इस दवा ने लैब में वायरस को 48 घंटे में खत्म किया

apka akhbar-ajayvidyutअजय विद्युत

वैसे है तो यह खुजली, पेट के कीड़े और जुएं मारने की दवा, लेकिन कोरोना के बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले मरीजों पर इसके इस्तेमाल के इतने अच्छे नतीजे आए कि उत्तर प्रदेश में इसे कोरोना के खिलाफ युद्ध का मुख्य शस्त्र बना लिया गया है।


 

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस के एसिम्पटोमेटिक यानी बिना लक्षण वाले या फिर हल्के लक्षण वाले लोगों को जुएं मारने के लिए उपयोग की जाने वाली दवा आइवरमेक्टिन लेने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश के मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन ने सभी जिलों के सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) को कोरोना संक्रमितों के इलाज और बचाव के लिए आइवरमेक्टिन टैबलेट दिए जाने के निर्देश दिए हैं। सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा लेकिन यह सच है कि जुएं मारने और दाद-खाज-खुजली के इलाज के लिए दी जाने वाली दवा से कोरोना का इलाज और बचाव दोनों ही संभव हो सकता है।

लखनऊ के सीएमओ आर. पी. सिंह ने बुधवार 19 अगस्त को एक प्रेस विज्ञप्ति में इस दवा की सही मात्रा, खाने के तरीके आदि के बारे में बताया है। उन्होंने आइवरमेक्टिन 12 एमजी की टेबलेट को कोरोना से बचने में मददगार बताया है। सीएमओ के मुताबिक, होम आइसोलेशन में रहने वाले बिना लक्षण अथवा हल्के लक्षण वाले कोरोना पॉजिटिव मरीजों को 3 दिन तक रोजाना एक-एक टेबलेट लेनी चाहिए। जबकि प्राइमरी और सेकेंड्री कॉन्टैक्ट को पहले दिन 1 और सातवें दिन 1 टेबलेट लेने की सलाह दी गई है। उन्होंने लोगों से जरूरत पड़ने पर इसे इस्तेमाल करने की अपील की है।

आइवरमेक्टिन टैबलेट दिए जाने के आदेश से पहले काफी तैयारी की गई थी। उप्र के महानिदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ. डीएस नेगी की अध्यक्षता में तकनीकी विशेषज्ञों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में यह तय किया गया कि इस दवा की किसे, कब और कितनी दी जानी चाहिए।

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अप्रैल में ही जग गई थी उम्मीद

आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ने के समय से ही आइवरमेक्टिन पर नजर थी। अप्रैल के पहले हफ्ते में उम्मीद की एक किरण चमकती नजर आई जब वे कोरोना वायरस की काट ढूंढने के बहुत करीब पहुंचते नजर आए। लैब टेस्ट में मिले परिणामों के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा था कि आइवरमेक्टिन में 48 घंटे में कोरोना वायरस को काबू में करने की क्षमता है। इस दवा ने लैब में वायरस को 48 घंटे में खत्म किया। यह कोरोना वायरस के इलाज की दिशा में बड़ी कामयाबी थी और जिससे क्लिनिकल ट्रायल का रास्ता साफ हुआ।

एक डोज… 48 घंटे… कोरोना खत्म!

‘एंटी-वायरल रिसर्च जर्नल’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार आइवरमेक्टिन की सिर्फ एक डोज कोरोना वायरस समेत सभी वायरल आरएनए को 48 घंटे में खत्म कर सकती है। यदि संक्रमण ने कम प्रभावित किया है तो वायरस 24 घंटे में ही खत्म हो सकता है।

आरएनए वायरस क्या है? आरएनए वायरस उन वायरसों को कहा जाता है जिनके जेनेटिक मटीरियल में आरएनए यानी रिबो न्यूक्लिक एसिड होता है। इस स्टडी को आस्ट्रेलिया के मोनाश यूनिवर्सिटी की काइली वैगस्टाफ ने अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर लिखा है।

स्टडी में वैज्ञानिकों ने बताया कि आइवरमेक्टिन एक ऐसा ऐंटी-पैरासाइट ड्रग है जो एचआईवी, डेंगू, इन्फ्लुएंजा और जीका वायरस जैसे तमाम वायरसों के  खिलाफ कारगर है। हालांकि, काइली वैगस्टाफ यह चेतावनी भी देते हैं कि हमने यह स्टडी लैब में की है। अभी इसका लोगों पर परीक्षण करने की जरूरत है।

लेकिन तब से अब तक काफी आगे का सफर तय किया जा चुका है। भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आइवरमेक्टिन कोरोना से साथ जंग में गेम चेंजर साबित होने जा रही है।

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