवं हाल ही के समय में कई भारतीय कम्पनियों ने ब्रिटेन की कम्पनियों का अधिग्रहण कर लिया है।

दक्षिण कोरीया, 1.95 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था एवं 5.2 करोड़ की जनसंख्या वाला देश भी अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए भारत के साथ अपने व्यापारिक हितों को बढ़ा रहा है। दक्षिण कोरीया की सैमसंग, एलजी, हुंडाई, जैसी प्रसिद्ध बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने भारत में अपनी उत्पादन इकाईयों की स्थापना की है एवं यह कम्पनियां भारत में स्थापित अपनी उत्पादन इकाईयों को विस्तार देने का प्रयास कर रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्ट फोन जैसे उपभोक्ता उत्पादों के बाजार पर दक्षिण कोरियाई कम्पनियों का दबदबा भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

विश्व की सबसे बड़ी सांतवी अर्थव्यवस्था फ्रान्स, जिसके सकल घरेलू उत्पाद का आकार 3.28 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है एवं जिसकी जनसंख्या 6.6 करोड़ है, भी भारत को सुरक्षा के क्षेत्र में एवं क्लीन इनर्जी के क्षेत्र में, यूरोप के बाहर अपना रणनीतिक साझेदार मानता है। सुरक्षा के क्षेत्र में तो फ्रान्स ने राफेल लड़ाकू विमान उपलब्ध कराकर भारत के हाथ मजबूत ही किए हैं। हाल ही के समय में ट्रम्प प्रशासन द्वारा विभिन्न देशों से अमेरिका में होने वाले आयात पर लगाए गए टैरिफ से फ्रान्स सबसे अधिक नाराज देशों में शामिल है। फ्रान्स भारत के साथ ग्रीन तकनीकी, ग्रीन पावर, सुरक्षा के क्षेत्र में अपनी साझेदारी को और अधिक मजबूत करना चाहता है।

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उक्त वर्णित देशों के साथ ही, रूस के साथ भारत के सम्बंध पूर्व से ही बहुत मजबूत बने हुए हैं। रूस ने भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में सस्ती दरों पर कच्चा तेल उपलब्ध कराकर भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में भारी मदद की है। दरअसल, रूस के साथ भारत के लगातार प्रगाढ़ हो रहे संबंधो के चलते ही अमेरिका ने भारत पर टैरिफ की दर को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। अमेरिका चाहता है कि भारत, रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदे। वैश्विक स्तर पर तेजी से परिवर्तित हो रहे घटनाक्रम में अब चीन भी भारत के साथ अपने सम्बन्धों को सुधारने एवं मजबूत करने का लगातार प्रयास कर रहा है। विदेशी व्यापार के मामले में अमेरिका के बाद चीन ही भारत का सबसे बड़ा भागीदार है।

कुल मिलाकर, विश्व के कई विकसित देश आज भारत के साथ अपने सम्बन्धों को मजबूत करना चाहते हैं ताकि भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार में वे अपनी पैठ बना सकें एवं अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकें। इससे, निश्चित ही भारत के आर्थिक हित भी सधते हुए नजर आ रहे हैं।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त उपमहाप्रबंधक हैं)