आपका अखबार ब्यूरो।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधानसभा चुनावों में नंदीग्राम विधानसभा से कभी अपने ही सिपहसलार रहे शुवेंदु अधिकारी से पराजित हो गई थीं। अब वह मुख्यमंत्री बने रहने के लिए अपनी पुरानी सीट भवानीपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। इस चर्चा को बल मिलने के पीछे बड़ा कारण यह है कि भवानीपुर के टीएमसी विधायक ने इस्तीफा दे दिया है।
हार के बावजूद मुख्यमंत्री बनीं ममता
भारतीय राजनीति में शायद ही ऐसा देखने को मिला हो कि रिकॉर्ड बहुमत हासिल करने वाली पार्टी का सबसे प्रमुख नेता ही चुनाव हार जाए, जिसके चेहरे पर चुनाव लड़ा गया हो। कहते हैं कि राजनीति में किसी संभावना या आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। मार्च-अप्रैल, 2021 में संपन्न हुए पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में राजनीति का यह खेल देखने को मिला। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने 213 सीटों के साथ दो-तिहाई से ज्यादा बहुमत हासिल किया, लेकिन वह खुद चुनाव हार गईं। कभी टीएमसी का प्रमुख चेहरा रहे शुवेंदु अधिकारी ने उन्हें मात दे दी। हालांकि इस हार के बावजूद ममता ने तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
छह महीने के अंदर बनना पड़ेगा विधानसभा का सदस्य
केंद्र या राज्य में किसी भी सदन का सदस्य हुए बिना या जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं चुने जाने के बाद भी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री बनने की परम्परा भारत में काफी पुरानी रही है। कभी भी लोकसभा का चुनाव नहीं जीत पाए मनमोहन सिंह राज्यसभा के रास्ते 10 साल देश के प्रधानमंत्री रहे। पी.वी. नरसिम्हराव जब प्रधानमंत्री बने थे, तब किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। बाद में वह रिकॉर्ड वोटों से जीत कर लोकसभा में पहुंचे। इंदिरा गांधी भी जब पहली बार प्रधानमंत्री बनी थीं, तो राज्यसभा की सदस्य थीं, लोकसभा की नहीं। अब ममता बनर्जी भी हारने के बाद मुख्यमंत्री बनी हैं। संविधान के अनुसार, उन्हें छह महीने के अंदर विधानसभा से ही चुनकर सदन में पहुंचना होगा, क्योंकि पश्चिम बंगाल में विधान परिषद् नहीं है। राज्य में 1969 में ही विधान परिषद् को समाप्त कर दिया गया था। हालांकि ममता बनर्जी सरकार ने राज्य में फिर से विधान परिषद् को स्थापित करने की कवायद शुरू की है, अगर ऐसा होता है, तो भी उसमें अभी समय लगेगा। फिलहाल, ममता को विधायक बनाने की कवायद पार्टी ने शुरू कर दी है।
भवानीपुर के विधायक ने इस्तीफा दिया
ममता बनर्जी 2016 में भवानीपुर से ही विधायक बनी थीं, लेकिन इस बार वह नंदीग्राम चली गईं। भवानीपुर से टीएमसी के ही शोभनदेव चट्टोपाध्याय भाजपा के रुद्रनील घोष को हराकर विधायक बने थे। अब ममता बनर्जी के लिए रास्ता बनाने के उद्देश्य से शोभनदेव ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया है। शोभनदेव ने कहा कि मैं उनकी सीट पर खड़ा हुआ था और जीत गया। मैं विधायक का पद इसलिए छोड़ रहा हूं, ताकि वह (ममता बनर्जी) निष्पक्ष तरीके से चुनाव जीत सकें और मुख्यमंत्री बनी रहें। ममता बनर्जी की जीत हम सभी के लिए है। गौरतलब है कि 2011 में जब ममता बनर्जी पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनी थीं, तब विधानसभा की सदस्य नहीं थीं। उस समय भी वह भवानीपुर से उपचुनाव लड़ी थीं और विधानसभा में पहुंची थीं। 2011 में टीएमसी के भवानीपुर के विधायक सुब्रत बक्शी ने अपनी नेता का रास्ता साफ करने के लिए विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। 2011 के भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव में ममता बनर्जी से 54,000 से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। 2016 में यह अंतर घट कर 25,301 वोट रह गया था।