जयंती रंगनाथन।
पिछले हफ्ते और इस हफ्ते जितनी भी हिंदी फिल्में रिलीज हुई हैं, उन्हें आधी, एक या दो की रेटिंग मिली है। शमशेरा तो बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट चुकी है। सच कहूं तो इसकी कहानी पढ़ने के बाद ओटीटी पर भी देखने की इच्छा नहीं रह गई।  इससे पहले आई शाबाश मिठ्टू और हिट का भी हश्र बुरा ही रहा। इस सप्ताह यानी आज जो तीन फिल्में रिलीज हुई हैं, एक विलेन रिटर्न्स, विक्रांत रोना और गुड लक जैरी, की समीक्षा इतनी खराब आ रही है कि मन खराब हो गया है।

पैसे की बर्बादी

खराब फिल्में हर तरह से पैसों की बर्बादी है। फिल्में बनती हैं, देखी जाने के लिए। खराब फिल्मों में भी तगड़ा पैसा लगा होगा। फिल्म के ना चलने से हो सकता है निर्माताओं का नुकसान ना हो, वो तो ओटीटी पर बेच कर कमा लेगा, पर फिल्म से जुड़े बाकि लोगों का तगड़ा नुकसान हो जाता है। सितारों के अलावा प्रोडक्शन कंपनी और किसी को पहले से पूरे पैसे नहीं देती। पचास प्रतिशत तक हर किसी का पारिश्रमिक मारा जाता है, खासकर लेखकों का।

दर्शक बेचारा

अब दर्शकों की भी बात कर ली जाए। अगर दर्शक फिल्म देखने थियेटर तक जा रहा है, तो उसका पैसा, समय और सोच तीनों लग रहा है। अच्छी फिल्म का स्वाद ऐसा होता है जैसे कोई स्वादिष्ट खाना खाया हो, कोई अच्छी खबर सुनी हो, लाटरी लगी हो। दिनों तक उसकी खुमारी बनी रहती है। बुरी फिल्म एक बुरी खबर की तरह होती है। ऐसा लगता है जैसे जिंदगी से विश्वास उठ गया हो।
सबसे जरूरी बात, क्या फिल्म की कहानी लिखते समय, बनाते समय, एडिटिंग के वक्त फिल्म से जुड़े महानुभावों को यह अहसास नहीं होता कि वो दर्शकों की भावनाओं के साथ खेलने वाले हैं? वो कितनी बकवास चीज परोसने जा रहे हैं?
इस समय ओटीटी हो या टीवी सीरियल या फिल्में हों, ऐसे विषयों पर फिल्में बन रही हैं, जिसका असल जिंदगी से कोई सरोकार नहीं। काला ह्यूमर, काले लोग, काला माहौल और काली सी कहानी। इतनी नकारात्मकता, हिंसा, स्वैग और अरचनात्मकता… ना जाने आगे क्या होगा…! (साभार)
(लेखिका ‘हिंदुस्तान’, नई दिल्ली में एक्जिक्यूटिव एडिटर हैं)

शमशेरा

निर्देशक- करण मल्होत्रा। निर्माता- आदित्य चोपड़ा। लेखक- नीलेश मिश्रा, खिला बिष्टी। संवाद- पीयूष मिश्रा। पटकथा- एकता पाठक मल्होत्रा, करण मल्होत्रा। कलाकार- रणबीर कपूर, संजय दत्त, वाणी कपूर। संगीतकार- मिथुन।

एक विलेन रिटर्न्स

निर्देशक- मोहित सूरी। निर्माता- शोभा कपूर, एकता कपूर, भूषण कुमार, कृष्ण कुमार। कलाकार- जॉन अब्राहम, अर्जुन कपूर, दिशा पटानी, तारा सुतारिया।

विक्रांत रोना

निर्देशक- अनूप भंडारी। निर्माता- शालिनी आर्ट्स। लेखक- अनूप भंडारी। कलाकार- सुदीप, निरूप भंडारी, नीता अशोक, जैकलीन फर्नांडीस, रविशंकर गौडा, मधुसूदन राव, वज्रधीर जैन और बेबी संहिता।

गुड लक जैरी

निर्देशक- सिद्धार्थ सेन। निर्माता- लाइका प्रोडक्शंस, कलर येलो प्रोडक्शंस और महावीर जैन फिल्म्स। लेखक- नेल्सन दिलीप कुमार और पंकज मट्टा। कलाकार- जान्हवी कपूर, मीता वशिष्ठ, सुशांत सिंह, दीपक डोबरियाल, सौरभ सचदेव और मोहन कंबोज।

शाबाश मिठ्टू

निर्देशक- श्रीजीत मुखर्जी। निर्माता- वायकॉम18 स्टूडियो। लेखक- प्रिया एवेना। कलाकार- तापसी पन्नू, मुमताज़ सरकार, विजय राज। संगीतकार- अमित त्रिवेदी।

हिट- द फर्स्ट केस

निर्देशक- शैलेश कोलानू। निर्माता- दिल राजू प्रोडक्शंस और टी सीरीज। कलाकार- राजकुमार राव, सान्या मल्होत्रा, जतिन गोस्वामी, अखिल अय्यर, मिलिंद गुणाजी, शिल्पा शुक्ला, दलीप ताहिल और संजय नार्वेकर। लेखक- शैलेश कोलानू और गिरीश कोहली।