आपका अखबार ब्यूरो।

शाहिद जमील ने कोरोना पर गठित इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टिया के वैज्ञानिक सलाहकार समूह (आईएनएसएसीओजी-इन्साकॉग) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। कोरोना वायरस के जीनोमिक वेरियेंट्स का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार ने इस समूह को पिछले वर्ष गठित किया था। उनके इस्तीफे के बाद विरोधी दल सरकार की खूब आलोचना कर रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सरकार ने दूसरी लहर का अनुमान नहीं लगा पाने कारण उन्हें पद से हटा दिया है। हालांकि उनके इस्तीफे की वजह अभी स्पष्ट नहीं है और केंद्र सरकार ने भी इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।


सरकार की कर रहे थे तीखी आलोचना

कोरोना वेरिएंट का पता लगाने के लिए बने विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष प्रसिद्ध वायरोलॉसिस्ट शाहिद जमील ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष इन्साकॉग का गठन किया था और उसे 10 प्रयोगशालाएं सौंपी थीं, जिससे कोरोना के वेरिएंट्स पर गहन अध्ययन किया जा सके। इस समूह का अध्यक्ष अशोक यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के निदेशक शाहिद जमील को बनाया गया था। जमील दूसरी लहर को लेकर सरकार की नीतियों की बहुत आलोचना कर रहे थे। उन्होंने देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिख कर यह आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार ने उचित समय पर सही कदम नहीं उठाए, जिससे दूसरी लहर में स्थिति भयावह हो गई।

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दिसंबर, 2020 में कहा था कोरोना की दूसरी लहर की संभावना कम

वहीं कुछ लोगों का कहना है कि शाहिद जमील कोरोना की दूसरी लहर को भांपने में असफल रहे थे, इसलिए सरकार ने ही उनकी छुट्टी कर दी। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है। अरुण नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि शाहिद जमील को सरकार ने ही हटा दिया है। अरुण ने लिखा है- नाम न जाहिर करने की शर्त पर सूत्रों ने बताया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के चिकित्सा सलाहकार और प्रतिरक्षा वैज्ञानिक एंथनी फॉसी जैसी ढुलमुल नीतियों और कोरोना की दूसरी लहर को भांपने में पूरी तरह से असफल रहने के कारण जमील को हटा दिया गया। अरुण ने अपनी ट्वीट में दो खबरों के स्क्रीनशॉट भी लगाए हैं। इसके अनुसार, 23 दिसंबर 2020 को जमील ने कहा था- भारत के लिए बुरा दौर शायद बीत गया है। वहीं वह 16 मई 2016 को कहते हैं- भारत सरकार मेरी बात नहीं सुन रही है, इसलिए मैं पद छोड़ रहा हूं।

डॉ. जमील ने हर्ड इम्यूनिटी की संभावना जताई थी छह माह पहले

गौरतलब है कि 23 दिसंबर को वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिए एक इंटरव्यू में डॉ. जमील ने कहा था कि भारत के लिए सबसे बड़े संकट का वक्त गुजर गया है। इसमें उन्होंने यह भी कहा था कि फिलहाल, ऐसा लग रहा है कि भारत में शायद दूसरी लहर देखने को न मिले। उन्होंने कहा था- “भारत में पहले ही 30-40 फीसदी लोग संक्रमित हो सकते हैं। शहरी भारत में यह आंकड़ा 50-60 प्रतिशत तक हो सकता है।” जमील ने कहा कि दूसरा सीरो-सर्वेक्षण, जिसे अब दो महीने हो चुके हैं, उससे पता चलता है कि भारत में 15-20 करोड़ लोग संक्रमित हैं। सर्वे के सामने आने के बाद शायद यह आंकड़ा काफी बढ़ भी चुका होगा। उन्होंने कहा, “यह एक व्यवहार्य स्पष्टीकरण है”, इस बात पर भरोसा करने के लिए कि सबसे खराब बीत हो गया है और भारत एक दूसरी लहर नहीं देखेगा।” अपने इस बयान के जरिये उन्होंने संभवतः भारत में हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने के बारे में इशारा किया था।

स्टोरी लिंक– https://thewire.in/health/worst-of-covid-19-may-be-over-in-india-virologist-shahid-jameel

जमील के इस्तीफे पर कांग्रेस ने की केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना

डॉ. शाहिद जमील के हमले के बाद प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने केंद्र की भाजपा सरकार पर प्रहार करने शुरू कर दिए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि जमील देश के सर्वोत्तम वायरोलॉजिस्ट में से एक हैं और उनका इस्तीफा दुखद है। उन्होंने ट्वीट किया कि मोदी सरकार में वैसे पेशेवरों के लिए कोई जगह नहीं है, जो बिना भय या पक्षपात के अपनी राय रखते हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता और दंत चिकित्सक डॉ. शमा मोहम्मद ने भी केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है- वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने भारत के जीनोम सीक्वेंसिंग कार्य को समन्वय करने वाले वैज्ञानिक सलाहकार समूह के प्रमुख के रूप में इस्तीफा दे दिया। उन्होंने लिखा कि वैज्ञानिकों को साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। विज्ञान के प्रति इस सरकार का तिरस्कार ही कारण है कि आज हम इस संकट में हैं!


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