प्रमोद जोशी ।
8 दिसंबर को नीलगिरि की पहाड़ियों में एक और हेलिकॉप्टर दुर्घटना हुई, जिसमें देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत और उनकी पत्नी तथा 11 अन्य व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। इस घटना से पूरा देश सदमे में है। पहली नजर में लगता है कि खराब मौसम के कारण यह दुर्घटना हुई। इस इलाके की मौसम की भविष्यवाणी थी कि पहाड़ी इलाके में निचले स्तर पर बादल घिरे रहेंगे, आर्द्रता काफी होगी और हल्की बारिश भी हो सकती है। अब तक की जानकारियाँ बता रही हैं कि हेलिकॉप्टर निचली सतह पर उड़ान भरते समय पेड़ों की शाखों से टकरा गया।

सवाल और आशंकाएं

हेलिकॉप्टर को कुछ देर बाद ही हैलिपैड पर उतरना था। लगता यह है कि बादलों के कारण पायलट को रास्ता खोजने के लिए निचली सतह पर आना पड़ा। हेलिकॉप्टर के रोटर के कारण पेड़ों की शाखाएं तेजी से हिलती हैं। ऐसे में अच्छे-अच्छे पायलटों को दृष्टिभ्रम हो जाता है। सवाल यह है कि क्या इस उड़ान को रोकने की कोशिश हुई थी या नहीं?
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कुछ लोगों ने इसके पीछे तोड़फोड़ और साजिश की संभावना भी व्यक्त की है।  उसका पता भी लगाना जरूरी है, पर अटकलें लगाने की जरूरत नहीं है। जनरल विपिन रावत इन दिनों भारतीय सेनाओं की रणनीति में परिवर्तन, पुनर्गठन, आधुनिकीकरण और थिएटर कमांड की रचना के काम में लगे थे। उनके निधन से इस काम को कहीं न कहीं धक्का तो लगेगा। पर इन बातों का जवाब जाँच से ही मिलेगा। जनवरी 1966 में जब देश के शीर्ष नाभिकीय वैज्ञानिक डॉ होमी जहाँगीर भाभा की विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई थी, तब भी आशंकाएं व्यक्त की गई थीं।
इस दुर्घटना के पहले 2 सितंबर, 2009 को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी का हेलिकॉप्टर कुर्नूल के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। उस समय मौसम काफी खराब था, फिर भी पायलट पर उड़ान भरने के लिए दबाव था। बाद में उस दुर्घटना की जाँच में सब रफा-दफा कर दिया गया था। यह चलन हमारे देश की व्यवस्था के संचालन में सबसे बड़ी दिक्कत पैदा करता है।

हेलीकॉप्टर दुर्घटना में कई वीआईपी की जान गई

वीआईपी दुर्घटनाओं के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि मौसम और परिस्थितियों को ध्यान में रखा नहीं जाता। बहरहाल इस दुर्घटना के बारे में कोई भी निष्कर्ष निकालना गलत होगा। पर देश में ही नहीं विदेश में भी हेलिकॉप्टरों की दुर्घटनाओं में विशिष्ट व्यक्तियों की मौत की लंबी सूची है। 23 नवंबर 1963 को पुंछ में हुई हेलिकॉप्टर दुर्घटना में भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल विक्रम सिंह और वाइस एयर मार्शल एलिस पिंटो सहित छह सैनिक अधिकारियों की मृत्यु हुई थी।
Army Chopper Crash: Condolences Pour In From Around The World Over Gen Bipin Rawat's Death
30 सितंबर 2001 को पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया का निधन भी हेलिकॉप्टर दुर्घटना में हुआ था। तब भी मौसम खराब था। 3 मार्च, 2002 को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष बालयोगी का निधन भारी बारिश के बीच हुई हेलिकॉप्टर दुर्घटना में हुआ था। अप्रेल 2011 में अरुणाचल के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू का निधन भी खराब मौसम में हुई हेलिकॉप्टर दुर्घटना में हुआ।
General Bipin Rawat dies in chopper crash: Helicopter accidents over the years | India News,The Indian Express

पारदर्शी जांच जरूरी

ऐसा केवल भारत में ही नहीं हुआ। अप्रेल 2010 में पोलैंड के राष्ट्रपति लेख कायचिंस्की की रूस में हुई विमान दुर्घटना में मौत हुई थी। खराब मौसम के बावजूद उन्होंने टीयू-154 विमान के पायलट पर लैंड करने का दबाव बनाया था। बहरहाल ऐसे मामलों की पारदर्शी जाँच होनी चाहिए और भविष्य की यात्राओं को सुरक्षित बनाने के बेहतर प्रयास होने चाहिए।
(लेखक रक्षा और सामरिक मुद्दों पर केंद्रित पत्रिका ‘डिफेंस मॉनिटर’ के प्रधान सम्पादक हैं। आलेख ‘जिज्ञासा’ से)