आपका अख़बार ब्यूरो।
गुजरात की राजनीति में पिछले तीन दिन यानी शनिवार, रविवार और सोमवार काफी सक्रियतापूर्ण और चौंकानेवाले रहे। शनिवार 11 सितम्बर को मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस्तीफ़ा दे दिया। रविवार 12 सितम्बर को भूपेंद्र पटेल को भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया। पहली बार के विधायक पटेल का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सामने आने पर कई लोगों को हैरानी हुई। राजनीतिक हलकों में मुख्यमंत्री के लिए जिन नामों की अटकलें चल रही थी, उनमें कहीं भी उनका नाम नहीं था। सोमवार 13 सितम्बर को राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने पटेल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। भूपेंद्र पटेल गुजरात के 17वें मुख्यमंत्री हैं।
गांधीनगर में राजभवन में हुए शपथ ग्रहण कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत पांच राज्यों के मुख्यमंत्री भी मौजूद थे। इनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वसरमा शामिल हैं। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल समेत समेत बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता भी शपथग्रहण कार्यक्रम में शामिल हुए।
मोदी-शाह का आभार
रविवार को भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद भूपेंद्र पटेल ने सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का आभार जताया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने उन पर विश्वास दिखाया है इसलिए हम गुजरात के विकास कार्य को सभी के साथ मिलकर आगे बढ़ाएंगे। संगठन को साथ लेकर आगे बढ़ना है। विकास कार्य को सभी के साथ मिलकर आगे बढ़ाएंगे।
5 साल बाद पाटीदार समुदाय का सीएम
गुजरात में बीजेपी ने पांच साल बाद किसी पाटीदार को दोबारा राज्य की कमान सौंपी है। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि मोदी-शाह ने बड़ी सोची-समझी रणनीति के तहत 2022 में राज्य में चुनाव से पहले पाटीदार समुदाय को रिझाने की कवायद में बड़ा कदम उठाया है। उनका कहना है कि पटेल को मुख्यमंत्री बनाकर भारतीय जनता पार्टी गुजरात के उस पाटीदार समुदाय को फिर से जोड़ना चाहती है जो पिछले कुछ समय से पार्टी से नाराज चल रहा था। उल्लेखनीय है कि गुजरात में पाटीदार समुदाय धन और बल दोनों से बहुत शक्तिशाली माना जाता है। पिछले दो दशकों से गुजरात में जारी भाजपा के विजय अभियान में पाटीदार समुदाय को महत्वपूर्ण और बड़ी भूमिका रही है।
पटेल को गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और अब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है। आनंदीबेन पटेल ने 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। इसके बाद उनके कहने पर ही घाटलोडिया सीट से पटेल को टिकट दिया गया था। घाटलोडिया विधानसभा क्षेत्र गांधीनगर लोकसभा सीट का हिस्सा है, जहां से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सांसद हैं।