डॉ. संतोष कुमार तिवारी
एक जमाना था जब महिलाओं का कहानियां और उपन्यास लिखना सामाजिक तौर पर बहुत बुरा समझा जाता था। सन् 1811 में इंग्लैंड में जब Ms Jane Austen के उपन्यास Sense and Sensibility के पहले खण्ड का प्रकाशन हुआ, तब उसमें लेखिका का नाम नहीं प्रकाशित किया गया था। लेखिका के नाम के स्थान पर लिखा था: BY A LADY.
यह एक रोमांटिक उपन्यास था। उस जमाने में यह बहुत लोकप्रिय हुआ। तब Ms Jane Austen ने दूसरा उपन्यास लिखने का बीड़ा उठाया।
दूसरे उपन्यास का टाइटिल था: Pride and Prejudice
यह उपन्यास 1813 में पहली बार प्रकाशित हुआ। Pride and Prejudice ने तो उपन्यासों की दुनिया में धूम मचा दी। एक अनुमान के अनुसार आज भी यह विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यास है। लेकिन यह उपन्यास भी जब पहली बार सन् 1813 में प्रकाशित हुआ, तब इसमें भी लेखिका का नाम नहीं छापा गया था। लेखिका के नाम के स्थान पर यह छापा गया था: BY THE AUTHOR OF ‘SENSE AND SENSIBILITY’.
Pride and Prejudice कि अब तक दो करोड़ से अधिक प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। कई भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। दुनिया के तमाम देशों में इस पर फिल्में बन चुकी हैं। हाल के कुछ वर्षों में ऑनलाइन पुस्तकों का गुटेनबर्ग प्रोजेक्ट शुरू हुआ, तब जो किताब आज तक सर्वाधिक बार डाउनलोड की गई है वह है Pride and Prejudice. गुटेनबर्ग प्रोजेक्ट में साठ हजार से ज्यादा विश्व प्रसिद्ध पुस्तकें फ्री ऑनलाइन उपलब्ध हैं। इस तथ्य को कोई भी पाठक www.gutenberg.org पर जाकर चेक कर सकता है।
Pride and Prejudice भी एक रोमांटिक उपन्यास है। इसकी शुरुआत का पहला वाक्य है:
‘It is a truth universally acknowledged, that a single man in possession of a good fortune must be in want of a wife.:
अर्थात ‘यह एक सर्वत्र स्वीकृत सत्य है कि एक अकेले अविवाहित अतिधनाढ्य आदमी की एक पत्नी अवश्य होनी चाहिए।’
Ms Jane Austen का जन्म सन् 1775 में इंग्लैंड में हुआ था और और वहीं वर्ष 1817 में 41 साल की आयु में आप का निधन हुआ।
एक बंग महिला
यहां यह भी बता दें कि हिंदी की यशस्वी पत्रिका ‘सरस्वती’ में सन् 1907 में पहली बार जब एक महिला की कहानी छपी थी, तो उसमें उस महिला ने अपना नाम नहीं दिया था। लेखिका के नाम के स्थान पर उसमें लिखा था: एक बंग महिला। कहानी का शीर्षक था: दुलाईवाली। उस लेखिका का वास्तविक नाम था: राजेंद्र बाला घोष। इस लेखिका ने हिंदी में कई कहानियां लिखीं हैं। आप बंगला में ‘प्रवासिनी’ नाम से लिखती थीं। आप सन् 1882 में वाराणसी में जन्मी थीं और आपका वर्ष 1950 के आसपास में मिर्जापुर में निधन हुआ। आपने अपने लेखन से पुरुष-प्रधान समाज की जड़ें हिलाने का प्रयास किया था। आपने ही लेखन की दुनिया में वह जमीन तैयार की जिसमें मुंशी प्रेमचंद जैसे लेखक खड़े हो सके।
(लेखक झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं।)