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पश्चिमी यूपी के 11 जिलों की 58 सीटों पर पड़े वोट, योगी सरकार के नौ मंत्रियों सहित 623 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद।


उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदानगुरुवार शाम 6 बजे समाप्त हो गया। पहले चरण मेंपश्चिमी यूपी के 11 जिलों की 58 सीटों पर मत डाले गए। पहले चरण में 57.79% मतदान हुआ है।सबसे ज्यादा वोट शामली जिले की कैराना विधानसभा में 65.33 फीसदी पड़े हैं जबकि साहिबाबाद में सबसे कम 45फीसदी वोटिंग हुई है। पहले चरण में सबसे अधिक मतदान वाले पांच जिलों में मुजफ्फरनगर (62.09 फीसदी), शामली (61.75 फीसदी), बागपत (61.25 फीसदी), बुलंदशहर (60.57 फीसदी) और हापुड़ (60.53 फीसदी) शामिल हैं।सुबह सात बजे मतदान शुरू होते ही बूथों पर मतदाताओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी।

इस चरण में 74 महिला उम्मीदवारों सहित कुल 623 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में बंद गया। इनमें योगी आदित्यनाथ सरकार के 9 मंत्री और कई दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटियां शामिल हैं। इनमें से किसी के सामने अपने दादा की विरासत बचाने की चुनौती है तो किसी के सामने अपने पिता की राजनीतिक साख को बरकरार रखने की चिंता है। पहले चरण में यूपी के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार के सदस्य और कई सांसद और पूर्व मंत्री व विधायक के बेटोंके भाग्य का फैसला मतदाताओं ने कर दिया। मतदाताओं के फैसले का इंतजार 10 मार्च तक करना होगा क्योंकि इसी दिन मतगणना होगी और नतीजे ईवीएम से बाहर आएंगे।

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पहले चरण में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता रहे दिवंगत कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह बुलंदशहर जिले की अतरौली विधानसभा सीट से दूसरी बार मैदान में हैं। 2017 में इसी सीट से जीत दर्ज कर वे विधायक और योगी सरकार में मंत्री बने। इसी तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह नोएडा सीट से दूसरी बार चुनावी मैदान में हैं। मुजफ्फरनगर की चरथावल सीट पर सपा उम्मीदवार पंकज मलिक पर अपने पिता पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक की सियासी विरासत को बढ़ाने की चुनौती है तो उनके सामने बसपा के सलमान सईद हैं जो पूर्व सांसद सईदुज्जमा के बेटे हैं। हरेंद्र मलिक पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय के बड़े नेता जाते हैं तो सईदुज्जमा मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं। हरेंद्र मलिक दो बार विधायक रह चुके हैं। तीसरी बार वे जीत दर्ज कर पाएंगे या नहीं इसका पता नतीजे के दिन चलेगा। 2017 में यहां से बीजेपी के विजय कुमार कश्यप जीते थे। इस बार बीजेपी ने सपना कश्यप को उम्मीदवार बनाया।

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शामली जिले की कैराना विधानसभा सीट पर दो सियासी परिवार के राजनीतिक वारिसों के बीच सियासी जंग है। सपा से मौजूदा विधायक नाहिद हसन के सामन बीजेपी से मृगांका सिंह हैं। नाहिद के पिता मुनव्वर हसन और मां तबस्सुम हसन दोनों सांसद रह चुके हैं। जबकि मृगांका पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी हैं। मृगांका यहां से दो बार चुनाव हार चुकी हैं। एक बार नाहिद हसन ने हराया था तो एक बार उनकी मां ने।

इन मंत्रियों का भाग्य ईवीएम में बंद

पहले चरण में योगी सरकार के नौ मंत्रियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद हो गया। इनमें श्रीकांत शर्मा (मथुरा), अतुल गर्ग (गाजियाबाद), सुरेश राणा (थाना भवन), संदीप सिंह (अतरौली), चौधरी लक्ष्मीनारायण (छाता), अनिल शर्मा (शिकारपुर), कपिल देव अग्रवाल (मुजफ्फरनगर), जीएस धर्मेश (आगरा) और दिनेश खटीक (हस्तिनापुर) शामिल हैं। वर्ष 2017 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पहले चरण की 58 में से 53 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी(बसपा) को दो-दो सीटें मिली थी। इसके अलावा राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) का भी एक प्रत्याशी जीता था।