स्थापना दिवस (17अगस्त) पर विशेष

Govind Singh nominated as member of Uttarakhand Bhasha Sansthan - ABPEducationडॉ. गोविन्द सिंह।
यह एक सुखद संयोग ही है कि 17अगस्त को जब भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) अपने 58 वर्ष पूरे करने की जयंती मना रहा है, देश की तीन प्रमुख समाचार पत्रिकाओं (इंडिया टुडे, आउटलुक और द वीक) ने अपने वार्षिक सर्वेक्षण में इसे देश का सर्वश्रेष्ठ मीडिया शिक्षण संस्थान घोषित किया है। निश्चय ही संस्थान से जुड़े हर शिक्षक और हर छात्र के लिए यह एक हर्ष और गर्व का मौक़ा है।


सरकारी अफसरों को प्रशिक्षित करने के लिए शुरू हुआ था संस्थान

पिछले 58 वर्ष में भारतीय जन संचार संस्थान ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 1965 में जब श्रीमती इंदिरा गाँधी देश की सूचना प्रसारण मंत्री थीं, तब सरकार के सूचना तंत्र से जुड़े अफसरों को प्रशिक्षित करने के मकसद से इस प्रशिक्षण संस्थान को शुरू किया गया था। लेकिन आज यह संस्थान अपने शुरुआती एजेंडे से कहीं आगे बढ़ कर छह भाषाओं में पत्रकारिता के साथ ही विज्ञापन एवं जनसंपर्क, रेडियो एवं टीवी तथा विकास पत्रकारिता के पाठ्यक्रम चला रहा है। जिनमें देश भर के होनहार बच्चे शिक्षा ग्रहण कर पत्रकारिता और जनसंचार की विभिन्न दिशाओं में नाम कमा रहे हैं। यही नहीं, तमाम तीसरी दुनिया के देशों के पत्रकारों और सूचना अधिकारियों के प्रशिक्षण का दायित्व भी संस्थान बखूबी निभा रहा है। केंद्र सरकार के तमाम मंत्रालयों, सेनाओं, पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के जनसंपर्क अधिकारियों या इस काम के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के संक्षिप्त प्रशिक्षण भी संस्थान करवाता है। देश की राजधानी दिल्ली के अलावा, महाराष्ट्र के अमरावती, ओडिशा के ढेंकनाल, केरल के कोट्टायम, जम्मू-कश्मीर के जम्मू और मिजोरम के आइजोल में भी इसके केंद्र हैं ताकि दूर-दराज के बच्चे भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षण-प्रशिक्षण का लाभ उठा सकें।

युवाओं की पहली पसंद

आखिर क्या वजह है कि आईआईएमसी पिछले अनेक वर्षों से पत्रकारिता शिक्षा ग्रहण करने के आकांक्षी युवाओं की पहली पसंद बना हुआ है? हालांकि इसके कई कारण हैं, लेकिन मुझे लगता है कि आईआईएमसी ने शुरू से अपनी भूमिका को बखूबी समझा है। उसने अपने 11 महीने के पाठ्यक्रम में सिद्धांत और व्यावहारिक प्रशिक्षण का बेहतरीन घोल तैयार किया है। उसने अपने शिक्षण का स्पष्ट लक्ष्य- मीडिया उद्योग की जरूरतों को रखा है। इसलिए यहाँ के शिक्षकों में पारंपरिक तरीके से दीक्षित भी हैं तो बड़ी संख्या में उद्योग से आये हुए लोग भी हैं। ज्यादातर व्यावहारिक ज्ञान मीडिया उद्योग में काम कर रहे नामी लोगों द्वारा दिया जाता है। दिल्ली में होने का एक बड़ा फायदा भी संस्थान को मिलता है, जहां हर विषय के व्यावहारिक विशेषज्ञ उपलब्ध हैं।

प्लेसमेंट के लिए मीडिया कंपनियों की पहली पसंद

IIMC students on a hunger strike on the administration breaking the promise of reviewing the fee structure

आम तौर पर मीडिया जगत की जो शिकायत मीडिया शिक्षण देने वाले विश्वविद्यालयों और संस्थानों से रहती है कि वे सिद्धांत की घुट्टी पिला कर विद्यार्थियों को नौकरी के लिए भेज तो देते हैं, लेकिन उन्हें आता कुछ नहीं। सौभाग्य से उन्हें यह शिकायत आईआईएमसी से नहीं रहती। इसीलिए साल ख़त्म होते-होते प्लेसमेंट के लिए मीडिया कंपनियों की पहली पसंद भी आईआईएमसी बनता है। हालांकि आईआईएमसी हर विद्यार्थी को प्लेसमेंट की गारंटी नहीं देता, लेकिन नौकरी तलाशने में वह छात्रों की मदद जरूर करता है.कोविड महामारी के इस दौर में भी पाठ्यक्रम समाप्त होते होते लगभग 40 प्रतिशत छात्र नौकरी प्राप्त कर चुके हैं।

पूर्व छात्रों का मजबूत नेटवर्क

आईआईएमसी की छवि बनाने में संस्थान के पूर्व छात्रों यानी अलुमनाई के मजबूत नेटवर्क की भी कम भूमिका नहीं है। न सिर्फ सरकार के सूचना तंत्र में वे देश भर में फैले हुए हैं, बल्कि तमाम अखबारों, टीवी चैनलों, विज्ञापन एजेंसियों, पीआर कंपनियों और फिल्म जगत में भी वे छाये हुए हैं। मीडिया जगत में आईआईएमसी की यह उपस्थिति छात्रों में एक अतिरिक्त आत्मविश्वास भरती है।

विद्यार्थियों को भरपूर एक्सपोजर

IIMC students demand to open campus, waive off fees | Education - Hindustan Times

पिछले एक वर्ष के कोविड काल में जब शिक्षा व्यवस्था को अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ा है, आईआईएमसी हर मौके पर छात्रों के साथ खड़ा रहा है। संस्थान ने अधिक से अधिक मीडिया उद्योग के विशेषज्ञों को वर्चुअल माध्यम से जोड़ कर विद्यार्थियों को भरपूर एक्सपोजर देने की कोशिश की है। सबसे अच्छी बात यह रही कि चाहे अमरावती के बच्चे हों या कोट्टायम के, आइजोल के हों या जम्मू के, सबको एक ही आभासी लेक्चर सुनने को मिला। व्यावहारिक अभ्यास भी आभासी तरीके से करवाया गया। बच्चों ने ऑनलाइन अखबार निकाले, पत्रिकाओं के विशेषांक निकाले, विज्ञापन के कैंपेन तैयार किये और रेडियो और टीवी के कार्यक्रम बनाए। पिछले एक साल में हर शुक्रवार को किसी न किसी प्रख्यात व्यक्ति का ऑनलाइन व्याख्यान करवाया गया और मीडिया और मीडिया शिक्षा से जुड़े प्रश्नों पर बड़ी संगोष्ठियाँ भी आयोजित हुईं।

विद्यार्थियों को लाइव प्रशिक्षण

संस्थान के पास हर विभाग की जरूरतों को देखते हुए प्रयोगशालाएं हैं, स्टूडियो है, अपना रेडियो नाम का कम्युनिटी रेडियो स्टेशन है, जहां विद्यार्थी लाइव प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। खुद कार्यक्रम बनाते हैं और प्रसारित करते हैं। इसी तरह से मीडिया की तमाम विधाओं को समर्पित समृद्ध पुस्तकालय है, जहां विद्यार्थी ज्ञानार्जन करते हैं। यद्यपि अभी संस्थान सिर्फ एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा ही देता है, फिर भी यहाँ उम्दा कोटि का शोध होता है। सरकार के तमाम विभाग अपनी जरूरतों से सम्बंधित शोध भी संस्थान से करवाते हैं।

अखिल भारतीय परीक्षा के जरिये प्रवेश

IIMC students demand reopening of campus, extension of semester

मुझे लगता है कि आईआईएमसी में आने वाले छात्रों का उल्लेख किये बिना यह विवरण अधूरा समझा जाएगा। चूंकि संस्थान में प्रवेश एक अखिल भारतीय परीक्षा के जरिये होता है, जो बेहद पारदर्शी और उच्च स्तरीय होता है। इसलिए परीक्षा में भाग लेने वाले सौ बच्चों में से मुश्किल से पांच का चयन हो पाता है। हाल के वर्षों में देखा गया है कि यहाँ आने वाले युवा सामाजिक सरोकारों के प्रति बेहद जागरूक रहे हैं। इसलिए जब उन्हें सकारात्मक वातावरण मिलता है तो वे अपनी प्रतिभा को और भी बेहतरी के साथ निखारते हैं। यही वजह है कि आईआईएमसी पिछले अनेक वर्षों से मीडिया छात्रों की पहली पसंद बना हुआ है.आईआईएमसी अपने स्थापना दिवस पर अपने तमाम पुरा-छात्रों, अध्यापकों और नए छात्रों के प्रति आभार व्यक्त करता है।
(लेखक भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली में डीन- अकादमिक एवं पाठ्यक्रम निदेशक, रेडियो एवं टीवी पत्रकारिता हैं)