प्रदीप सिंह।
हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। कई लोगों को यह जानने की उत्सुकता रहती है कि आजादी की तारीख तय हुई थी 14 अगस्त… फिर वह 15 अगस्त कैसे हो गई। इस पूरे किस्से के बारे में देश के मशहूर ज्योतिषी केएन राव ने अपनी प्रसिद्ध किताब The Nehru dynasty: Astro-political portraits of Nehru, Indira, Sanjay & Rajiv (द नेहरू डायनेस्टी: एस्ट्रो पॉलीटिकल पोर्ट्रेट्स ऑफ़ नेहरू, इंदिरा, संजय एंड राजीव) में प्रकाश डाला है। उन्होंने दो उदाहरण दिए हैं।
ज्योतिषियों ने कहा कि 14 तारीख शुभ नहीं
एक उदाहरण है 28 मई 1988 का। ‘द टाइम्स ऑफ लंदन’ अखबार में ब्रिटेन के राजनेता पत्रकार और लेखक रहे सर वुड्रो वायट ने लिखा था कि आजादी के लिए 14 अगस्त की तारीख कैबिनेट और लॉर्ड माउंटबेटन पर दबाव डालकर तय करवाई गई थी। हालांकि वायट ने यह नहीं लिखा कि किसने दबाव डाला- क्यों दबाव डाला। उसका ज्योतिषीय पक्ष बाद में उभर कर आता है। जब यह तारीख तय हुई तो उससे कांग्रेस के हिंदू नेताओं के मन में बड़ी चिंता व्याप्त हो गई। देश के ज्यादातर ज्योतिषियों ने कहा कि 14 अगस्त की तारीख शुभ नहीं है। फिर ज्योतिषियों से कहा गया कि तारीख तो नहीं बदली जा सकती है- आप इसी तारीख में कोई अच्छा सा मुहूर्त बताइए। तब उन लोगों ने रात 12 बजे का मुहूर्त बताया। इसलिए हमें आजादी रात 12 बजे मिली।
रात 12 बजे का मुहूर्त
रात 12 बजे का मुहूर्त क्यों निकाला गया- इसके बारे में केएन राव ने लिखा कि ज्योतिष में दिन और रात तथा रात और दिन का मध्य काल अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। यानी दिन में 12 बजे और रात में 12 बजे का समय। जब कोई अन्य मुहूर्त या शुभ समय ना हो तो इस मुहूर्त में काम करना अच्छा होता है। दूसरी बात केएन राव ने यह कही कि उस समय पुष्य नक्षत्र था जो शनि का महा नक्षत्र माना जाता है …और यह ऐसा समय है जिसे किसी भी राज्य की स्थापना के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है।
भारत के लिए वह समय अच्छा रहा
सर वुड्रो वायट को यह कारण तो नहीं मालूम था- उन्होंने लिखा कि 14 अगस्त को आजादी की तारीख तय हुई। भारत ने रात 12 बजे का समय चुना और इतिहास बताता है कि भारत के लिए वह समय अच्छा रहा। पाकिस्तान में जिन्ना का तारीख और समय को लेकर कोई विचार नहीं था- इसलिए पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को होता है। और पाकिस्तान की क्या हालत है यह हम सब देख ही रहे हैं।
नेहरु और ज्योतिष
जवाहरलाल नेहरु की बात करें तो उनके किसी भी जीवनी लेखक ने ज्योतिषीय पक्ष का जिक्र नहीं किया। नेहरू परिवार शुरू से ही सार्वजनिक रूप से यह कहता रहा है कि उनका ज्योतिष के ढकोसलों और अंधविश्वास पर उनका यकीन नहीं है लेकिन जगह जगह इसके प्रमाण मिलते हैं कि सारे काम ज्योतिषीय गणना के अनुसार किए गए।
नेहरू ने क्या किया
केएन राव ने अपनी पुस्तक में पत्रकार-लेखक दुर्गा दास के हवाले से लिखा है कि 14 अगस्त और आधी रात का समय- इस सब का नेहरू पर क्या असर हुआ। नेहरू के किसी जीवनीकार या उस समय के इतिहासकार ने यह नहीं लिखा है कि नेहरू को इस बात पर एतराज था कि यह मुहूर्त वगैरह क्या होता है? तो नेहरू ने क्या किया- वह इस मुहूर्त तक कैसे पहुंचे- और कैसे कहते कि हम रात 12 बजे आजादी लेंगे।
संविधान सभा की बैठक
इसके लिए नेहरु ने 14 अगस्त को दोपहर में संविधान सभा की बैठक बुला ली। वह बैठक रात 12 बजे तक चलती रही। उसमें उनका मशहूर भाषण हुआ जिसे ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ (Tryst with destiny) के नाम से जाना जाता है- ‘आज जैसे ही घड़ी की सुईयां मध्यरात्रि की घोषणा करेंगी, जब सारी दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और आजादी की करवट के साथ उठेगा…’
क्योंकि वह आधी रात को हुआ तो हिंदू कैलेंडर के लिहाज से वह ‘जीरो आवर’ हो गया- मध्यकाल हो गया- अभिजीत मुहूर्त हो गया… और अंग्रेजी प्रथा के हिसाब से वह तारीख बदल कर 14 से 15 अगस्त हो गई।