आतंक पर करारा प्रहार-अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट में
49 आतंकवादी दोषी,11 को उम्र कैद।
आपका अखबार ब्यूरो।
18 फरवरी, 2022…., दिन शुक्रवार, यह तारीख और दिनआजाद भारत के इतिहास में, खासकर भारत की न्यायिक व्यवस्था के इतिहास में नजीर के रूप में याद किया जाएगा। इसलिए नहीं कि अहमदाबाद की विशेष अदालत ने 2008 में अहमदाबाद में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के 49 दोषियों को सजा सुनाई। बल्कि इसलिए कि विशेष अदालत ने आतंक फैलाने वाले देश के दुश्मन 38 आतंकवादियों को एक साथ फांसी की सजा सुनाई, जबकि 11 को आजीवन कारावास की सजा दी गई। एक साथ इतनी बड़ी संख्या में कभी भी किसी भी अदालत ने दोषियों को मौत की सजा नहीं सुनाई थी। इस लिहाज से इसे आजाद भारत का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक फैसला कहा जा रहा है।साथ ही इसे आतंक फैलाने वालों और आतंकवादियों पर करारा प्रहार माना जा रहा है।
हालांकि फैसला आने में 13 साल का लंबा वक्त लग गया। धमाकों की जांच-पड़ताल कई साल चली और 78आरोपियों पर मुकदमा चला। विशेष अदालत ने 29 आरोपियों को निर्दोष करार दिया। 8 फरवरी को ही सुनवाई पूरी करते हुए अदालत ने 49 आरोपियों को UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत दोषी पाया था और सजा की तारीख 18 फरवरी तय की थी।विशेष अदालत ने धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 50-50हजार और मामूली घायलों को 25-25हजार रुपये की मदद देने का भी सरकार को आदेश दिया।
आईएम और सिमी ने किए थे धमाके
इस धमाके में इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) नामक आतंकी संगठन और प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया(सिमी) की अहम भूमिका थी।विस्फोट से कुछ मिनट पहलेटेलीविजन चैनलों और मीडिया को एक ई-मेल मिला था, जिसके जरिये कथित तौर पर ‘इंडियन मुजाहिदीन’ ने धमाकों की चेतावनी दी थी। तब पहली बार इंडियन मुजाहिदीन का नाम सामने आया था। पुलिस का मानना है कि इंडियन मुजाहिदीनके आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों का बदला लेने के लिए ये धमाके किए थे। सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड यासीन भटकल दिल्ली की तिहाड़ जेल में, जबकि अब्दुल सुभान उर्फ तौकीर कोचीन की जेल में बंद है।यासीन भटकल पर पुलिस नए सिरे से केस चलाने की तैयारी कर है।
70 मिनट में 21 धमाके
26 जुलाई, 2008 कोअहमदाबाद के अलग-अलग इलाकों में हुए बम ब्लास्ट में 56 लोगों की जान गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इसदिन 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों से अहमदाबाद पूरी तरह से हिल गई थी। इन धमाकों के बाद अहमदाबाद की सड़कों पर लाशें बिछ गई थीं और हर तरफ खून ही खून दिखाई दे रहा था।ऊंची-ऊंची बिल्डिंगें धराशाही हो गईं थीं और गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए थे। जिन जगहों पर धमाके हुए थे उनमें अहमदाबाद सिविल अस्पताल काट्रॉमा सेंटर, खादिया, रायपुर, सारंगपुर, एजी अस्पताल, मणीनगर, हाटकेश्वर, बापूनगर, ठक्कर बापा नगर, जवाहर, गोविंदवाडी, इसनपुर, नारोल, सरखेज शामिल हैं।
सूरत भी था निशाने पर मगर नहीं फटे बम
पुलिस ने अहमदाबाद में 20 एफआईआरदर्ज की थीं, जबकि सूरत में 15 अन्य एफआईआरदर्ज की गई थी।आतंकवादियों की योजना सूरत में भी धमाके करने की थी।अहमदाबाद धमाकों के दूसरे दिनयानी 27 जुलाई को सूरत में भी सीरियल ब्लास्ट की कोशिश की गई थीलेकिन टाइमर में गड़बड़ी की वजह से बम फट नहीं पाए थे।सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई,2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 जिंदाबम बरामद किए थे।इनमें से 17 वराछा इलाके में और अन्य कतारगाम, महिधरपुरा और उमरा इलाके में मिले थे। जांच में पता चला था कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हो पाया था।
19 दिन में पकड़े 30 आतंकी
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की विशेष टीम ने 19 दिनों में मामले का पर्दाफाश किया था और 30 आतंकियों को पकड़कर जेल भेज दिया था। इसके बाद बाकी आतंकी देश के अलग-अलग शहरों से पकड़े जाते रहे। अहमदाबाद में हुए धमाकों से पहले इंडियन मुजाहिदीन की इसी टीम ने जयपुर और वाराणसी में भी धमाकों को अंजाम दिया था। देश के कई राज्यों की पुलिस इन्हें पकड़ने में लगी हुई थीलेकिन ये एक के बाद एक ब्लास्ट करते चले गए। अदालत की ओर से सभी 35 एफआईआरको एक साथ जोड़ देने के बाद दिसंबर 2009 में 78 आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की शुरुआत हुई थी। इनमें से एक आरोपी बाद में सरकारी गवाह बन गया था। बाद में चार और आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया थालेकिन उनका मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने 1,100 गवाहों का परीक्षण किया। धमाके में शामिल आठ अन्य आरोपियों की तलाश अभी भी जारी है।