आपका अखबार ब्यूरो ।
भारत और विदेशों में किए गए कई वैज्ञानिक शोधों में भारतीय वेदों में दिए गए विभिन्न मंत्रों के कई गंभीर रोगों के रोगियों पर सकारात्मक परिणाम मिले हैं। 

लंग इंफेक्शन नहीं होता

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ब्रिटिश मेडिकल जर्नल और इंटरनेशनल जर्नल ऑफ योगा में गायत्री मंत्र और प्राणायाम पर आधारित कुछ रिसर्च रिपोर्ट छपी हैं। इनमें कहा गया कि गायत्री मंत्र के उच्चारण से सांस लेने की प्रक्रिया बेहतर होती है क्योंकि इस मंत्र के उच्चारण के दौरान श्वास पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी होता है। इससे पूरे शरीर की कोशिकाएं स्पंदित होती हैं, फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और लंग इंफेक्शन नहीं होता। गायत्री मंत्र के उच्चारण के साथ ही अगर इसमें प्राणायाम को भी शामिल कर लिया जाए तो पूरे शरीर में ऑक्सीजन सही मात्रा में पहुंचती है। इसके अलावा हृदय की सेहत को ठीक रखने तथा हृदय से जुड़ी समस्याओं के समाधान में भी गायत्री मंत्र को बहुत कारगर माना गया है।
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हृदय की धड़कन नियमित करने में कारगर

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपा एक अध्ययन बताता है की गायत्री मंत्र फेफड़ों की सेहत के लिए तो अच्छा होता ही है, हृदय की धड़कन को भी सिंक्रोनाइज और रेगुलराइज करने में इसके चमत्कारिक परिणाम मिले हैं।

कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि में गिरावट

अमेरिका के ओहियो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार पुराने और गंभीर रोगों से ग्रस्त रोगियों पर किए गए परीक्षणों में उल्लेखनीय परिणाम देखने को मिले हैं। कैंसरग्रस्त फेफड़ों में कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि में भारी गिरावट आई।

कोरोना पर नियंत्रण परखने के लिए ट्रायल

 

भारत में इस समय कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने गंभीर स्थिति पैदा कर रखी है। क्या कोरोना महामारी पर नियंत्रण और रोगियों को स्वस्थ करने में गायत्री मंत्र और प्राणायाम प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। वैज्ञानिक मानकों पर आधारित कोविड-19 के कारगर उपचार के तौर पर इसका क्लीनिकल ट्रायल एम्स ऋषिकेश में किया जा रहा है। सांसों पर नियंत्रण के अभ्यास की प्रक्रिया को योग में प्राणायाम कहा गया है। अभी तक दूसरी बीमारियों के मरीजों पर प्राणायाम और गायत्री मंत्र का आशा जनक प्रभाव देखने में आया है, लेकिन क्या हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों के लिए भी यह लाभकारी हो सकता है- यह देखने के लिए शोधकर्ता एक क्लिनिकल ट्रायल कर रहे हैं।

नियमित इलाज जारी

इस परीक्षण में शामिल किए गए लोगों का नियमित इलाज तो किया ही जा रहा है, उसके साथ उन्हें प्राणायाम करना और गायत्री मंत्र जपना भी बताया जा रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स नई दिल्ली के निदेशक और देश के जाने माने पल्मनोलॉजिस्ट डॉक्टर रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि हमारे पास इस बात के तो प्रमाण हैं कि गैर संक्रामक बीमारियों में सांस लेने के अभ्यास से रोगी को अभूतपूर्व लाभ हुआ है, लेकिन कोविड-19 के मरीजों पर यह कितना कारगर होगा इस पर अभी तक कोई परीक्षण नहीं किया गया। इसलिए इसका कोई वैज्ञानिक डाटा हमारे पास फिलहाल नहीं है।

हल्के लक्षण वाले रोगियों पर ट्रायल

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एम्स ऋषिकेश में एसोसिएट प्रोफेसर और श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. रुचि दुआ इस क्लीनिकल ट्रायल की प्रमुख जांचकर्ता हैं। यह क्लीनिकल ट्रायल हल्के लक्षणों वाले 20 कोरोना मरीजों पर किया गया है। इनके दो समूह बनाए गए हैं। एक समूह का नियमित उपचार किया जा रहा है, जबकि दूसरे समूह में मरीज नियमित उपचार के अलावा सुबह और शाम एक-एक घंटा गायत्री मंत्र जपने और प्राणायाम करने में लगाते हैं। उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और गूगल मीट के माध्यम से गायत्री मंत्र के जाप और प्राणायाम करने के निर्देश दिए जाते हैं। एक सर्टिफाइड योगा टीचर समय-समय पर रोगियों को योग करवाते हैं जबकि संस्थान के डॉक्टर उनका नियमित इलाज कर रहे हैं। शोधकर्ता इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि गायत्री मंत्र के जप और प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने का हल्के लक्षणों वाले कोविड मरीज पर क्या असर होता है। शोधकर्ताओं ने स्पष्ट किया है कि क्लिनिकल ट्रायल में केवल अस्पताल में भर्ती हल्के लक्षण वाले कोरोना संक्रमित मरीजों का ही अध्ययन किया जा रहा है, गंभीर रोगियों का नहीं। परीक्षण के अंत में रोगियों के दोनों समूहों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा। इसमें खासतौर से यह परखा जाएगा कि जो रोगी गायत्री मंत्र का जप और प्राणायाम कर रहे थे क्या उनके सूजन और कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के स्तर में कोई विशेष सुधार हुआ है, या नहीं।