-सतीश सिंह ।

केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को बेचने के लिये अभिरुचि पत्र जमा करनेकी समय सीमा को 31 अगस्त से बढ़ाकर 30 अक्तूबर कर दिया है। वित्त मंत्रालय ने कहाकि कोरोना महामारी की वजह से समय-सीमा में बढ़ोतरी की गई है। इसे बेचने की प्रक्रिया27 जनवरी को शुरू की गई थी। यह चौथी बार है, जब सरकार ने अभिरुचि पत्र जमा करने कीतारीख को आगे बढ़ाया है। जनवरी में जारी अधिसूचना के अनुसार अभिरुचि पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 17 मार्च थी। बाद में इसे बढ़ाकर 30 अप्रैलकिया गया। उसके बाद इसे 30 जून औरफिर 31 अगस्त किया गया।


हालाँकि, अभिरुचि पत्र जमा करने की तारीख के बढ़ने के बाद भी वर्ष 1932 में जेआरडीटाटा द्वारा शुरू किये गये टाटा एयरलाइंस को फिर से टाटा समूह द्वारा खरीदे जाने कीसंभावना है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1946 में टाटाएयरलाइंस को एयर इंडिया का नाम दिया गया था और वर्ष 1947 में भारत सरकार इसमेंनिवेश करके सबसे बड़ी हिस्सेदार बन गई थी और वर्ष 1953 में इसकाराष्ट्रीयकरण किया गया था।   एयरइंडिया की टाटा समूह द्वारा खरीदारी साझेदारी में की जा सकती है, जिसमें टाटा समूह बहुलांशहिस्सेदारी वाला साझेदार होगा और वित्तीय साझेदार की हिस्सेदारी अल्पांश होगी। एकअनुमान के अनुसार विस्तारा या एयर एशिया इंडिया टाटा समूह के साथ साझेदारी करने केलिये आगे आ सकती हैं। टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस, टाटा एसआईए एयरलाइंस, जो विस्तारा का परिचालन करती है, में अप्रैल 2020 में 500 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी हैं।

बड़ी रकम मिलने के आसार नहीं 

एयरइंडिया के लिये बोली लगाने वालों को कर्ज में कुछ राहत के साथ एयर इंडिया की 100 प्रतिशतहिस्सेदारी, उसके सभी एयरक्रॉफ्ट, परिचालन स्लॉट और कर्मचारियों कोदेने की पेशकश की जा सकती है। हालांकि, सरकार अपने इस्तेमाल के लिये 4 बोइंग 747 विमानों को बिक्री प्रक्रिया से अलग रख सकती है। हालाँकि, कोरोना महामारी के नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए माना जा रहा है किएयर इंडिया के लिये बड़ी राशि की बोली नहीं लगेगी, क्योंकि कोरोना के कारण विमानन कंपनियों के मूल्यांकन में गिरावट दर्ज की गई है।

विमानन क्षेत्र की वित्तीय स्थिति इतनी ज्यादा ख़राब हो गई है कि कुछ विमानन कंपनियों ने दिवालिया होने केलिये आवेदन किया है, जबकि कुछ कंपनियों सरकार से राहत पैकेज की आस लगाये है। ऐसी प्रतिकूल स्थिति में एयर इंडियाके लिये सीमित विमानन कंपनियां ही बोली लगायेंगी की आशा की जा रही है। वर्ष 2018में भी सरकार एयर इंडिया को बेचना चाह रही थी, लेकिन इसे खरीदने के लिये कोई कंपनी तैयार नहींहुई, क्योंकि सरकार इसमें 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखना चाहती थी और इसपर अत्यधिक कर्ज का बोझ था। ज्ञातव्य है कि अप्रैल 2012 में घोषित बेलआउट पैकेज के तहत एयर इंडिया को 26,000 करोड़ रुपये से अधिक की पूँजी सरकार डाल चुकी है। हालाँकि, इसके अपेक्षित परिणाम नहीं निकल सके।

 मुनाफा कमाया जा सकता है 

टाटा समूह का मानना है कि बेहतरपरिचालन और कुशल प्रबंधन के जरिये एयर इंडिया से मुनाफा कमाया जा सकता है। वहयह मान कर चल रही है कि कोरोना महामारी के समाप्त होने के बाद एयर इंडिया के परिचालन मेंसुधार होगा। साथ में, उसे अंतरराष्ट्रीय मार्गों में मुनाफा भी होगा, क्योंकि एयर इंडिया का अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में आज भी वर्चस्व है। आज भी अंतरराष्ट्रीययात्री बाजार में एयर इंडिया की 17 प्रतिशत कीभागीदारी है। जेट एयरवेज के बंद होने के बाद अमेरिका में एयर इंडिया का दबदबा बढ़ा है। अधिकांश अन्य भारतीय विमानन कंपनियां सस्ती एयरलाइंस हैं और इंडिगो को छोड़कर इनसभी का वैश्विक परिचालन सीमित है।

बंद होने वाली विमानन कंपनियां

एयर इंडिया की वित्तीय स्थिति एकलंबे समय से खस्ताहाल है। जेट एयरवेज भी जमीन पर आ चुका है। पूर्व में एयर सहारा, किंग फिशर, ईस्ट-वेस्ट एयरलाइन, स्काइलाइन एनईपीसी, मोदीलुफ्त आदि एयरलाइंस बंद होचुके हैं। बंद होने के समय एयर सहारा की बाजार में 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी।ऐसे में सवाल का उठना लाजिमी है कि क्या चमक-दमक वाले विमानन क्षेत्र की हालात कभीभी उतनी अच्छी नहीं थी, जितनी बाहर से दिखती है। हालाँकि, मामले में बाजार हिस्सेदारी के लिहाज से देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो का प्रदर्शन अपवाद रहा है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण फिलवक्त इसकी आर्थिक स्थिति भी खस्ताहाल है।

घाटे में आने के कारण   

एयर इंडिया और इंडियन एयर लाइंसके विलय के वक्त एयर इंडिया 100 करोड़ रुपये के मुनाफे में थी, लेकिन अनियमितता, गलत प्रबंधन, राजनीतिक हस्तक्षेप और अंदरुनी गड़बड़ियों के कारण इसकी स्थिति खस्ताहाल हो गई। अदालत में दायर एक जनहित याचिका के मुताबिक वर्ष 2004 से वर्ष 2008 के दौरान विदेशी विनिर्माताओं को फायदा पहुंचाने के लिए 67000 करोड़ रुपये में 111 विमान खरीदे गये, करोडों-अरबों रुपये खर्च करके विमानों को पट्टे पर लिया गया एवं निजी विमानन कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिएफायदे वाले हवाई मार्गों पर एयर इंडिया के उड़ानों को जानबूझकर बंद किया गया, जिसकी पुष्टि नियंत्रक एवंमहालेखा परीक्षक (कैग) ने भी अपनी रिपोर्ट में की थी। निजी विमानन कंपनियों को लाभपहुंचाने वाली नीतियों के कारण इंडिगो, स्पाइसजेट, गो एयर आदि को सीधे तौर पर फ़ायदापहुँचा।

समृद्ध है एयर इंडिया का बेडा

“के-787 ड्रीमलाइनर” को सितम्बर, 2012 में एयर इंडिया के बेड़े में शामिल किया गया था। 256 सीटों वाला ड्रीमलाइनर 10 से 13 घंटे बिना किसी परेशानी के उड़ान भर सकता है। सीटों की डिजाइनिंग और ईंधन क्षमता के मामले में यह बोइंग 777-200 एलआर से बेहतर है। एयर इंडिया ड्रीमलाइनर की बेहतर क्षमता का उपयोग करके एयर इंडिया ज्यादा लाभ अर्जित कर सकतीहै। बड़े विमानों में एयर इंडिया के पास 777-200 एलआर के 8 विमान,777-300 ईआरके 12 विमान और बी 747-400 के 3 विमान हैं। छोटे विमानों में एयर इंडिया के पासए 320 के 12 विमान, ए 319 के 19 विमान और ए 321 के 20 विमान हैं। वर्तमान में एयर इंडिया के पास कुल 169 विमान हैं और कई विमानों को इसने लीज पर ले रखा है।

Air India workers to protest privatisation on Labour Day - The Hindu

कुशल प्रबंधन की जरुरत 

एयरइंडिया में फिलहाल 20,000 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिसमें लगभग 10,000 कर्मचारी संविदा पर काम करते हैं। इसके पास कुल 1700 पायलट और 4000 एयर होस्टेस हैं। इससे हर दिनकरीब 60,000 यात्री विदेश यात्रा करते हैं। पिछलेसाल एयर इंडिया ने 9 नई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू की थी और देश में भी इसने कईशहरों को जोड़नेवाली उड़ान सेवाओं को शुरू किया था। सबसे महत्वपूर्ण है कि आपातस्थिति में फंसे लोगों को निकालने के लिये सिर्फ एयर इंडिया ही हमेशा आगे आता है।   सभीतरह के संसाधनों से युक्त होने की वजह से एयर इंडिया विमानों के बुद्धिमतापूर्णइस्तेमाल से राजस्व में इजाफा कर सकता है। जैसे, जिस मार्ग पर यात्रियों काआवागमन अधिक है, वहाँ विमानों के फेरे बढ़ाये जा सकते हैं। वैसे विमानों का ज्यादाउपयोग किया जा सकता है, जिनमें कम ईंधन की खपत होती है। आज भी एयर इंडिया का इस्तेमालतार्किक तरीके से नहीं किया जा रहा है। लंबी दूरी वाले विमानों का उपयोग मध्यम तथाछोटी दूरी वाले मार्गों में उड़ान भरने के लिए किया जा रहा है। बोइंग 777-200 एलआर लंबी दूरी तय करने वालाविमान है। ये लगातार 15 से 16 घंटों तक उड़ान भर सकते हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल मध्यम दूरीवाले स्थानों के लिए कियाजा रहा है जहाँ पहुँचने में केवल 9 से 10 घंटे का समय लगता है।

विमानों के गलत इस्तेमाल से ईंधन की ज्यादा खपत हो रही है। फ्रैंकफर्ट, पेरिस, हांगकांग, शंघाई जैसे शहरों में पहुंचने में 10 घंटे का समय लगता है। वहां की उड़ान में अगर ड्रीमलाइनर काप्रयोग किया जाता है तो यात्रा की लागत प्रति किलोमीटर 25 प्रतिशत तक कम हो सकती है। यात्रियों को लुभाने के लिएविज्ञापन का सहारा लिया जा सकता है। यात्री किराया में कटौती की जा सकती है।त्योहारों में रूटों के हिसाब से या पीक सीजन के अनुसार एयर इंडिया अपने बेसिक किराये में कमी करके या सौगात देने वाली योजनाओं के माध्यम से यात्रियों को लुभासकती है। कम किराये की भरपाई विमानों के फेरे बढ़ा कर की जा सकती है।एयर इंडिया की स्टार अलायंस केसाथ साझेदारी वर्ष 2014 में हुई थी। अलायंस के 26 विमानों में से 16 का परिचालन भारत में होता है, लेकिन इनका गंतव्य मुंबई औरदिल्ली जैसे शहरों तक ही सीमित है। 28 सदस्यीय स्टार अलायंस के पास 192 देशों के 1300 हवाई अड्डों में उड़ान भरने वाले 18500 विमानों का बड़ा नेटवर्क है। ऐसेमें एयर इंडिया इस विशाल नेटवर्क का फायदा उठा सकता है।

घाटे से उबारने की कोशिश 

एयर इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अश्विनी लोहानी की अगुआई मेंएयर इंडिया को घाटे से उबारने की कोशिश की गई, लेकिन वे अपनेलक्ष्य को हासिल करने में सफल नहीं रहे। हालाँकि, उनके प्रयास सेएअर इंडिया 8 सालों के बाद परिचालन लाभ अर्जित करने में कामयाब रहा था, लेकिन बाद में एयर इंडिया अपने प्रदर्शन मेंनिरंतरता नहीं रख सका।   कोरोना काल का प्रभाव कोरोना महामारी के कारण अंतर्राष्ट्रीयउड़ानें भारत में अभी भी शुरू नहीं हो पाई हैं। सिर्फ वंदे मातरम मिशन के तहतअंतर्राष्ट्रीय उड़ानें एयर इंडिया के विमान भर रहे हैं। इस बीच, एयर इंडिया को 5 यूरोपीय शहरों, मसलन, कोपेनहेगन, मिलान, स्टॉकहोम, मैड्रिड और वियाना में अपने कार्यालयों को बंद करनापड़ा है। एयर इंडिया बिना वेतन के अवकाश पर भेजने वाले कर्मचारियों की एक लंबी सूचीतैयार कर रहा है। माना जा रहा है की बड़ी संख्या में एयर इंडिया के कर्मचारियों को6 महीनों से 5 सालों की लंबी छुट्टी पर भेजा जा सकता है। कर्मचारियों की सैलरी में 4प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक की कटौती की गई है। इधर, अचानक से 13 अगस्त के रात 10 बजे, 50 पायलटों को नौकरी से निकालदिया गया है। ये वही पायलट हैं, जिन्होंने पिछले साल अपने इस्तीफे दिये थे और 6महीनों के नोटिस पीरियड के अंदर इस्तीफे वापिस भी ले लिए थे। कई बेस क्रू केकौंट्रेक्ट का नवीनीकरण नहीं किया जा रहा है। दक्षिणी क्षेत्र में 18 केबिन क्रूकी सेवाएँ समाप्त कर दी गई है।

 बढ़ता कर्ज और घाटा 

फिलहाल, एयर इंडिया पर 58,000 करोड़ रूपये काकर्ज है, जिसमें लगातार बढोतरी हो रही है। एअर इंडिया को वित्त वर्ष 2018-19 में 8,400 करोड़ रुपये का घाटा भी उठाना पड़ा है। बढ़ते तेल कीकीमत और पाकिस्तान द्वारा भारतीय विमानों के लिए एयरस्पेस बंद करने के बाद कंपनीको हर दिन 3 से 4 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है।  दो जुलाई 2020 तक मामले में एयर इंडिया को 491 करोड़रूपये का नुकसान हो चुका है। हालाँकि, एयर इंडिया कोवित्त वर्ष 2018-19 में 26,400 करोड़ रूपये की कमाई हुई थी और इसने वित्त वर्ष2019-20 में 700-800 करोड़ रूपये के परिचालन लाभ होने की उम्मीद जताई है।   एयर इंडिया के नाम अनेक उपलब्धियां हैं और कुशल प्रबंधनके जरिये अभी भी इसे मुनाफे में लाया जा सकता है। कुशल नेतृत्व एवं संसाधनों केबेहतर प्रबंधन से पूर्व में यह लाभ में आया भी है। टाटा समूह भी मान रही है कि एयरइंडिया को लाभ में लाया जा सकता है। भारतीय रेल, यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक आदि भी पूर्वमें ऐसा करिश्मा कर चुके हैं। अनेक सरकारी कंपनियाँ आज मुनाफे में चल रही हैं।बीमा और सरकारी तेल कंपनियाँ भी मुनाफे में हैं। लाभ कमाने वाली सरकारी कंपनियोंकी एक लंबी फेहरिस्त है। ऐसे में एयर इंडिया को लाभ में लाना नामुमकिन नहीं है। योजनाबद्ध तरीके से काम करके इसे अभी भीमुनाफे में लाया जा सकता है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र, मुंबई के आर्थिकअनुसंधान विभाग में मुख्य प्रबंधक हैं)

 


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