श्री श्री रविशंकर।
सभी को दीवाली की शुभकामनायें। दिवाली 2021 खूब धूमधाम से मनाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रहीं हैं। इस वर्ष धनतेरस 2 नवम्बर को मनाया जा रहा है और 4 नवम्बर को दिवाली मनाई जाएगी।
सब कुछ आपके पास
आज धनतेरस से दीपावली का पर्व शुरू होता है। दिवाली के पहले वाले दिन को ‘धनतेरस’ कहते हैं। धनतेरस है, जीवन में प्रचुरता को महसूस करने के लिए – ऐसे जैसे सब कुछ आपके पास ही हो। ऐसे भाव से सम्पन्नता और बढ़ती हैं। संपन्न और संतुष्ट होने का भाव रखो। जीवन में यह मान कर आगे बढ़ो कि तुम्हे जो भी आवश्यक हैं, वो तुम्हारे समीप ही हैं। जो भी आवश्यकता होगी वह मिलता रहेगा।
कृपा से मिलती है जीत
कोई भी जीत कृपा से होती हैं। पढाई, राजनीति, लॉटरी, खेल यदि आप कुछ जीतते हैं तो वह कृपा के कारण हैं। यदि कोई व्यक्ति यह बात भूलकर अहंकार करता हैं तो उसका पतन हो जाता हैं। यह याद रखो, जहाँ भी जो भी जीत हैं वो कृपा के कारण हैं।
सोना-चांदी ही धन नहीं
पुराने दिनों में इस दिन लोग अपनी सभी धन-समृद्धि को लाकर ईश्वर के सामने रख देते थे। आमतौर पर धन को या तो बैंक में रखते हैं या लॉकर में छुपाकर रखते हैं। लेकिन पुराने दिनों में, धनतेरस के दिन लोग अपने सारे धन को सामने रखकर देखते थे और समृद्ध महसूस करते थे। केवल सोना-चांदी ही धन नहीं है, ज्ञान भी धन है। तो इस प्रकार से उत्सव मनाया जाता था। आपको अपने ज्ञान को भी संजो कर रखना चाहिए और समृद्ध महसूस करना चाहिए। धनतेरस ‘आयुर्वेद’ का दिन भी है, क्योंकि जड़ीबूटियां भी धन हैं। जड़ीबूटियां और पेड़-पौधे भी धन हैं। ऐसा कहते हैं कि धनतेरस के दिन ही मानवता को अमृत दिया गया था।
महसूस करिये कि आप बहुत सौभाग्यशाली हैं
आज के दिन ऐसा महसूस करिये कि आप बहुत सौभाग्यशाली हैं और तृप्त महसूस करिये! जब भी हम खुद को धन्यभागी समझते हैं, तब हमें जीवन में और मिलता है। बाइबिल में कहावत है – “जिनके पास है, उन्हें और दिया जाएगा और जिनके पास नहीं है, उनसे जो भी थोड़ा-बहुत है वह भी ले लिया जाएगा।” पुराने ज़माने से यही विचार रहा है – कि जीवन में समृद्ध महसूस करिये। समृद्धि हमारे भीतर से शुरू होती है और फिर ही बाहर व्यक्त होती है। तो आज इस भावना के साथ वापिस जाइये कि आपके पास बहुत आशीर्वाद हैं।