प्रमोद जोशी।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शनिवार को देश को संबोधित किया और कहा कि मैं इस्तीफा नहीं दूँगा। इससे पहले सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि उन्होंने अपने इस्तीफे का संदेश रिकॉर्ड कर लिया है जो किसी भी वक्त जारी किया जा सकता है। फिलहाल हालात तालिबान के पक्ष में जाते नजर आ रहे हैं। इस बीच अशरफ ग़नी के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि देश में शांति-स्थापना के लिए एक समझौते पर विचार किया जा रहा है। अशरफ ग़नी के पास क्या विकल्प हैं और वे किस तरह से काबुल को बचाएंगे, अभी यह समझ में नहीं आ रहा है। लगता है कि अमेरिका इस मामले में हस्तक्षेप करने को तैयार नहीं है। उधर दोहा में चल रही बातचीत किसी नतीजे के बगैर खत्म हो गई है।
पूरा ध्यान अस्थिरता, हिंसा रोकने पर
अपने संबोधन में अशरफ गनी ने इस्तीफे का ऐलान नहीं किया। उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहा, ‘एक राष्ट्रपति के रूप में मेरा ध्यान लोगों की अस्थिरता, हिंसा और विस्थापन को रोकने पर है। …मौजूदा समय में सुरक्षा और रक्षा बलों को दोबारा संगठित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।’
अंतरराष्ट्रीय भागीदारों से साथ परामर्श
अशरफ ग़नी ने कहा कि हत्याओं को बढ़ने से रोकने, बीते 20 सालों के हासिल को नुकसान से बचाने, विनाश और लगातार अस्थिरता को रोकने के लिए वह अफगानों पर थोपे गए युद्ध को मंजूरी नहीं देंगे। हम मौजूदा स्थिति को लेकर स्थानीय नेताओं और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों से साथ परामर्श कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने अफगान नागरिकों और देश की रक्षा के लिए सेना को उनकी बहादुरी और बलिदान के लिए भी धन्यवाद दिया। उन्होंने लड़ाई में ANDSF (अफगान नेशनल डिफेन्स एंड सिक्यूरिटी फोर्सेज) का समर्थन करने के लिए देश को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि देश के अंदर और बाहर दोनों जगह व्यापक विचार-विमर्श शुरू हो गया है ताकि आगे अस्थिरता, युद्ध, विनाश और हत्या को रोका जा सके। इन परामर्शों के नतीजे जल्द ही जनता से साझा किए जाएंगे।
तेजी से कब्जा जमा रहा तालिबान
उधर तालिबान तेजी से अफगानिस्तान के प्रमुख शहरों पर कब्जा जमाते जा रहे हैं। अब उनके कंधार और लश्करगाह पर भी कब्जा जमाने की खबरें आ रही हैं। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, तालिबान ने शुक्रवार को दावा किया कि उसने एक और प्रांतीय राजधानी कंधार पर कब्जा कर लिया है। इसके अगले दिन ही लश्कर गाह पर भी उसने अपना कब्जा जमा लिया।
अगला टारगेट काबुल
अब सिर्फ राजधानी काबुल उससे बचा हुआ है। काबुल के बाद कंधार ही अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। अब तालिबान का अगला टारगेट काबुल हो सकता है। कंधार में ही बीते दिनों तालिबानियों ने भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश की हत्या कर दी थी। कंधार पर कब्जा करने से पहले गुरुवार को तालिबान ने दो और प्रांतीय राजधानी गजनी और हेरात पर कब्जा कर लिया था। तालिबानी काबुल से महज 130 किलोमीटर दूर है। इस तरह से उसने अब तक 13 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। अब तक इन स्थानों पर कब्जे की खबरें हैं: 1.जरांज, 2.शबरग़ान, 3.सर-ए-पुल, 4.कुंदूज, 5.तालोकान, 6.ऐबक, 7.फराह, 8.पुल ए खुमारी, 9.बदख्शां, 10.गजनी, 11.हेरात, 12.कंधार, 13.लश्कर गाह।
हजारों कैदी छुड़ाए
जिन शहरों पर तालिबान का कब्जा हो रहा है वहाँ की जेलों से कैदी रिहा किए जा रहे हैं। जेल प्रशासन के निदेशक सफीउल्लाह जलालज़ई ने कहा कि इनमें से ज्यादातर को नशीली दवाओं की तस्करी, अपहरण और सशस्त्र डकैती के लिए सजा सुनाई गई थी। इनमें तमाम तालिबानी भी शामिल हैं। उन्हें अब सरकार के खिलाफ लड़ाई में लगाया जा रहा है। कुंदूज में रिहा कराए गए 630 कैदियों में 180 तालिबान आतंकी थे। इनमें से 15 को अफगान सरकार ने मौत की सजा सुनाई थी। निमरोज़ प्रांत के जरांज शहर से छुड़ाए गए 350 कैदियों में से 40 तालिबान आतंकी थे।
तालिबान ने प्रस्ताव ठुकराया
इस बीच अफगानिस्तान की सरकार ने तालिबान को सत्ता में भागीदारी का प्रस्ताव दिया था। इसके बदले में अफगानिस्तान सरकार ने तालिबान से शहरों पर हमले बंद करने के लिए कहा था, लेकिन तालिबान ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिससे अमेरिकी गठबंधन की सेनाओं की वापसी के बाद जबरदस्त गृहयुद्ध की चपेट में आ गए अफगानिस्तान में शांति की उम्मीद फिलहाल खत्म हो गई है।
इमरान का दर्द : अमेरिका की पसंद है भारत
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने घर पर विदेशी पत्रकारों से बात करते हुए अपना दर्द बयां किया। उन्होंने अमेरिका पर कटाक्ष करते हुए कहा, वाशिंगटन पाकिस्तान को 20 साल तक अफगानिस्तान में छेड़े गए युद्ध में इस्तेमाल करने के रूप में देखता है और जब रणनीतिक साझेदारी की बात आती है तो वह भारत को पसंद करता है। उन्होंने कहा, अमेरिका ने पाक को सिर्फ अफगानिस्तान में फैली गंदगी को साफ करने के लिए फायदेमंद समझता है। खान ने कहा, मैं समझता हूं कि अमेरिकियों ने फैसला कर लिया है कि उनका रणनीतिक साथी अब भारत है और इसी वजह से वे पाक के साथ अलग बर्ताव कर रहे हैं।
राजनीतिक समझौता मुश्किल
इमरान खान ने कहा कि जब तक अशरफ गनी देश के राष्ट्रपति रहेंगे तब तक आतंकी गुट अफगानिस्तान सरकार से बात नहीं करेगा। उन्होंने अपने मन की बात रखते हुए कहा कि मौजूदा हालात में राजनीतिक समझौता मुश्किल दिख रहा है। उन्होंने कहा, मैंने तालिबान को मनाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने कहा कि गनी के होते हम बात नहीं कर सकते।
(लेखक ‘डिफेंस मॉनिटर’ पत्रिका के प्रधान सम्पादक हैं। आलेख ‘जिज्ञासा’ से)