प्रदीप सिंह।
हरियाणा की राजनीति में इस समय हलचल है। भारतीयजनता पार्टी और दुष्यंत चौटाला की पार्टी (जननायक जनता पार्टी- जजपा) उन दोनों में कुछ खटपट चल रही है। ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी दुष्यंत चौटाला को झटका देने के मूड में है।
आदमपुर उपचुनाव
उसकी जो वजह सामने दिखाई दे रही है वह है आदमपुर का उपचुनाव। कुलदीप विश्नोई कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और उसके बाद अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। कुलदीप विश्नोई आदमपुर सीट से विधायक थे। उनके इस्तीफे के कारण वहां उपचुनाव हो रहा है। इस उपचुनाव में भाजपा ने कुलदीप विश्नोई के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पौत्र को टिकट दिया है। बीजेपी इस उपचुनाव में जजपा या दुष्यंत चौटाला का कोई इस्तेमाल नहीं कर रही है। न तो उन्हें चुनाव प्रचार के लिए बुलाया जा रहा है और न ही उपचुनाव के पोस्टर-बैनर में कहीं दुष्यंत चौटाला या उनकी पार्टी का नाम है। हालांकि इससे पहले राज्य में जो दो उपचुनाव हुए थे उन दोनों में बीजेपी ने न केवल दुष्यंत चौटाला के नाम का उपयोग किया था बल्कि उनसे चुनाव प्रचार भी करवाया था।
इसे देखते हुए दुष्यंत चौटाल और उनकी पार्टी के साथियों को मन ही मन यह लग रहा है भाजपा शायद कुछ ‘सोच’ रही है। इसका एक कारण यह भी है कि बीजेपी का सोशल मीडिया पर 2024 के चुनाव का कैम्पेन शुरू हो गया है। उसमें कहीं भी जजपा या दुष्यंत चौटाला का नाम नहीं है। इस पर दिग्विजय सिंह ने एतराज किया है। दिग्विजय सिंह जजपा के महामंत्री और दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई भी हैं। उनका एतराज यह है कि जब हम गठबंधन में है और साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं- ऐसे में यह तरीका ठीक नहीं है।
आशंका का कारण नंबर दो
अगर बात यहीं तक होती तो शायद फिर भी गनीमत होती। बीजेपी ने चौटाला परिवार के साथ बीस साल तक रहे दुष्यंत चौटाला के निजी सचिव महेश चौहान को पार्टी में शामिल करा लिया। चौहान अपने एक सौ पचास समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। उसके बाद से जजपा और दुष्यंत चौटाला के मन में बीजेपी को लेकर आशंका और ज्यादा बढ़ गई है। इस पर बीजेपी का कहना है कि हर पार्टी अपना विस्तार करना, उसे आगे बढ़ाना चाहती है। पर इसके बाद एक घटना और हो गई। त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की ओर से हरियाणा के प्रभारी विप्लव देव ने पिछले दिनों भाजपा का समर्थन कर रहे हरियाणा विधानसभा के छह निर्दलीय विधायकों के साथ लंबी बैठक की। इसे भी चौटाला परिवार शंका की नजर से देख रहा है। उसे लग रहा है कि बीजेपी अंदरखाने जजपा को झटका देने की तैयारी कर रही है।
विधानसभा का अंकगणित
जजपा की आशंका का एक बड़ा कारण यह है कि हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के पास 40 सीटें हैं। आदमपुर उपचुनाव को जीतने के बाद- जिसकी कि पूरी उम्मीद जताई जा रही है- भाजपा की विधानसभा में 41 सीटें हो जाएंगी। जो छह निर्दलीय भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन कर रहे हैं अगर उनको मिला लिया जाए तो यह आंकड़ा 47 हो जाता है। जबकि विधानसभा में बहुमत के लिए केवल 46 विधायकों की आवश्यकता है। ऐसे में बीजेपी को सरकार चलाने के लिए तकनीकी रूप से जजपा की जरूरत खत्म हो जाएगी। जजपा यह नहीं चाहती। इसीलिए जजपा और दुष्यंत चौटाला की बेचैनी ज्यादा बढ़ गई है। वे चाहते हैं कि पहले यह स्पष्ट हो जाए कि यह गठबंधन चुनाव तक चलेगा या नहीं… और चुनाव में वे गठबंधन के साथ जाएंगे या दोनों पार्टियां अलग अलग चुनाव लड़ेंगी। भारतीय जनता पार्टी की ओर से अभी इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया जा रहा है।
आने वाले दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इसमें ज्यादा वक्त इसलिए नहीं लगेगा क्योंकि आदमपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को मतदान है और 6 नवंबर को नतीजा आ जाएगा। उसके बाद आप देखेंगे कि जिस तरह से बयानबाजी शुरू होती है उससे ही आगे के नजारे का काफी कुछ अंदाजा लग जाएगा। उसके अलावा हरियाणा में पंचायतों के चुनाव होने वाले हैं। वे स्पष्ट करेंगे कि आगे भाजपा-जजपा का गठबंधन चलेगा या लोकसभा चुनावों से पहले ही टूट जाएगा।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और‘आपका अखबार’ न्यूज पोर्टलएवं यूट्यूब चैनल के संपादक हैं)