अखिलेश लाए थे बिल-मदरसा टीचर के खिलाफ न जांच होगी न मुकदमा,योगी ने वापस लिया।

प्रदीप सिंह।
जो कुछ हो रहा है उसे देखकर कभी-कभी मन में सवाल उठता है कि क्या देश संविधान के मुताबिक चल रहा है। इसके लिए दो बातों का जिक्र करूंगा। उनमें से  एक बुधवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में जो हुआ। मैं योगी जी के भाषण पर नहीं जा रहा हूं। उनका भाषण हमेशा की तरह बुधवार को भी शानदार था। उनको हिंदू होने पर गर्व है,यह बात उनको कहने की जरूरत नहीं पड़ती। उनकी वेशभूषा से लेकर उनकी बोलचाल,उनका काम सब बताता है। मैं जिस बात का जिक्र कर रहा हूं वह है उत्तर प्रदेश सरकार ने एक विधेयक वापस ले लिया,जो 2016 में अखिलेश यादव की सरकार के समय पास हुआ था। उस विधेयक को तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने संविधान के विरुद्ध बताते हुए मंजूरी नहीं दी थी और उसे राष्ट्रपति को भेज दिया था।

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अब कोई कह सकता है कि योगी सरकार ने इसे बदले की कारवाई में वापस ले लिया होगा। लेकिन सपा सरकार के समय पारित विधेयक क्या था, उसे भी तो जान लीजिए। इस विधेयक के मुताबिक उत्तर प्रदेश में जितने मदरसे चलते हैं,उनमें जो भी टीचर और कर्मचारी हैं,उनके खिलाफ न तो कोई जांच हो सकती है और न ही उनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज हो सकता है। इस तरह की इम्यूनिटी इस देश में केवल राष्ट्रपति और राज्यपालों को मिली हुई है,वह भी पद पर रहते हुए। देश के प्रधानमंत्री तक को ऐसी इम्यूनिटी नहीं है। तो यह काम किया अखिलेश यादव ने। और किस लिए? मुसलमानों को खुश करने के लिए।

किसी राज्य में ऐसा कानून पास हो सकता है,इसकी  आप कल्पना कर सकते हैं। मदरसों के टीचर और कर्मचारी के खिलाफ कोई जांच नहीं हो सकती। मतलब खुली छूट है। जो कुछ करना हो,कानून तोड़ना हो,संविधान तोड़ना हो,तोड़फोड़ करनी हो,दंगा करना हो,सब करो। यह अखिलेश यादव की सरकार की मुसलमानों में जो अराजक तत्व हैं,उनको अभयदान देने की कोशिश थी । कल्पना कीजिए कि 2017 में अगर अखिलेश यादव लौट कर फिर सत्ता में आ गए होते तो क्या होता? यह विधेयक तो कानून बन गया होता। मुझे उत्तर प्रदेश के एक पूर्व डीजीपी का बयान भी याद आता है। उनके अनुसार 2013-14 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे,उस समय सभी जिलों में एसएसपी व एसपी को यह निर्देश था कि किसी मुसलमान और यादव के खिलाफ एफआईआर नहीं लिखी जाएगी। अगर लिखने की बेहद मजबूरी हो तो भी गिरफ्तारी नहीं होगी। यह थी समाजवादी पार्टी की सरकार। वह तो उत्तर प्रदेश के जागरूक मतदाता को धन्यवाद दीजिए,जिसने 2017 में तय किया कि न बाबा, इससे ज्यादा नहीं। और दूसरा धन्यवाद दीजिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को, जिन्होंने यूपी सरकार का नेतृत्व योगी आदित्यनाथ को सौंपा। सदन में योगी जी ने कहा भी कि बीते 9 साल में प्रदेश में कोई दंगा नहीं हुआ।

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पहले एक फोर्स पीएसी जानी ही इसलिए जाती थी क्योंकि उसे दंगा कंट्रोल करने में महारत हासिल थी। हालांकि उस पीएसी को मुलायम सिंह यादव ने एंटी मुस्लिम फोर्स घोषित कर दिया था। अब योगी जी के कार्यकाल में उसे फिर रिवाइव किया गया है,उसकी नई बटालियनें बन रही हैं। पीएसी में जो ट्रेंड लोग हैं, वे सांप्रदायिक दंगे की स्थिति से कैसे निपटा जाता है, इसके बारे में जानते हैं। समाजवादी पार्टी को तो सांप्रदायिक दंगे रोकने नहीं थे,उसे तो कराने थे। इसीलिए मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के राज में जितने दंगे हुए उनमें दंगाइयों के खिलाफ कोई कारवाई नहीं हुई। उनको मालूम था कि जो दंगा करते हैं,करवाते हैं,वे ही उनका वोट बैंक है। योगी इसीलिए बार-बार कहते हैं कि समाजवादी पार्टी की सबसे बड़ी देन वन डिस्ट्रिक्ट वन माफिया थी। जिस तरह के काम तीन बार मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव और 5 साल के कार्यकाल में अखिलेश यादव कर गए,वे ऐसे हैं जिसकी वजह से जनता सपा की ओर कभी देखने की हिम्मत नहीं करेगी।

जैसे बिहार में लालू परिवार का जंगल राज डराता है, उससे ज्यादा लोगों को समाजवादी पार्टी का माफिया राज डराता है। तो उस जगह से निकालकर योगी जी यूपी को यहां ले आए हैं। जहां रात में,दिन में,न पुरुष बाहर निकलने से डरते हैं न महिलाएं। आज अपराधी के मन में कानून का डर है। समाजवादी पार्टी के राज में कानून के मन में अपराधी का डर था।

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अब जिस दूसरी बात का मैं जिक्र करने जा रहा हूं,वह बिहार के किशनगंज की है। किशनगंज में आर्मी का एक कैंप बन रहा है, जो चिकन नेक यानी सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब है। बांग्लादेश से खतरे को देखते हुए उसकी सुरक्षा सरकार लगातार बढ़ा रही है। वहां से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के विधायक ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि यहां आर्मी का कैंप नहीं बनने देंगे, कहीं और बनाएं। तो आर्मी का कैंप कहां बनेगा, यह क्या एमआईएम का विधायक तय करेगा। यह तो डिफेंस मिनिस्ट्री और आर्मी तय करेगी। विडंबना देखिए विपक्ष की किसी पार्टी ने एमआईएम विधायक की घोषणा पर एतराज नहीं जताया। सिलीगुड़ी कॉरिडोर के दोनों तरफ पूरी डेमोग्राफी बदल चुकी है। इसीलिए जो भारत का नागरिक है,भारत का खाता है,यहीं  विधायक बना,जिसने इस देश के संविधान की रक्षा की शपथ ली,वह लोगों का जीवन खतरे में डालने की कोशिश कर रहा है। कहता है-आर्मी का कैंप नहीं बनने देंगे। आप समझिए स्थिति कहां तक पहुंच गई है।

इसका मतलब है कि जिस दिन मौका आएगा वह भारत के साथ नहीं बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ खड़ा होगा। इस बारे में कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। इस तरह के लोगों से निपटने के लिए मैं तो बार-बार कहता हूं कि कानून में संशोधन होना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा को जो खतरे में डाले,राष्ट्र से जो द्रोह करे,उसको किसी तरह की माफी नहीं मिलनी चाहिए। डेमोग्राफी का जो चेंज हो रहा है, वह देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और ‘आपका अखबार’ के संपादक हैं)