राजीव रंजन।
कहने को तो ट्विटर एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, लेकिन उसके क्रियाकलापों को देखा जाए, तो एक बात साफतौर पर नजर आती है कि वह एक खास विचारधारा का विरोधी है और एक खास विचारधारा का समर्थक। इसका ताजा उदाहरण है, भाजपा प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा के ट्विट पर “Manipulated Media” यानी भ्रामक कंटेंट का टैग लगा देना। वहीं उसने “मोदी जी हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी” पर जो हजारों ट्वीट आए, उनमें से किसी पर भी भ्रामक कंटेंट का टैग नहीं लगाया, जबकि सच्चाई यही है कि भारत में अभी तक बच्चों की कोई वैक्सीन आई ही नहीं है, तो उसे विदेश कैसे भेज दिया गया।
ट्विटर में वामपंथी भरे पड़े हैं- जैक डॉर्सी, सीईओ, ट्विटर
ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी ने करीब तीन साल पहले 18 अगस्त, 2018 को सीएनएन को दिए इंटरव्यू में यह स्वीकार किया था कि ट्विटर में अधिकांश कर्मचारियों का झुकाव वामपंथ की ओर है। हालांकि ट्विटर की कार्यप्रणाली की वजह से यह बात पहले से ही लगातार कही जा रही थी। लेकिन यह बात इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि स्वयं ट्विटर के सीईओ ने यह बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की थी। हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया था कि इसके बावजूद ट्विटर पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं अपनाता। लेकिन यह सिर्फ कहने की बात थी। 2020 के अमेरिकी चुनावों मे ट्विटर का जो रवैया था, वह डॉर्सी के दावों की पोल खोल देता है। इस मामले में बाहर देखने की भी जरूरत नहीं है। भारत में भी विचारधारा के आधार पर ट्विटर जिस प्रकार की कार्रवाइयां करता है, वे डॉर्सी के निष्पक्ष होने के दावों की पोल खोल देती हैं।
कांग्रेस द्वारा लिखी गई चिट्ठी के आधार पर कार्रवाई
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दम भरने वाले ट्विटर के दोहरे चरित्र का एकदम ताजा उदाहरण है भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा के ट्विट पर “Manipulated Media” टैग लगाना। दूसरे शब्दों में कहें तो ट्विटर का यह मानना है कि इस ट्विट में कोई सच्चाई नहीं है। हालांकि यह क्यों भ्रामक है, इस बारे में ट्विटर ने कोई तर्क नहीं दिया।
Disgusting to say the least ..Rahul Gandhi wanting to use this opportunity of Pandemic to destroy the image of PM Modi.
Congress workers instructed to call the mutant strain as “Modi strain”
No stone left unturned to scar the name of India with the help of Foreign Journalists!! pic.twitter.com/i1ykMB00MA— Sambit Patra (@sambitswaraj) May 18, 2021
संबित पात्रा ने 18 मई, 2021 को कांग्रेस के एक लेटरहेड को साझा करते हुए ट्वीट किया था- “यह बहुत शर्मनाक है… राहुल गांधी महामारी के इस अवसर का उपयोग पीएम मोदी की छवि को नष्ट करने के लिए करना चाहते हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को म्यूटेंट स्ट्रेन को ‘मोदी स्ट्रेन’ कहने का निर्देश दिया गया, विदेशी पत्रकारों की मदद से भारत का नाम खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई!!”
इस ट्वीट पर कांग्रेस ने 19 मई, 2021 को ट्विटर को एक मेल भेजा, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संबित पात्रा, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष सहित कई पार्टी पदाधिकारियों के ट्विटर हैंडल को सस्पेंड करने को कहा, क्योंकि वे फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिये भ्रम फैला रहे हैं। कांग्रेस का आरोप था कि जिस दस्तावेज को उसका टूलकिट बताया जा रहा है, वह फर्जी है। हालांकि कांग्रेस ने भी अभी तक कोई प्रमाण नहीं दिया है कि यह टूलकिट फर्जी है। इस मामले पर वह बस जुबानी जमा-खर्च कर रही है।
सवाल उठता है कि ट्विटर को क्या अधिकार है कि वह किसी भी दुष्प्रचार का खंडन करने वाले पोस्ट को भ्रामक घोषित कर दे, वह भी सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी कांग्रेस द्वारा लिखी गई एक चिट्ठी के आधार पर, जिसके पक्ष में उसने कोई प्रमाण भी नहीं दिया? या ट्विटर को क्या अधिकार है कि वह सिर्फ इस आधार पर किसी ट्वीट को भ्रामक घोषित कर दे कि वह उसके कर्मचारियों की विचारधारा को सूट नहीं करता?
भाजपा ने जताई नाराजगी
संबित पात्रा के टूलकिट सम्बंधी ट्वीट को “Manipulated Media” यानी भ्रामक खबर बताए जाने पर केंद्र की भाजपा सरकार ने ट्विटर से कड़ा ऐतराज जताया है। केंद्र सरकार ने ट्विटर को पत्र लिखकर स्पष्ट रूप से कहा है कि वह इस तरह के टैग को हटाए, जो पूर्वग्रह से ग्रसित है। समानता और पक्षपात रहित वातावरण और अवसर के लिए ऐसा करना जरूरी है। सरकार ने ट्विटर से कहा है कि उसकी भूमिका बस एक माध्यम के रूप में है, लेकिन ट्वीट पर “Manipulated Media” का टैग लगा कर उसने उसने फैसला सुनाने की कोशिश की है, जो पूरी तरह गलत है।
कई उदाहरण हैं ट्विटर के पक्षपात के
इससे पहले भी ट्विटर के पक्षपात के कई उदाहरण देखने के मिले हैं। अभी कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में पोस्टर लगाए- “मोदी जी हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी”। इसे ट्विटर पर भी खूब शेयर किया गया, जबकि हकीकत यह है कि भारत में अभी तक बच्चों की कोई वैक्सीन आई ही नहीं है। खुद आप के सर्वेसर्वा और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दो-चार दिन पहले प्रधानमंत्री से आग्रह किया था कि बच्चों की वैक्सीन पर प्राथमिकता से काम किया जाए। केजरीवाल की यह मांग ही उनकी पार्टी द्वारा लगाए गए पोस्टर के झूठ को बेनकाब कर देती है। तो इस तरह के झूठे पोस्टर को जब ट्विटर पर शेयर किया गया, तब इसे इसमें कुछ भी “Manipulated” नहीं दिखा।
इसी तरह, जनवरी, 2021 के अंत में ट्विटर पर एक ट्रेंड चलाया गया- #ModiPlanningFarmerGenocide, जो देश कानून व्यस्था की स्थिति को खराब कर सकता था, डर और अशांति पैदा कर सकता था, लेकिन ट्विटर को इसमें कुछ भी गलत नहीं लगा। इसके बाद सरकार ने ट्विटर को कुछ ट्विटर अकाउंट सस्पेंड करने को कहा, लेकिन ट्विटर ने सरकार के निर्देशों की अवहेलना की। जब सरकार ने सख्त चेतावनी दी, तो ट्विटर ने झूठ फैलाने वाले कुछ अकाउंट सस्पेंड किए।
NO BODY WANTS MODI WHEN HE IS KILLING THE MOST IMPORTANT PEOPLE OF AN OVERPOPULATED NATION#FarmersProstest#ModiPlanningFarmerGenocide#ModiWhereAreTheMissingFarmers#AskIndiaWhy https://t.co/aLiYF9ppAd pic.twitter.com/g0ndYKgy35
— Aditi Agarwal (@AditiAg37291211) February 14, 2021
पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक फोटो साझा कर आरोप लगाया कि पुलिस एक बुजुर्ग किसान को लाठी से पीट रही है। भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस घटना का पूरा वीडियो ही शेयर कर दिया, जिसमें साफ पता चल रहा था कि किसान को कोई डंडा नहीं मारा गया है और राहुल दुष्प्रचार कर रहे हैं। लेकिन ट्विटर ने मालवीय के ट्वीट को ही “भ्रामक सामग्री” करार दे दिया। अब इसका उलटा उदाहरण देखिए। प्रधानमंत्री मोदी असम में एक रैली कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस गरीब को गरीब रखना चाहती है। कांग्रेस के आईटी सेल के मुखिया रोहन गुप्ता ने वीडियो को ऐसे एडिट कर प्रस्तुत किया, जिससे लग रहा था कि मोदी गरीबों के विरोधी हैं। लेकिन ट्विटर ने रोहन गुप्ता के वीडियो पर “Manipulated Media” का टैग नहीं लगाया।
भारत विरोधी नारे लगाने पर कुछ नहीं कहा, अभाविप का अकउंट सस्पेंड किया
ट्विटर अनेक मौकों पर भाजपा नेताओं, समर्थकों के अकाउंट को छोटी-छोटी बातों पर सस्पेंड कर चुका है। लेकिन वामपंथियों, कांग्रेसियों और भाजपा विरोधी लोगों के बड़े-बड़े प्रोपेगेंडा पर चुप्पी साध जाता है। सीएए को लेकर कितनी अनर्गल बातें कहीं गईं, लेकिन ट्विटर ने कोई कार्रवाई नहीं की। एक बार संघ से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अकाउंट को ट्विटर ने सस्पेंड कर दिया। जब विरोध दर्ज कराया गया, तो अकाउंट तो फिर से चालू कर दिया, लेकिन हजारों फॉलोवरों को गायब कर दिया गया। जब दिल्ली में कई छात्रों ने भारत से आजादी के नारे लगाए, तो उसकी प्रतिक्रिया में पोस्ट करने वाले विद्यार्थी परिषद् के सदस्यों के ट्विटर अकाउंट एक दिन के लिए मनमाने तरीके से सस्पेंड कर दिए गए थे, जबकि वामपंथी संगठनों के लोगों के अकाउंट पर ट्विटर ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। ट्विटर ने कश्मीर को पाकिस्तान में दिखा दिया था, जो उसके कर्मचारियों की सोच को परिलक्षित करता है।
क्या ये उदाहरण ट्विटर की दोहरी सोच को नहीं दिखाते? क्या ये उदाहरण ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी की इस बात को सच नहीं प्रमाणित करते कि ट्विटर पर वामपंथियों का कब्जा है? वह दक्षिणपंथ का घोर विरोधी नहीं है?