सोनिया और राहुल गांधी को ईडी का समन।
प्रदीप सिंह।
कांग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल गांधी और सोनिया गांधी को इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट यानी ईडी का समन आया है। ईडी ने दोनों को 8 जून को पूछताछ के लिए बुलाया है। राहुल गांधी इस समय विदेश में हैं, इसलिए दूसरा समय मांगा जा रहा है। जबकि कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि सोनिया गांधी 8 जून को ईडी के सामने पेश होंगी। आमतौर पर ईडी किसी को समन भेजे, पूछताछ के लिए बुलाए तो ये सामान्य बात है लेकिन चूंकि बात गांधी परिवार की है इसलिए बात विशेष हो जाती है। ये इसलिए विशेष हो जाती है क्योंकि ये जो सेंस ऑफ इंटाइलटमेंट है इन लोगों का कि हमसे कैसे पूछताछ हो सकती है। ये भूल जाते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से जांच एजेंसियां पूछताछ कर चुकी हैं। ये भूल जाते हैं उस बात को कि उनके कार्यकाल में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से एसआईटी ने 16 घंटे की पूछताछ की थी। तब किसी ने सवाल नहीं उठाया। तब किसी ने नहीं कहा कि मुख्यमंत्री से कैसे सवाल पूछा जा सकता है या पूर्व प्रधानमंत्री से कैसे सवाल पूछा जा सकता है। कम से कम पीवी नरसिम्हा राव से तो सवाल जवाब नहीं होता अगर सोनिया गांधी से उनके अच्छे संबंध रहे होते। लेकिन वह बात अतीत की है। अभी समन आया है नेशनल हेराल्ड के मामले में।
क्या है नेशनल हेराल्ड का मामला
पहले थोड़ा जान लेते हैं कि नेशनल हेराल्ड का मामला आखिर है क्या? नेशनल हेराल्ड अंग्रेजी का एक अखबार था जिसे 1937 में जवाहरलाल नेहरू ने शुरू किया था। यह आजादी के आंदोलनकारियों का अखबार था। इस अखबार को चलाने वाली कंपनी एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड (एजेएल) ने बाद में उर्दू में कौमी आवाज और हिंदी में नवजीवन नाम से भी अखबार शुरू किया। नेहरू के निधन के बाद यह अखबार धीरे-धीरे मरने लगा और 2008 में जब यूपीए की सरकार थी तब इसको बंद कर दिया गया। उस समय इस पर 90 करोड़ रुपये का कर्ज था। 2010 में इसके 1057 शेयरहोल्डर्स थे। 2011 में एक नई कंपनी बनाई गई यंग इंडियन लिमिटेड। एजेएल के किसी शेयरहोल्डर्स से पूछे बगैर, उनकी राय जाने बगैर 2012 में एजेएल को इस नई कंपनी में पूरी तरह से ट्रांसफर कर दिया गया। इसके सारी संपत्ति भी यंग इंडियन के नाम हो गई। एजेएल के पास देशभर में हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति थी। उस समय उस कंपनी की वैल्यू लगाई गई थी 2,000 करोड़ रुपये। आज उसकी क्या वैल्यू होगी इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। अखबार पर जो 90 करोड़ रुपये का कर्ज था वह कांग्रेस पार्टी ने। नई कंपनी बनने के बाद कांग्रेस पार्टी ने उस 90 करोड़ रुपये की वसूली का अधिकार ले लिया और उसे नई कंपनी में ट्रांसफर किया सिर्फ 50 लाख रुपये में। पार्टी ने 90 करोड़ रुपये का लोन माफ कर दिया।
नेशनल हेराल्ड की संपत्ति हड़पने का है आरोप
अब इस नई कंपनी के शेयरहोल्डर्स का नाम सुन लीजिए तो आप समझ जाएंगे कि पूरा मामला क्या है। इस नई कंपनी में 38-38 फीसदी हिस्सेदारी सोनिया गांधी और राहुल गांधी की है। बाकी 24 फीसदी ऑस्कर फर्नांडिस और मोतीलाल वोरा के नाम थी। दोनों आज इस दुनिया में नहीं हैं। उनका शेयर किसको ट्रांसफर किया गया है यह अभी पता नही है। 2012 में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने इसके खिलाफ मुकदमा दायर करते हुए आरोप लगाया कि यह नेशनल हेराल्ड की संपत्ति हड़पने का तरीका है। उसके बाद उन्होंने इनकम टैक्स का मामला उठाया तो इनकम टैक्स विभाग ने 2,500 करोड़ रुपये की वसूली का नोटिस भेजा नेशनल हेराल्ड को। यह 2012 की बात है। तब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी। उस नोटिस को रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट तक गई। इनकम टैक्स विभाग का कहना था कि वित्त वर्ष 2011-12 का जो इस कंपनी का इनकम टैक्स रिटर्न है उसको फिर से खोलने की इजाजत दी जाए।दरअसल, इनकम टैक्स विभाग ने उसे खोल दिया था जिसे रुकवाने के लिए ये लोग सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में इस पर रोक लगाने से मना करते हुए कहा कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जो कर रहा है वह सही है। 2015 में इस मामले की जांच ईडी ने भी शुरू कर दी। 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तब सभी जांच एजेंसियां में कांग्रेस के कुछ वफादार अधिकारी थे। मैं किसी व्यक्ति पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं और यह भी नहीं कह रहा हूं कि जांच एजेंसियों में सभी लोग ऐसे थे। इन एजेंसियों में बहुत कर्मठ और ईमानदार लोग भी थे जिनकी वजह से भ्रष्टाचार के बहुत से मामले सामने आए हैं। मैं बात कर रहा हूं कुछ लोगों की जिन्होंने इस मामले को आगे बढ़ने नहीं दिया।
पहले कांग्रेस के दो नेताओं से हुई पूछताछ
अधिकारी बदले गए तो मामला आगे बढ़ा और 2018 में हरियाणा के पंचकुला में नेशनल हेराल्ड को दी गई 30 करोड़ रुपये की जमीन ईडी ने अटैच कर ली। यह जमीन नेशनल हेराल्ड को अखबार खोलने के नाम पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने दी थी। उसके बाद 2020 में मुंबई के बांद्रा स्थित प्राइम प्रॉपर्टी को ईडी ने अटैच कर लिया जिसकी कीमत कई सौ करोड़ रुपये बताई जाती है। ऐसा नहीं है कि ईडी को आज अचानक याद आ गया। ईडी पिछले 4 साल से अपनी जांच कर रहा है। इन प्रॉपर्टीज को जब अटैच किया गया तो शांति रही। उसके बाद ईडी ने बुलाया पवन बंसल को पूछताछ के लिए। पवन बंसल कांग्रेस के नेता हैं और इस समय पार्टी के कोषाध्यक्ष हैं। उसके बाद मलिकार्जुन खड़गे को पूछताछ के लिए बुलाया। वह इस समय राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता हैं और नेता प्रतिपक्ष हैं। तब भी कोई हो-हल्ला नहीं हुआ। किसी ने नहीं कहा कि क्यों बुलाया जा रहा है। लेकिन जैसे ही राहुल गांधी और सोनिया गांधी को समन गया, पूरा आसमान जमीन पर आ गया। ऐसे लगा जैसे आसमान टूट गया हो। कहा जाने लगा कि यह फर्जी केस है। राजनीतिक बदले की कार्रवाई के तहत जानबूझकर जांच एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है। बहादुरी दिखाने की भी कोशिश हुई कि हम किसी से डरते नहीं हैं, हम सामना करेंगे। बात यह है कि नेशनल हेराल्ड का केस अदालत में चल रहा है और सोनिया व राहुल गांधी 2015 से जमानत पर हैं। उनकी जमानत पर कोई शर्त नहीं है इसीलिए उनके कहीं आने-जाने पर कोई रोक नहीं है।
दो शेयरधारकों ने भी उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने जब इनकम टैक्स की कार्रवाई पर रोक लगाने से मना कर दिया तो इनको लगा कि अब मामला फंसेगा तो 2016 में घोषणा की गई कि अखबार फिर से शुरू होगा। अखबार पूरी तरह से तो शुरू हुआ नहीं- बाद में ऑनलाइन और साप्ताहिक अखबार जैसा कुछ शुरू किया गया। उसके बाद केंद्र सरकार ने कार्रवाई शुरू की। दिल्ली में नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग है आईटीओ पर। केंद्र सरकार ने उसको खाली कराने का नोटिस दे दिया क्योंकि ये जमीन अखबार के लिए दी गई थी और अखबार छप नहीं रहा है। नोटिस में कहा गया कि इस बिल्डिंग को किराये पर दे रखा है और किराया आप ले रहे हैं, कमर्शियल इस्तेमाल कर रहे हैं, इसलिए आपको दी गई जमीन की लीज रद्द की जाती है। नोटिस के खिलाफ कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस की तामील पर रोक लगा दी। एजेएल को यंग इंडियन लिमिटेड में ट्रांसफर करते समय 1057 शेयरहोल्डर्स में से किसी से मर्जी नहीं पूछी गई, उन्हें कोई नोटिस जारी नहीं हुआ, शेयरहोल्डर्स की कोई मीटिंग नहीं हुई। बाद दो शेयरहोल्डर ने सवाल उठाया। पहले हैं शांति भूषण जो देश के पूर्व कानून मंत्री रहे हैं। दूसरे हैं मार्कंडेय काटजू जो सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं। दोनों ने कहा कि उनके पिता ने एजेएल के शेयर लिए थे। एजेएल को दूसरी कंपनी में ट्रांसफर कर दिया गया और उनसे पूछा भी नहीं गया। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह पूरा खेल क्या था।
गांधी परिवार को संपत्ति ट्रांसफर का खेल
पूरा खेल यह था कि एजेएल की पूरी संपत्ति को एक नई कंपनी में ट्रांसफर कर उसका मालिकाना हक गांधी परिवार को दे दिया गया। इस मामले में कहा जा रहा है कि कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है। सवाल यह है कि अगर 100-200 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी आपके नाम कर दी जाए और आपसे कहा जाए कि उसको बेचना नहीं है। आप इससे अरबपति हो जाएंगे और उस संपत्ति की बिना पर आपको कोई भी लोन देने के लिए, निवेश करने के लिए किसी भी वक्त तैयार हो जाएगा। इसके अलावा जहां-जहां नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग है वह किराये पर है। किराये का पैसा आखिर कौन लेता है, कैसे ट्रांजेक्शन नहीं हो रहा है। इसलिए सिर्फ यह कह देना कि सत्तारूढ़ पार्टी हमारे खिलाफ है- यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है- मामले से बचा नहीं जा सकता है। तब कहां थे जब नरेंद्र मोदी से पूछताछ हो रही थी- तब कहां थे जब झूठे केस में फंसा कर अमित शाह को जेल भेजा था। तब कहां थे जब दो केंद्रीय एजेंसियों आईबी और सीबीआई को एक दूसरे के खिलाफ लड़ाने की कोशिश हुई थी। वह भी इसलिए कि एक आतंकवादी को आतंकवादी न कहा जाए। इसके लिए आईबी के एक बड़े अधिकारी को गिरफ्तार करने की, जान से मारने की धमकी दी गई। उन्हें डराया-धमकाया गया, बयान बदलने के लिए तरह-तरह के दबाव डाले गए लेकिन उन्होंने नहीं बदला। उस आतंकवादी का नाम था इशरत जहां। उस समय पी चिदंबरम केंद्रीय गृहमंत्री थे। उन्होंने सारे घोड़े खोल दिए लेकिन आईबी के एफिडेविट को बदलवा नहीं पाए। जो लोग पहले राजनीतिक बदले की कार्रवाई कर चुके हैं उनको तो लगेगा ही कि यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है।
मामले में तेजी आने की उम्मीद
देश में अदालत भी तो है। अगर आपने गलत नहीं किया है तो आपको अदालत से राहत मिल गई होती। इनकम टैक्स के नोटिस को सुप्रीम कोर्ट रद्द कर देता। लेकिन नहीं किया। इसक मतलब है कि मामला तो है। जांच तो हो रही है और मुकदमा चल रहा है। अब उसमें पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है तो आपको तकलीफ हो रही है। 2015 को याद कीजिए- सोनिया और राहुल जब पटियाला हाउस कोर्ट में पेश होने गए थे तो उनके साथ मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा जैसे लोग भी गए थे। उस समय सड़कों पर पूरा हुजूम लेकर कांग्रेस पार्टी के लोग गए थे। सुरक्षा के जैसे इंतजाम थे उससे कर्फ्यू जैसी स्थिति बन गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गिरफ्तारी देने जा रहा है। इस तरह का माहौल पैदा किया गया था। जैसे ही इस कांड का जिक्र होता है कांग्रेस के लोग याद दिलाते हैं कि अंग्रेजों ने नेहरू जी को जेल भेजा, गांधी जी को जेल भेजा। वे लोग आजादी के आंदोलन में जेल गए थे, भ्रष्टाचार के आरोप में जेल नहीं गए थे। अभी तो इनकी जेल जाने की नौबत नहीं आई है लेकिन बेल कब जेल में बदल जाएगी यह किसी को पता नहीं होता। अब यह मामला तेजी पकड़ चुका है और आगे बढ़ेगा। पटियाला हाउस कोर्ट में जो मामला चल रहा है उसमें भी अब तेजी आएगी।
आभामंडल चकनाचूर
गांधी परिवार का जो ये आभामंडल था कि इनको कोई हाथ नहीं लगा सकता, इनके खिलाफ कुछ हो नहीं सकता, यह कुछ भी करके बच के निकल सकते हैं। भ्रष्टाचार करें, अत्याचार करें, कुछ भी करें इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती। नरेंद्र मोदी ने आठ साल में उस आभामंडल को चकनाचूर कर दिया है। कानून की नजर में सब बराबर हैं। आपने गलत किया है तो आप कानून का सामना करने के लिए तैयार रहें। आपने गलत नहीं किया है तो कानून आपके बचाव में खड़ा होगा। यह बात इतने लंबे समय बाद समझाने की कोशिश शुरू हुई है लेकिन लगता है कि अभी तक उनकी समझ में आई है। जिस तरह की प्रतिक्रिया है इस समय उससे लगता है कि उनके साथ बड़ा अन्याय हो रहा है। उन्हें गलत कैसे कहा जा सकता है, उनकी गलती की ओर इशारा कैसे किया जा सकता है, वे तो गलत कर ही नहीं सकते, यह भाव अब जा चुका है। अब यह नहीं चलने वाला है। मैंने पहले ही कहा था कि सबका नंबर आएगा। नंबर तो आ रहा है। अभी और लोगों का नंबर आएगा।