-प्रशांत त्रिपाठी।
उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार ने तय कर लिया है कि अब उसका कोई भी भाग विकास कार्यों से पिछड़ा या वंचित नहीं रहेगा। पूर्व की सरकारों नें सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के साथ न्याय संगत व्यवहार नहीं किया था। परिवारवाद, जातिवाद एवं क्षेत्रवाद से ग्रसित होकर कुछ स्थान विशेष पर विकास किया। जिससे अन्य बहुत से महत्वपूर्ण स्थल विकास से वंचित रहे। वहीं योगी सरकार ने समूचे प्रदेश विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में जहां-तहां बिखरे प्राचीनतम पौराणिक सांस्कृतिक विरासतों को उनकी अपनी पहचान देने का अविश्वसनीय कार्य किया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर (कॉरिडोर) की तर्ज पर मिर्जापुर के विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर को भी विंध्यधाम (विंध्य कॉरिडोर) के रूप में विकसित किया जा रहा है। पहले चरण में मंदिर के चारों ओर 50 फीट का परिक्रमा पथ बनाया जा रहा है। इसके अलावा मंदिर तक जाने वाले चार रास्तों को भी 35 से 40 फीट तक चौड़ा किया जाएगा। इसे इस तरह विकसित किया जाएगा कि हर कोना अपनी पारंपरिक धरोहर बयां करे।
देश के गृह मंत्री अमित शाह एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में विंध्य कॉरिडोर का शिलान्यास वर्ष 2020 में हो चुका है। हर दिन हजारों लोग मां विंध्यवासिनी धाम के दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि वाराणसी में महादेव की पूजा के बाद मिर्जापुर में मां भगवती की पूजा बिना तीर्थ यात्रा अधूरी रहती है। विंध्यवासिनी देवी की पूजा महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी होती है। कहते हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम ने भी यहां पूजा की थी। जनपद मिर्जापुर में सीता कुंड, सीता रसोई और राम घाट भी है। वाराणसी से करीब 70 किलोमीटर दूर, प्रयागराज एवं वाराणसी के मध्य स्थित मिर्ज़ापुर अपने पौराणिक धरोहरों को सहेजे हुए है, जहां प्रत्येक दिन हजारों श्रद्धालु विंध्यवासिनी माता के दर्शन को आते है। मथुरा, काशी, अयोध्या, चित्रकूट के बाद मिर्ज़ापुर हिन्दू की आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है।
मां विंध्यवासिनी कृपा की दाता मानी जाती हैं। विंध्यवासिनी देवी मंदिर पवित्र गंगा नदी के तट पर मिर्जापुर से 8 किमी दूर स्थित है। यह सबसे प्रतिष्ठित सिद्ध शक्ति पीठों में से एक है। चैत्र और अश्विनी माह में नवरात्र के दौरान भक्तों की भारी भीड़ यहां रहती है। यहां के अन्य पवित्र स्थान अष्टभुजा मंदिर, सीता कुंड, काली खोह, बुदेह नाथ मंदिर, नारद घाट, गेरुआ तालाब, मोतिया तालाब, लाल भैरव और काल भैरव मंदिर, एकदंत गणेश, सप्त सरोवर, साक्षी गोपाल मंदिर, गोरक्ष-कुंड, मत्स्येंद्र कुंड, तारकेश्वर नाथ मंदिर, कनकली देवी मंदिर, शिवशिव समूह अवधूत आश्रम और भैरव कुंड इत्यादि हैं।
धार्मिक पर्यटन एवं रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के बाद विंध्य कॉरिडोर प्रदेश सरकार का महत्वपूर्ण एवं महत्त्वकांक्षी योजना है। काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी धाम भी घनी आबादी के मध्य होने के कारण इसके रास्ते बेहद संकरे थे, जगह कम होने के चलते श्रद्घालुओं को काफी दिक्कत होती थी। इसके मद्देनजर योगी सरकार काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विंध्य कॉरिडोर विकसित कर रही है।
कॉरिडोर के पहले चरण में मंदिर के चारों ओर 50 मीटर चौड़ा परिक्रमा पथ बनाया जाना है। इससे मंदिर का परिसर कई गुना बढ़ जाएगा। इसके अलावा मंदिर को जोड़ने वाले चार मार्ग पुरानी वीआईपी गली का विस्तार 40 फीट, न्यू वीआईपी गली का विस्तार 35 फीट, गंगा घाट की तरफ जाने वाले मार्ग पक्काघाट मार्ग दो सौ मीटर तक गली की चौड़ाई 35 फीट बढ़ाई जा रही है। परिक्रमा पथ के निर्माण के लिए मकान, दुकान समेत 92 सम्पत्तियों से अधिक और चारों मार्ग के चौड़ीकरण के लिये 671 से भी ज्यादा सम्पत्तियां खरीदकर उसका मलबा हटाकर परिसर के निर्माण और शिलान्यास के लिये तैयार किया जा रहा है। 150 करोड़ रुपये से विंध्याचल कॉरिडोर परियोजना की आधारशिला रखी गई। विंध्य कॉरिडोर की लागत 331 करोड़ रुपये है लेकिन परियोजना के विस्तार से इसकी लागत अभी और बढ़ सकती है।
विंध्य कॉरिडोर बन जाने से इलाके में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। यहां अष्टभुजा पहाड़ी पर पूर्वी उत्तर प्रदेश का पहला रोपवे भी लगभग बनकर पूरा हो चुका है। मां विंध्यवासिनी मंदिर से पांच मिनट में अष्टभुजा मंदिर पहुंचा जा सकेगा। साथ ही साथ मिर्जापुर में सोलर पावर एनर्जी का इनॉग्रेशन जनपद मिर्जापुर में विंध्यवासिनी मंदिर को जाने वाले मार्गों को जोड़ने वाले पहुंच मार्गों के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण, विंध्यवासिनी मंदिर पर परकोटा एवं परिक्रमा पथ के निर्माण एवं विंध्यवासिनी मंदिर की गलियों के फसाड ट्रीटमेंट के निर्माण कार्य जारी। योगी सरकार ने हर घर नल से जल की महत्वाकांक्षी योजना शुरुआत की है।
पहले चरण में यूपी के विंध्य क्षेत्र के लिए 2185 करोड़ की परियोजना की शुरूआत हुई है। सरकार की योजना है कि 2 साल के अंदर विंध्यांचल के हर घर तक पानी को पहुंचाया जा सके। पूर्व की सरकारों ने जनपद मिर्जापुर की खूब उपेक्षा की। यहां आदिवासी एवं अति पिछड़े वर्गों की अच्छी जनसंख्या होने के बावजूद यह क्षेत्र विकास से महरूम रहा। जिस कारण यह क्षेत्र पिछड़ता चला गया।
परंतु वर्तमान केंद्र एवं प्रदेश की योगी सरकार ने न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश अपितु मिर्ज़ापुर जनपद के भी सांस्कृतिक धरोहरों के साथ साथ स्थानीय बुनियादी सुविधाओं पर भी विशेष ध्यान केंद्रित किया है। विशेष रूप से विंध्याचल धाम जिससे प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर के पुनरुद्धार के साथ हर वर्ग के स्थानीय लोगों कों रोजगार मिलेगा। राष्ट्रीय महामार्ग (एनएच2) जिसका महत्वपूर्ण भाग जनपद मिर्जापुर से होकर गुजरता है। यानि पूर्वांचल क्षेत्र में विकास की गंगा प्रवाहित करने का कार्य वर्तमान सरकार नें किया है जिससे यातायात ही नहीं अपितु छोटे बढ़े नए व्यापार कों भी दिशा मिली है। स्थानीय नगर विकास कार्य हों या ग्रामीण क्षेत्रों के बुनियादी सुविधाओं का उन्नयन आदि से मिर्ज़ापुर जनपद विकास की कहानी बयां कर रहा है। (एएमएपी)
(लेखक, ह्यूमन राइट एससोसिएसन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उप-सचिव हैं )