आपका अखबार ब्यूरो।
फिलहाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी अपनी एक कर्मठ छवि बनाने में जुटे हैं और 3500 किलोमीटर लंबी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले हैं जो करीब पांच महीने चलेगी। यह यात्रा काफी चर्चा में है और अलग-अलग कारणों से चर्चा में है। हम यहां इस बात का जिक्र नहीं कर रहे हैं कि इस पदयात्रा से कांग्रेस को कितना राजनीतिक लाभ होगा- या कि वह पहले की ही स्थिति में हाथ मलती खड़ी नजर आएगी। तमाम लोग हैं जो कांग्रेस को फलता फूलता देखना चाहते हैं- उनकी आकांक्षाओं/विचारों को इस यात्रा से थोड़े समय के लिए पंख मिल गए हैं। हालांकि इस यात्रा से क्या हासिल हुआ- हिट रही या फ्लॉप- उसका अनुमान तो 5 महीने के बाद ही लगाया जा सकेगा लेकिन अभी सोशल मीडिया के प्लेटफार्म फेसबुक पर लोग किस प्रकार अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं उसे देखना दिलचस्प है।
केरल में पर्यटन बढ़ेगा
प्रतुल जोशी (Pratul Joshi)
राहुल भैया, जो काम केरल का पर्यटन मंत्रालय नहीं कर पाया, वह आपने कर के दिखा दिया कि 18 दिन तक केरल में टहला जा सकता है। हम तो दो बार केरल गए… चार दिन में समझे कि पूरा केरल समझ लिए हैं। ई तो निश्चित है कि आपकी जात्रा से केरल में पर्यटन बढ़ेगा।
भारत जोड़ो बनाम कांग्रेस पार्टी में कलह
अमिताभ श्रीवास्तव (Amitaabh Srivastava)
उधर भारत जोड़ो यात्रा चल रही है, इधर कांग्रेस का कलह जारी है। अशोक गहलोत गांधी परिवार यानी सोनिया, राहुल, प्रियंका के विश्वासपात्र हैं इसलिए कांग्रेस के नये अध्यक्ष पद के लिए उनका नाम उछलने के बाद उनकी दावेदारी सबसे पुख़्ता मानी जा रही थी लेकिन दोनों हाथों में लड्डू रखने यानी कांग्रेस अध्यक्ष पद के साथ साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहने की लालसा जताकर उन्होंने अपने नंबर कम कर लिए हैं। कम से कम राहुल गांधी की निगाह में ज़रूर, क्योंकि राहुल जनता की निगाह में अपनी व्यक्तिगत शुचिता और अनासक्ति वाली महात्माई छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं और पार्टी को साफसुथरे पारदर्शी लोकतांत्रिक तरीके से चलाने की हिमायत भी।
गहलोत की राय से दिग्विजय सिंह की असहमति को राहुल गांधी का समर्थन भी होगा ,ऐसा लगता है। दिग्विजय सिंह भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ चल रहे हैं। सचिन पायलट भी यात्रा में नज़र आये थे। अगर अशोक गहलोत सचिन पायलट का हक (यानी मुख्यमंत्री की कुर्सी) मारते दिखेंगे तो इससे पार्टी के भीतर और बाहर अच्छा संदेश नहीं जाएगा। राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं और राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका यह बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि सचिन पायलट ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर चले जाएँ। तो दिग्विजय सिंह का भी नाम आ सकता है अध्यक्ष पद के लिए। चुनाव में शशि थरूर की तो मात्र एक सांकेतिक उपस्थिति होगी, अगर हुई तो, यह दिखाने के लिए कि पार्टी में लोकतंत्र है।
सही-गलत भविष्य के गर्भ में
डॉ. राकेश पाठक (DrRakesh Pathak)
हमारा अंदाजा है कि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनेंगे। पांच महीने बाद जब भारत जोड़ो यात्रा पूरी होगी तो श्रीनगर से कांग्रेस के ‘सर संघ चालक’ के रूप में राहुल गांधी दिल्ली लौट रहे होंगे। बिना किसी पद के वे पार्टी के मेंटोर की भूमिका में रहना बेहतर समझेंगे। अगर यात्रा में किसी ने भी कोई बड़ी बाधा डाली तो राहुल गांधी का कद और बड़ा हो सकता है। यह सिर्फ़ हमारा अनुमान है। सही-गलत भविष्य के गर्भ में है। आपका क्या कहना है?
विदेशी मीडिया में छायी
चंचल बीएचयू (Chancal Bhu)
राहुल गांधी की भारत जोड़ो पद यात्रा विदेशी मीडिया में छायी हुई है। पद यात्रियों का जन सैलाब, उनके उत्साहित चेहरे, ‘वाइड ऐंगल’ में हैं। ‘लॉंग शॉट’ में फुटपाथों पर थके बैठे पदयात्री, इंसान की बनायी तमाम ज़ंजीरों को तोड़ कर एक दूसरे से बतिया रहे हैं, झुर्रियों से भरा एक हाथ आगे बढ़ता है- नी तन्नीर कुलिपाया? -पंजाबी मुस्कुराया पानी के लिए पूछ रही है, हो मासी! बोलते हुए सरदार ने मासी को अपनी दोनो बाँहों में ले लिया। एक बूढ़ी काया सरदार से चिपट गयी। मिठाई का डिब्बा खुल गया। हिंदी, उर्दू, तमिल, पंजाबी एक डिब्बे में। झुर्रियों वाला हाथ ‘तन्नीर’ बाँट दिया। सरदार को एक शब्द मिला है उसे सहेज रहा है- तन्नीर माने जल।
मास? तमिल में उलझ गयी। सरदार के बाहों ने अनुवाद कर दिया आ अम मा, या अततयी!
पद यात्रा केवल डगर नही नापता, एक जुड़ाव होता है। अपनापन निकल आता है। रंग, जाति, मज़हब, लिंग, औक़ात, उम्र की सारी दीवारें भसक गयी हैं।
राहुल गांधी क्या बोल रहे हैं? समझ में आ रहा है? तमिल किसान हैं “हमारे भले के लिए ही बोल रहा होगा ।“ दुभाषिया हँस दिया- नेतृत्व के क़द की ऊँचाई यही ‘भरोसा’ तय करता है। विदेशी मीडिया यात्रा के साथ चल रही घटनाएँ भी उठाता जा रहा है।
मैं भी कुछ दिन राहुल गांधी के साथ यात्रा पर रहूँगा
शम्भूनाथ शुक्ल (Shambhunath Shukla)
कांग्रेसी तो मुझे बुलाएँगे नहीं किंतु राहुल गांधी पदयात्रा करते हुए जब इंदौर से कोटा आएँगे तब कोटा आ कर मैं भी कुछ दिन उनके साथ यात्रा पर रहूँगा। अब मैं इंडिया में टी-शर्ट तो पहनता नहीं इसलिए खादी भंडार से दो जोड़ी कुर्ता-पाजामा का ऑर्डर अमेजन पर कर दिया है। जूते नाइकी के सीधे US से ले आऊँगा। रोज़ाना 15 से 20 किमी अनवरत चलने का अभ्यास कर ही लिया है। अब भारत तो ख़ैर कश्मीर से कन्याकुमारी तक लैंड लॉक्ड है किंतु इस बहाने मैं राजस्थान के नेटिव लोगों से अवश्य जुड़ जाऊँगा और यह मेरी उपलब्धि होगी।
और हाँ मैं कोई कैरेवान पर तो चलूँगा नहीं- न किसी स्टार में ठहरने की कूवत है न समझ। किसी मित्र के यहाँ भी नहीं, हालाँकि मेरे एक नोएडावासी मित्र वहाँ मंत्री हैं। मैं तो रोज़ रात किसी मूल निवासी भीलों, गूजरों के घर ठहरूँगा और वही भोजन करूँगा जो वे करते हैं। भले वे घास की रोटियाँ हों या घी से सनी रोटी।
लेफ्ट और कांग्रेस में चुनना हो तो लेफ्ट को ही प्रिफर करूंगा
दीपक कबीर (Deepak Kabir)
मैं CPIM में नहीं हूं… बरसों से नहीं हूं। काफी तल्खियों के साथ अलग हुआ था। मगर इतनी राजनैतिक समझ और उसूलों को अपना रखा है कि अगर केरल में लेफ्ट और कांग्रेस में चुनाव हो तो लेफ्ट को ही प्रिफर करूंगा। देश के ज्यादातर पुराने जनवादी, वामपंथी, डेमोक्रेटिक, सिविल सोसायटी के लोग जो भारत जोड़ो यात्रा को लेकर उत्साहित हैं… या ऐसे हर मौके पर होते हैं, खास तौर पर नॉर्थ इंडिया के- वो कांग्रेस को जिताने से ज्यादा भाजपा को हराना चाहते हैं… भाजपा की नीतियों की वजह से।
यात्रा के रूट और टाइमिंग पर शुरू में ही मैंने एक पोस्ट लिखी थी मगर ये कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी मामला था/है। सुबह किसी वीडियो में मुझे कांग्रेसी झंडों के साथ यात्रा में लाल झंडे भी साथ में दिखे तो बहुत अच्छा लगा कि चलो सब सहयोग कर रहे हैं… मगर फिर निगाह में ये पोस्टर आया.तो जरूरी लगा इसे लिखा जाय। इस पोस्टर में उठे सवाल जायज़ हैं… केरल में भाजपा एक भी सीट लोकसभा की सीट नहीं जीतने जा रही- ना विधानसभा की… और ये बात तो कांग्रेसी भी मानते हैं कि कांग्रेस एक बार भले बीजेपी के साथ चली जाय- लेफ्ट नहीं जायेगा। फिर उत्तर प्रदेश, हिमाचल, गुजरात, मध्यप्रदेश से लगभग गायब होते हुए आप सिर्फ केरल में 18 दिन देंगे तो सवाल तो उठेगा ही। इसलिए कि ये चुनाव प्रचार की रणनीतिक यात्रा नहीं, कुछ खास भावनात्मक मुद्दों पर केंद्रित भारत जोड़ो यात्रा है।
कांग्रेस केरल, तमिलनाडु जैसे स्टेट की सारी की सारी लोकसभा सीट भी जीत ले और अपनी सीट्स बढ़ा ले- तो भी वो लेफ्ट या स्टालिन को हरा कर भाजपा की सांप्रदायिकता या नफरत को हराने का एक भरम ही होगा। उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश की दो दो , पांच पांच सीटें भी ज्यादा भारी होंगी क्योंकि वो भाजपा से छीनी होंगी।
लगातार भाजपा की नफरत से लड़ते लड़ते कांग्रेस या राहुल गांधी के साथ जो हमदर्दी पैदा हुई है… उसे और मजबूत रिश्ते और भरोसे में बदलना था… इसे चुनावी यात्रा की जगह वैचारिक यात्रा ही बनाते तो और अच्छा था। इसके बावजूद इस यात्रा की सफलता की कामना करता हूं और इसे उत्साहपूर्वक सफल होते देखने की प्रतीक्षा है। अपना हर मुमकिन सहयोग भी दिया है।
मैं इस पोस्ट को, इस पोस्टर को इग्नोर भी कर सकता था। क्या मिलेगा.. लेफ्ट से कुछ मिलना नहीं… और कांग्रेस वाले स्क्रीन शॉट लेकर रखेंगे। कांग्रेस में राज्यसभा से लेकर विभिन्न प्रदेशों में सम्मान पुरस्कार, सदस्यता, समितियों आदि के हजारों अवसर हैं… तमाम कोर्डिनेटर दोस्त समझाते रहते हैं, मगर- दिल तो दिल है… क्या कीजे/ घूम जाती है इधर को भी नज़र, क्या कीजे!