प्रदीप सिंह।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में जो बातें कहीं हैं उसमें कई नेताओं और पार्टियों के लिए संदेश है। उसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी संदेश है और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के लिए भी। इसके अलावा दूसरे विपक्षी दलों के लिए भी संदेश है जो विपक्षी एकता की कोशिश कर रहे हैं।
साथी… चुनाव के पहले, चुनाव के बाद
आप देखिए कि डीएमके नेता स्टालिन ने कहा क्या है। उन्होंने पहली बात कही कि अभी जो उनके गठबंधन के साथी अभी हैं वह अगले चुनाव में उन्हीं के साथ जाएंगे। यानी वह गठबंधन नहीं तोड़ने वाले। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले बीजेपी से कोई तालमेल या समझौता नहीं होने वाला है। जब मौजूदा गठबंधन के साथ चुनाव लड़ना है तो ऐसे में यह बड़ी स्वभाविक सी बात है। उसके अलावा उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद उनके सारे विकल्प खुले हुए हैं। बस सारा रहस्य इसी बात में छुपा है। हालांकि उन्होंने यह कहा कि वह चुनाव में बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे- लेकिन इसके बावजूद चुनाव के बाद विकल्प खुले होने का क्या मतलब है? साफ़ मतलब है कि जिस गठबंधन के साथ चुनाव लड़ेंगे चुनाव के बाद उसके साथ रहें यह जरूरी नहीं है- यह कांग्रेस पार्टी के लिए संदेश है।
केंद्रीय भूमिका डीएमके की- तो कांग्रेस कहां?
कांग्रेस पार्टी के लिए स्टालिन का एक और महत्वपूर्ण सन्देश भी है। स्टालिन से सवाल पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि विपक्षी नेताओं को एक करने में जुटे राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी में अब वह शक्ति या क्षमता नहीं रह गई है कि वे इस काम को कर सकें। एम के स्टालिन ने इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वह विपक्षी दलों से संपर्क में हैं और विपक्षी एकता बनेगी। इसका क्या मतलब है? यह कि इसमें कांग्रेस पार्टी की केंद्रीय भूमिका नहीं होगी- ऐसा संकेत स्टालिन दे रहे हैं। और अगर आपको अभी भी कोई संदेह बचा रह गया है तो स्टालिन की अगली बात सुनिए। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद डीएमके की केंद्रीय भूमिका होगी- हम ‘डिसाइडिंग फैक्टर’ होंगे।
समझो इरादे
तमिलनाडु में लोकसभा की कुल चालीस सीटें हैं। स्टालिन ने कहा कि हम तमिलनाडु की 40 में से 40 सीटें जीतेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में डीएमके ने 40 में से 38 लोकसभा सीटें जीती थीं। एक सीट का चुनाव रुक गया था- वह बाद में हुआ और उसे भी डीएमके ने जीता। इस तरह से इस समय डीएमके के पास तमिलनाडु में लोकसभा की कुल 40 में से 39 सीटें हैं। सिर्फ एक सीट एआइडीएमके के पास है जो ओपी रविंद्र नाथ ने जीती थी। रविंद्र नाथ तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेलवम के बेटे हैं जिनको पार्टी से निकाल दिया गया है। इस तरह तमिलनाडु में डीएमके की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन बहुत आश्वस्त हैं। उनको लगता है कि वह 2019 की परफॉर्मेंस को न केवल दोहराएंगे बल्कि उसको और बेहतर करेंगे।
नीतीश कुमार के लिए क्या कहा स्टालिन ने
एक सवाल था जिसमें सीधे नीतीश कुमार को लेकर कोई बात नहीं पूछी गई… और ना ही अपने जवाब में स्टालिन ने नीतीश कुमार का नाम लिया। उनसे सवाल यह पूछा गया कि आप आम चुनाव के बाद किंग मेकर होंगे या किंग होंगे? यह ऐसा सवाल है जो किसी भी राजनीतिक नेता के लिए बहुत मुश्किल होता है और अगर नेता में स्पष्टता हो तो बहुत आसान भी होता है। एम के स्टालिन ने इस सवाल का सीधा जवाब फिर नहीं दिया। उन्होंने जवाब में अपने पिता स्वर्गीय एम करूणानिधि का एक उद्धरण बताया। उन्होंने कहा कि उनके पिता कहा करते थे कि “किसी को भी अपनी हैसियत पता होनी चाहिए”… और मुझे अपनी हैसियत पता है। यानी जो व्यक्ति अपने राज्य की सभी 40 लोकसभा सीट जीतने की संभावना जता रहा हो और जो अभी 39 लोकसभा सदस्यों वाली पार्टी का नेता हो- वह किंग मेकर या किंग होने के बारे में नहीं सोच रहा है। वह कह रहा है मुझे पता है अपनी हैसियत। और वहीँ बिहार की 40 सीटों में से 17 सीटें- वह भी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेहरबानी से- जीतने वाले नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने की कोशिश कर रहे हैं… सपना देख रहे हैं… या उनकी महत्वाकांक्षा है। तो एमके स्टालिन का सीधा सा संदेश है कि अपनी राजनीतिक हैसियत पहचानो और अपनी राजनीतिक हैसियत के अंदर रहो। यह संदेश नीतीश कुमार के लिए है- कांग्रेस पार्टी के लिए है- और दूसरी पार्टियों के लिए भी है। अगर चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन बन भी गया- जो बहुत मुश्किल दिखाई दे रहा है- तो चुनाव के बाद वह गठबंधन नहीं टिका रहेगा यह बात एम के स्टालिन आज ही कह रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि उनके सारे विकल्प खुले होंगे। और जब ‘विकल्प खुले होंगे’ की बात होती है तो केवल दो ही परिस्थितियां बनती हैं- केंद्र में या तो कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनने की परिस्थिति बने, या फिर भारतीय जनता पार्टी के।
पकड़ सकते हैं जगन रेड्डी, नवीन पटनायक की राह
स्टालिन ने कहा कि देखेंगे चुनाव के बाद राजनीतिक परिस्थिति क्या बनती है- उसके अनुसार फैसला लेंगे। तो आप यह मान कर चलिए कि अगर चुनाव के बाद केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनती है तो डीएमके या तो एनडीए में शामिल हो जाए- या फिर उस भूमिका में आ जाए जिसमें अभी उड़ीसा के मुख्यमंत्री और बी.जे.डी. नेता नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और वाई.एस.आर.सी.पी के नेता जगनमोहन रेड्डी हैं। एनडीए में शामिल नहीं होंगे लेकिन समय-समय पर सरकार की मदद करते रहेंगे। और इसके संकेत एम के स्टालिन पहले से दे रहे हैं। उनको मालूम है कि उनकी सरकार के कई मंत्री भ्रष्टाचार में घिरे हैं। उसके अलावा वह पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं और प्रदेश चलाने के लिए उनको केंद्र की मदद की जरूरत होगी।
किसी रीजनल पार्टी के इस प्रकार के बयान का एक ही मतलब होता है कि केंद्र में जो सरकार होगी- उनकी कोशिश होगी कि उसके साथ मिलकर चलें। तो यह बदलती राजनीति का संकेत है- अगर राहुल गांधी और नीतीश कुमार को समझ में आ जाए तो अच्छी बात है- और नहीं आए तो फिर उनकी किस्मत।