प्रमोद जोशी।
अरबी शब्द तालिब का अर्थ है तलब रखने वाला, खोज करने वाला, जिज्ञासु या विद्यार्थी। अरबी में इसके दो बहुवचन हैं- तुल्लाब और तलबा। भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान में इसका बहुवचन तालिबान बन गया है। मोटा अर्थ है इस्लामी मदरसे के छात्र। अफगानिस्तान में सक्रिय तालिबान खुद को अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात का प्रतिनिधि कहते हैं। नब्बे के दशक की शुरुआत में जब सोवियत संघ अफ़ग़ानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा था, उस दौर में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने वाले मुजाहिदीन के कई गुट थे। इनमें सबसे बड़े समूह पश्तून इलाके से थे।


अमेरिका ने दिए थे हथियार

पश्तो-भाषी क्षेत्रों के मदरसों से निकले संगठित समूह की पहचान बनी तालिबान, जो 1994 के आसपास खबरों में आए। तालिबान को बनाने के आरोपों से पाकिस्तान इनकार करता रहा है, पर इसमें  संदेह नहीं कि शुरुआत में तालिबानी पाकिस्तान के मदरसों से निकले थे। इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए सऊदी अरब ने धन मुहैया कराया। इस आंदोलन में सुन्नी इस्लाम की कट्टर मान्यताओं का प्रचार किया जाता था। चूंकि सोवियत संघ के खिलाफ अभियान में अमेरिका भी शामिल हो गया, इसलिए उसने भी दूसरे मुजाहिदीन समूहों के साथ तालिबान को भी संसाधन, खासतौर से हथियार उपलब्ध कराए।

2001 तक सत्ता में रहा तालिबान

Mullah Omar's son takes charge of Taliban - Times of India

अफगानिस्तान से सोवियत संघ की वापसी के बाद भी लड़ाई चलती रही और अंततः 1996 में तालिबान काबुल पर काबिज हुए और 2001 तक सत्ता में रहे। इनके शुरुआती नेता मुल्ला उमर थे। सोवियत सैनिकों के जाने के बाद अफ़ग़ानिस्तान के आम लोग मुजाहिदीन की ज्यादतियों और आपसी संघर्ष से परेशान थे इसलिए पहले पहल तालिबान का स्वागत किया गया। भ्रष्टाचार रोकने, अराजकता पर काबू पाने, सड़कों के निर्माण और कारोबारी ढांचे को तैयार करने और सुविधाएं मुहैया कराने में इनकी भूमिका थी।

सज़ा देने के इस्लामिक तौर तरीके

World Trade Center and Pentagon attacked on Sept. 11, 2001 - Los Angeles Times

तालिबान ने सज़ा देने के इस्लामिक तौर तरीकों को लागू किया। पुरुषों और स्त्रियों के पहनावे और आचार-व्यवहार के नियम बनाए गए। टेलीविजन, संगीत और सिनेमा पर पाबंदी और 10 साल से अधिक उम्र की लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी गई। उस तालिबान सरकार को केवल सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और पाकिस्तान ने मान्यता दी थी। 11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद दुनिया का ध्यान तालिबान पर गया।

लादेन को शरण देने का आरोप

Taliban set hard conditions for peace talks with Afghan govt | World News - Hindustan Times

अमेरिका पर हमले के मुख्य आरोपी ओसामा बिन लादेन को शरण देने का आरोप तालिबान पर लगा। अमेरिका ने तालिबान से लादेन को सौंपने की माँग की, जिसे तालिबान ने नहीं माना। इसके बाद 7 अक्टूबर, 2001 को अमेरिका के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय सैनिक गठबंधन ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला कर दिया और दिसंबर के पहले सप्ताह में तालिबान का शासन ख़त्म हो गया।

लादेन, उमर दोनों पाक में मरे

Osama bin Laden's Files: Pakistan operations chief denied spot on top shura | FDD's Long War Journal

ओसामा बिन लादेन और तालिबान प्रमुख मुल्ला मोहम्मद उमर और उनके साथी अफ़ग़ानिस्तान से निकलने में कामयाब रहे। दोनों पाकिस्तान में छिपे रहे और एबटाबाद के एक मकान रह रहे लादेन को अमेरिकी कमांडो दस्ते ने 2 मई 2011 को हमला करके मार गिराया। इसके बाद अगस्त, 2015 में तालिबान ने स्वीकार किया कि उन्होंने मुल्ला उमर की मौत को दो साल से ज़्यादा समय तक ज़ाहिर नहीं होने दिया। मुल्ला उमर की मौत खराब स्वास्थ्य के कारण पाकिस्तान के एक अस्पताल में हुई थी।

तालिबान के चार शिखर नेता

Taliban Leaders Mullah Yaqoob To Haibatullah Akhundzada Role In Afganistan Latest News Update - तख्तापलट: महज 100 दिन में अफगानिस्तान को मिली शिकस्त, तालिबान के इन चार चेहरों ने बदल दी ...

तमाम दुश्वारियों के बावजूद तालिबान का अस्तित्व बना रहा और उसने धीरे-धीरे खुद को संगठित किया और अंततः सफलता हासिल की। उसे कहाँ से बल मिला, किसने उसकी सहायता की और उसके सूत्रधार कौन हैं, यह जानकारी धीरे-धीरे सामने आएगी। वर्तमान समय में तालिबान के चार शिखर नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, जो इस प्रकार हैं: 1. हिबतुल्ला अखुंदज़ादा, 2. मुल्ला बारादर, 3. सिराजुद्दीन हक्कानी और 4. मुल्ला याकूब, जो मुल्ला उमर का बेटा है। इनकी प्रशासनिक संरचना अब सामने आएगी। सत्ता किन तालिबान नेताओं के हाथ में आएगी? इस सवाल के जवाब में जिन दो नामों पर सबसे है ज़्यादा चर्चा है, वे हैं- मुल्ला अब्दुल ग़नी बारादर और हिब्तुल्लाह अख़ुंदज़ादा।
(लेखक ‘डिफेंस मॉनिटर’ पत्रिका के प्रधान सम्पादक हैं। आलेख ‘जिज्ञासा’ से)