के. विक्रम राव।
बुडापेस्ट के महापौर तथा उनके सियासी प्रतिद्वंद्वी हंगरी गणराज्य के प्रधानमंत्री के बीच राजधानी के सड़कों पर आजकल खुली जंग छिड़ी हुई है। वजह है कि कम्युनिस्ट चीन ने राजमार्ग पर एक विशाल भूखण्ड खरीद लिया है। चीन वहां पर शंघाई के फूदान विश्वविद्यालय का अंतरराष्ट्रीय केन्द्र स्थापित करना चाहता है। प्रतिपक्ष के 45 वर्षीय सोशलिस्ट मेयर गर्गली कारास्कोनी तथा सत्तारुढ़ दक्षिणपंथी फिडसेन पार्टी (नागरिक मोर्चा) के साठ वर्षीय प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन की कलह से राजमार्ग पर जनसैलाब द्वारा प्रदर्शन हो रहा है। सोशलिस्टों का आरोप है कि इस पूर्व यूरोपीय गणराज्य में कम्युनिस्ट चीन शिक्षा-प्रचार की आड़ में जमींदार बनने की साजिश रच रहा है। अर्थात मेयर की मातृभूमि का मुनाफे हेतु सौदा करने पर वह आमादा हैं।

चीन को मिर्ची

सोशलिस्ट महापौर स्वीकारते हैं कि भूमि पर नियंत्रण भले ही केन्द्रीय शासन का है। प्रधानमंत्री तथा उनके चीनवाले सौदागर- सुहृदों को हैरान-परेशान करने की कारगर तदबीर मेयर ने खोज ही ली है। इससे हंगरी शासन से कहीं अधिक बीजिंग के विस्तारवादी खरीददार मायूस हो जायेंगे और उलझन में पड़ेंगे।

चीनी विश्वविद्यालय और दलाई लामा

Dalai Lama releases a album of mantras and music on his 85th birthday

महापौर कारास्कोनी ने इस प्रतिष्ठित फूदान (शंघाई) विश्वविद्यालय से बुडापेस्ट में सटी पांच सड़कों का नामकरण अपनी नगरमहापालिका से करवा लिया है। मुख्य मार्ग का नाम तिब्बत के विद्रोही धर्मगुरु दलाई लामा के नाम पर रखा है। चीन के अधिनायक शी जिनपिंग दलाई लामा को चीन का घोरतम शत्रु और साम्यवाद का मुख्य विरोधी कहते हैं। यूं भी भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सुझाव दिया गया था कि शान्तिपथ का नाम बदल कर ‘दलाई लामा मार्ग’ कर दिया जाये। इसी सड़क के 50-डी वाले विशालतम भूखण्ड को कम्युनिस्ट चीन के दूतावास के लिये जवाहरलाल नेहरु ने 1949 में स्वयं आवंटित किया था। ‘भाई-भाई’ का युग था। उस दौर में अमेरिकी साम्राज्यवाद से नवोदित जनवादी चीन माओ जेडोंग की रहबरी में अपना मुक्ति संघर्ष चला रहा था। ठीक सात साल के बाद दलाई लामा को बौद्ध ल्हासा- स्थित पोटाला मठ छोड़कर हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में भागकर शरण लेनी पड़ी थी। अब बुडापेस्ट के महापौर की भांति दिल्ली के भाजपाई में ऐसी लौह इच्छाशक्ति तो है नहीं।

‘उइगर हुतात्मा पथ’

China defends Hungary university plan following Budapest protest | Human Rights News | Al Jazeera

मेयर कारास्कोनी ने आगे बढ़कर कई कदम उठाये। अगली सड़क का नाम ‘उइगर हुतात्मा पथ’ रखा है। पूर्वी चीन के इस्लामी प्रदेश शिनाजियांग में पैगम्बर के धर्मावलम्बियों पर कम्युनिस्ट चीन द्वारा हो रहे अकथनीय अत्याचारों के प्रतिकार में यह नामकरण हुआ है। वहां मार डाले गये प्रदर्शनकारियों की स्मृति संजोयी गयी है। गत सप्ताह संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार समिति ने उइगर में मौकाये वारदात का निरीक्षण करने का यात्रा कार्यक्रम घोषित किया था। बीजिंग ने अनुमति नहीं दी। वहां के मुसलमानों का चीन के कम्युनिस्टों पर आरोप है कि उन्हें जबरन शूकर-मांस खिलाया जाता है। उनके मस्जिद बंद कर दिये गये। नमाज पर पाबंदी है। अजान खामोश है। अरबी लिपि में किताबें, खासकर कुरान मजीद को जब्त कर लिया गया है। ग्यारह लाख मुसलमान युवजन को प्रशिक्षण शिविरों में नजरबंद कर उन्हें नास्तिकता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। दो दिन बीते। इस्लामी पाकिस्तान के वजीरे आजम, कट्टर पठान सुन्नी, खान मोहम्मद इमरान खान ने कहा (22 जून 2021, ‘टाइम्स आफ इंडिया’, पृष्ठ-6, कालम : 7-8) कि उइगर के हमधर्मी (इस्लामिस्टों) पर ‘कोई जुल्म नहीं हो रहा है।’ अब सत्रह अरब डालर का उधार पाकिस्तान द्वारा चीन को लौटाना है। तो क्या प्रमुख है? मजहब या डालर?

चीन के बागी बुडापेस्ट के हीरो

Budapest renames streets after Hong Kong, Dalai Lama to protest nearby site for China's Fudan University | South China Morning Post

बुडापेस्ट में तीसरी सड़क का नाम महापौर कारास्कोनी ने ईसाई बिशप जी. शिगउझांग के नाम पर रखा है। यह पादरी चीन के साम्यवादी तानाशाह द्वारा कारागार में असह्य उत्पीड़न का शिकार था। आखिर में राजद्रोह के आरोप में उसे फांसी दे दी गयी थी। आस्था की आजादी हेतु  इस पादरी ने उत्सर्ग किया। शहादत दी। पांचवीं सड़क ‘आजाद हांगकांग मार्ग’ कहलाती है। इस संघर्षरत द्वीप की जनता के साथ सहनभूति में।

यूरोपियन संसद ने ओर्बन को चेतावनी

अत: आम हंगेरियन नागरिक की कामना है कि चीन के फुदान (शंघाई) विश्वविद्यालय को इन बागियों के नामवाले राजमार्गों के बीच ही संजोया जाये। रावण की लंका में विभीषणगृह का उलटा रुप बुडापेस्ट में दिखेगा। उधर प्रधानमंत्री ओर्बन ने इन प्रतिरोधी नागरिकों को तंग करने के लिये नया कठोर कानून लागू किया है। किसी भी आलोचक को कोविड के विषाणु की ‘अफवाह’ फैलाने के इल्जाम में पांच साल की सजा बमशक्कत लाजिम कर दी है। अर्थात जनवादी स्वतंत्रता की आखिरी लौ भी प्रधानमंत्री ने बुझा दी हैं। यूरोपियन संसद ने ओर्बन को चेतावनी दी है कि यदि लोकतंत्र खत्म कर वह अधिनायकवाद थोपेगा तो निष्कासन भुगतना पड़ेगा।

भूमि का दाम 1.8 खरब डालर

Hungary: After Massive Protests Erupts Against Construction Of Chinese University Campus, Orban Govt May Delay The

इसी बीच एक निष्पक्ष समाचार संस्था ‘डाइरेक्ट-36’ ने विश्वविद्यालय की भूमि के दाम का 1.8 खरब डालर अनुमान लगाया है। चीन से हंगरी सवा खरब डालर का ऋण लेकर निर्माण कार्य शुरु करेगा। हंगरी का शिक्षा पर आवंटित समूचा बजट ही एक खरब डालर (70 खरब रुपये) से कम ही होता है। अर्थात कठिन वित्तीय संकट आसन्न है।

कहाँ दिल्ली, कहाँ बुडापेस्ट

The Truth About Aurangzeb - Open The Magazine

भारत की दृष्टि से इस पूरे माजरे पर गौर करें तो एक अजीब सा एहसाह होता है। क्रूरतम मुगल शासक, घोरतम हिन्दू-विरोधी, कट्टर मुसलमान बादशाह मोहिउद्दीन मोहम्मद आलमगीर औरंगजेब के नाम पर नई दिल्ली में दशकों से चली आ रही सड़क का नाम बदलने में आजाद तथा सेक्युलर भारत को सात दशक लगे। हंगरी में एक युवा सोशलिस्ट ने दो नम्बर की विश्वशक्ति लाल चीन को बुडापेस्ट की सड़कों पर पटखनी दे दी। दिखा दिया कि दिल्ली की दस फीसदी आबादी वाले और उसके भूभाग से भी आधी राजधानी, बुडापेस्ट दृढ़ संकल्पवाला, ज्यादा शक्तिवाला शहर है।

दो शहर मिलकर बना बुडापेस्ट

Thousands in Hungary march in support of Soros-backed university | The Times of Israel

 

राजधानी बुडापेस्ट दो शहरों को मिलाकर, (जैसे हैदराबाद—सिकन्दराबाद) बना है। यहां डेन्यूब नदी (गंगा जैसी विशाल और लम्बी) आस्ट्रिया और कई राष्ट्रों को छूती हुयी बहती है। अगस्त 1984 में प्राहा (चेकोस्लोवाकिया) में विश्व पत्रकार सम्मेलन में भाग लेकर हमारा हंगरी जाना हुआ था। जहाज से डेन्यूब के जलमार्ग से वियना (आस्ट्रिया) गये। वह उस इमारत को देखा जहां एडोल्फ हिटलर का उसके जर्मनभाषी लोगों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया था।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। आलेख सोशल मीडिया से)