ध्रुव गुप्त।
दुनिया के तमाम देशों की लोककथाओं में नीचे मछली और ऊपर स्त्री की आकृति वाले विचित्र, रहस्यमय जीव के उल्लेख हैं। इन्हें मत्स्यकन्या, जलपरी अथवा मरमेड कहा गया है।
मत्स्यावतार
हमारे पुराणों में पृथ्वी को जलप्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु के मत्स्यावतार की कथा है जिनकी आधी देह मछली और आधी मनुष्य की थी।
जलपरी सोनमछा
रामायण के थाई संस्करण में रावण की एक बहन सोनमछा जलपरी का जिक्र है जो हनुमान के लंका अभियान को विफल करने की कोशिश में उनसे प्रेम कर बैठती है।
जलपुरुष दागोन
फिलीपींस की लोककथाओं में समुद्र की रक्षा करने वाली सेरिना और सेरिनो नाम की जलपरियों के उल्लेख हैं। प्राचीन कैमरून में सौभाग्य के लिए जेंगू नाम की जलपरी की पूजा होती थी। मेसोपोटामिया और असीरिया संस्कृति में दागोन नामक जलपुरुष को उर्वरता का देवता माना जाता था।
मनुष्यों के साथ प्रेम के किस्से
परियों और नागकन्याओं की तरह मत्स्यकन्याओं के कारनामों और मनुष्यों के साथ उनके प्रेम के किस्से बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी रोमांचित करते रहे हैं। इनपर उपन्यास भी लिखे गए और फिल्में भी बनी हैं। हाल में इस विषय पर बनी एक कोरियाई फिल्म ‘मरमेड’ ने दुनिया भर मे धूम मचाई थी।
कोलंबस का दावा
अब सवाल यह है कि जलपरियों के ये किस्से कल्पना की उड़ान भर हैं या इनमें यथार्थ का थोड़ा-बहुत अंश भी है। आधुनिक काल में कई समुद्र यात्रियों और नाविकों ने इन्हें देखने के दावे किए हैं। कैरेबियन्स की यात्रा के दौरान कोलंबस ने ऐसी ही एक जलपरी को देखने की बात कही थी। हांलाकि वह किस्सों वाली जलपरी जैसी सुंदर नहीं थी।
कलाबाजियां करती जलपरी
वर्ष 2009 में इसराइल के समुद्र में लोगों ने कलाबाजियां करती जलपरी को देखा और तस्वीरें ली थीं। ग्रीनलैंड में पनडुब्बी के कर्मचारियों ने जलपरी को देखने का दावा किया था जिसने पनडुब्बी के शीशे पर अपना हाथ रखा था। उसके हाथ की उंगलियां हम मनुष्यों के जैसी ही थीं। हाल में गुजरात के पोरबंदर में दिखी एक जलपरी की तस्वीरें वायरल हुई थीं, लेकिन उसकी सच्चाई की पुष्टि नहीं हुई।
एलियंस और जलपरियां
दुनिया भर में एलियंस की तरह जलपरियों को देखने के दावे होते रहे हैं, लेकिन प्रामाणिक साक्ष्य के अभाव में वैज्ञानिक उन पर भरोसा नहीं करते। वैज्ञानिकों की बात अलग है, हमारा मन तो कहता है कि जिस समुद्र में जीवों की असंख्य प्रजातियां मौजूद हैं वहां थोड़ा मनुष्य और थोड़ी मछली जैसी दिखने वाली एक प्राणी क्यों नहीं हो सकती?
कल्पनाओं के साथ थोड़ी सच्चाई भी
संभव है, हमारे पूर्वजों ने ऐसे जीव देखे हों और लोगों को उनकी कहानियां सुनाई हों। कालांतर में कथा कहने वालों की असंख्य पीढ़ियों ने अपनी कल्पनाशीलता और रूमान के हिसाब से उनमें बहुत कुछ जोड़ा होगा। जलपरियों की जो कहानियां आज मिथक के तौर हम सुन रहे हैं उनमें बहुत सारी कल्पनाओं के साथ थोड़ी-सी सच्चाई भी शायद हो।
(लेखक जाने माने साहित्यकार और पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। आलेख सोशल मीडिया से)