उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने ‘आपका अख़बार’ के संपादक प्रदीप सिंह को दिए विशेष साक्षात्कार में हर मुद्दे पर बेबाक बात की-3।


“हर थाने में महिला हेल्प डेस्क है। कोई भी महिला किसी भी समय आएगी तो वहां पर उसकी सुनवाई होगी, और उसके अनुसार जो उसकी शिकायत होगी उस पर कार्यवाही करके प्रॉपर रिस्पांस होगा।”


प्रदीप सिंह- एक बड़ी समस्या 2017 से पहले, खासतौर से 2012 और 2017 के बीच में थी… वह यह कि लोगों ने धीरे-धीरे बेटियों को स्कूल भेजना, कॉलेज भेजना बंद कर दिया था क्योंकि यह डर था कि उनकी इज्जत नहीं बचेगी। अगर कोई घटना हो जाए तो उसकी पुलिस में रिपोर्ट नहीं लिखाई जाती थी। एक जाति और एक विशेष संप्रदाय के लोगों को यह इम्यूनिटी थी कि उनके खिलाफ कानून कोई कार्यवाही नहीं करेगा। आज पांच साल बाद आप का शासन है तो आपको क्या लगता है, उस स्थिति में कोई बदलाव आया है या वह डर अब भी कायम है।

महिलाओं की सुरक्षा, स्वावलंबन और सम्मान के लिए कार्यक्रम

योगी आदित्यनाथ- एकदम बदलाव आया है।  प्रदेश की माताएं, बहनें और बेटियां इसको बोलती हैं। एकाध घटनाएं अपवाद हो सकती हैं और दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इस प्रकार की घटनाओं पर कठोरता पूर्वक कार्रवाई भी हुई है। लेकिन एंटी रोमियो स्क्वायड के बाद हम लोगों ने महिलाओं की सुरक्षा, उनके स्वावलंबन और उनके सम्मान के लिए कार्यक्रम चलाए हैं मिशन शक्ति के रूप में- इस समय उसके तीसरे फेज का कार्यक्रम चल रहा है। उत्तर प्रदेश के अंदर 1567 थाने हैं। हर थाने में महिला हेल्प डेस्क बना हुआ है। एक सेपरेट रूम होता है जहां पर एक महिला पुलिस अधिकारी मौजूद रहती है। कोई भी महिला किसी भी समय आएगी तो वहां पर उसकी सुनवाई होगी, और उसके अनुसार जो उसकी शिकायत होगी उस पर कार्यवाही करके प्रॉपर रिस्पांस होगा। 350 तहसीलें हैं हमारे पास। इन सभी 350 तहसीलों में महिला हेल्प डेस्क बना हुआ है। हमारे पास 58,600 से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। हर एक ग्राम पंचायत में ग्राम सचिवालय- यानी जिसको हम ग्राम का पंचायत घर बोलते हैं वहां पर- सप्ताह में दो या तीन दिन महिला पुलिस अधिकारी, आंगनबाड़ी, आशा वर्कर, ईएनएम, राजस्व के कर्मी और ग्राम विकास विभाग से जुड़े कर्मी एक साथ बैठते हैं। उस समय महिलाओं की वहां एक बैठक होती है। किसी महिला को किसी भी प्रकार की हिंसा से वह परेशान हो- घरेलू हिंसा हो या फिर बाहरी हिंसा हो- वह अपनी बात कह सकती है। उसकी तत्काल सुनवाई होगी और क्विक एक्शन होगा। अगर उसमें कोई इस प्रकार की बात नहीं है तो फिर शासन की योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है- पोषण के बारे में- एजुकेशन के बारे में- स्किल डेवलपमेंट के बारे में- या महिलाओं से जुड़ी और क्या-क्या योजनाएं हैं। जैसे, मुख्यमंत्री महिला सुमंगला योजना है जिसमें बालिकाओं को जन्म देने से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई तो मुफ्त में है ही, लेकिन 15 हजार रूपये का पैकेज उन्हें अलग से सरकार देती है। इसी तरह से सामूहिक विवाह योजना है जिसमें हर बालिका को 51 हजार रुपये की राशि राज्य सरकार उपलब्ध कराती है उस बालिका की शादी विवाह के लिए। तो ये बहुत सारी स्कीम हैं जिनके बारे में वहां जानकारी दी जाती है। जननी सुरक्षा योजना क्या है- मातृ वंदना योजना क्या है- इन सब के बारे में वहां पर यह हमारा जो मिशन शक्ति का अभियान है यह उनके माध्यम से लोगों को अवगत कराता है। इससे जागरूकता बढ़ती है और आज यूपी में कोई भी इस प्रकार का दुस्साहस नहीं कर पाएगा की वह किसी बालिका या किसी महिला से छेड़छाड़ कर ले, जबरन उठा ले… और यह सुरक्षा का भाव आप ओवरऑल प्रदेश के अंदर देखेंगे। तो हर बहन और बेटी के मन में आया है कि हम प्रदेश में सुरक्षित हैं और वह जब भी उन्हें अवसर मिलता है उसको व्यक्त भी करती हैं।

प्रदीप सिंह- एक लक्ष्य केंद्र सरकार का है, राज्य सरकार भी कर रही है उसमें काम- वह है हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज शुरू करने की। उसके बारे में विपक्ष का यह कहना है कि यह सब कागज पर है… कहीं-कहीं भवन बन गया है लेकिन सवाल यह है कि फैकल्टी कहां से आएगी, पढ़ाने वाले कहां से आएंगे… तो यह केवल चुनावी प्रचार के लिए कहा जा रहा है- और काम इसमें कुछ ना हुआ है ना कुछ हो पाएगा।

डेढ़ वर्ष इनका कहीं अता पता ही नहीं था

योगी आदित्यनाथ- जिन लोगों ने कभी काम किया ही नहीं, जिनकी कार्य की कोई संस्कृति नहीं थी, तो वे लोग इस प्रकार का वक्तव्य कहेंगे। ये लोग चुनावी कुकुरमुत्तों की तरह इस समय थोड़ा उछल कूद कर रहे हैं. डेढ़ वर्ष में तो इनका कहीं अता पता ही नहीं था।

प्रदीप सिंह- यह कोरोना की बात है।

योगी आदित्यनाथ- हां मैं कह रहा हूं ना… मार्च 2020 से लेकर के सितंबर 2021 तक इन डेढ़ वर्षों में बीजेपी के अलावा किसी भी राजनीतिक दल का कहीं कोई वजूद नहीं था। कहीं कोई निकलता नहीं था जी। अक्टूबर में उनमें थोड़ी हरकत आनी शुरू की है। अब वे लोग भी- क्योंकि चुनावी मौसम आ चुका है तो अब- अपनी भाषा बोलने का प्रयास करेंगे। इसलिए उनको जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है।

33 नए मेडिकल कॉलेज

सच्चाई क्या है, देखिए। 1947 से लेकर के 2016 तक उत्तर प्रदेश में कुल 15 मेडिकल कॉलेज बन पाए थे सरकारी। 2016-17 के बाद से लेकर के 2021-22 के बीच में इस समय हम 33 नए मेडिकल कॉलेज बना रहे हैं। पहले चरण में 7 मेडिकल कॉलेज में हम 2019 में पाठ्यक्रम प्रारंभ करा चुके हैं। उनमें पठन-पाठन शुरू हो चुका है। उसमें बस्ती है- अयोध्या है- बहराइच है- फिरोजाबाद है- बदायूं है- यानी इस प्रकार के सात मेडिकल कॉलेज में 2019 में पाठ्यक्रम प्रारंभ कर चुके हैं। नौ मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन प्रधानमंत्री जी ने- जिसमें इस सत्र में पाठ्यक्रम शुरू होने जा रहा है- 25 अक्टूबर को किया- देवरिया, सिद्धार्थ नगर, जौनपुर, गाजीपुर, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, एटा, हरदोई- यानी यह लगभग नौ स्थान हैं जहां पर नए मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो गए हैं। और नेशनल मेडिकल कमीशन बिना फैकल्टी के अपना अप्रूवल नहीं देती है। आपके पास 90 फ़ीसदी फैकल्टी होगी और इंफ्रास्ट्रक्चर होगा तभी आपको परमिशन मिलेगी- वह प्राइवेट हो या गवर्नमेंट किसी का भी हो- उनके नॉर्म्स हैं, उनका पालन करना पड़ेगा। हमने फैकल्टी फुलफिल की है, सारे नॉर्म्स हमने पूरे किए हैं, उसके बाद हमें इसकी मान्यता मिली है। 14 मेडिकल कॉलेज राज्य और केंद्र सरकार मिलकर बना रही है। इस सत्र में उसका शिलान्यास चल रहा है और लगभग काम प्रारंभ हो चुका है। इसके अलावा राज्य सरकार के भी स्तर पर कुछ मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं। जैसे बलरामपुर में, श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेई जी की वह कर्मभूमि रही है पहली। तो वहां पर हम एक मेडिकल कॉलेज बना रहे हैं। ऐसा ही अन्य स्थानों पर कर रहे हैं। कुल मिलाकर आज 59 ऐसे जिले हैं 75 में से- जिनमें हमारे पास गवर्नमेंट या प्राइवेट सेक्टर का एक मेडिकल कॉलेज है। 16 जिले अभी हमारे पास मौजूद हैं। यहां पर कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है। उसके लिए पीपीपी मोड पर हम एक स्कीम लेकर आ गए हैं जिसमें राज्य सरकार सपोर्ट करेगी और वहां पर एक अच्छा मेडिकल कॉलेज हो- जहां पर फ्री में स्वास्थ्य की सुविधा हर व्यक्ति को प्राप्त होगी। वह मेडिकल कॉलेज की स्थापना की कार्यवाही हम लोग आगे बढ़ा रहे हैं। यद्यपि प्रदेश के अंदर अंत्योदय और गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को हम लोगों ने आयुष्मान भारत या मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना से पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा का कवर हर वर्ष दे रहे हैं, लेकिन फिर भी हमारे हर सरकारी हॉस्पिटल में फ्री में उपचार की सुविधा लोगों को उपलब्ध है।