—प्रदीप सिंह
शेयर बाजार को यों ही छुईमुई नहीं कहा जाता। वह किस बात से खिल उठेगा और किस घटना से मुर्झा जाएगा यह पता लगाना विशेषज्ञों के लिए हमेशा चुनौती पूर्ण होता है। उन्नीस मई को लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल के रुझान आने के बाद अगले दिन बाजार सरपट ऊपर की ओर भागा। इसका कारण यह था कि बाजार को समझ में आया कि देश में राजनीतिक स्थिरता किसी भी देश की अर्थवव्यस्था के लिए अच्छी खबर होती है। पर तेइस मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो बाजार पहले तो उछला और फिर लुढ़क गया। ऐसा करके शेयर बाजार ने उसके बारे में बनी एक और धारणा को पुष्ट कर दिया कि वह अफवाह पर चढ़ता है और खबर सुनकर गिरता है। इस मामले में अफवाह हुई चुनाव नतीजों का अनुमान और खबर हुई चुनाव नतीजे। शेयर बाजार के साथ एक और बात होती है, वह अनुमान या अफवाह पर जब भरोसा कर लेता है तो उसे पचा लेता है। इसलिए जब वास्तविक खबर आती है तो उसकी चाल पर कोई असर नहीं पड़ता।
मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति स्थायित्व को पसदं करने वाली होती है। अनिश्चितता उसे डराती है। क्योंकि अनिश्चितता अपने साथ जोखिम लेकर आती है। अमूमन जोखिम दो तरह के लोग उठाते हैं। एक, बुद्धिमान व्यक्ति, जो सब कुछ या बहुत कुछ जानते हैं और दूसरे बेवकूफ, जो कुछ नहीं जानते। हम बुद्धिमान भले न हों पर बेवकूफ न तो बनना चाहते हैं और न दिखना। यही कारण है कि आम आदमी शेयर बाजार से दूरी में ही भलाई समझता है।
जैसे पानी में उतरने से पहले तैरना सीखना जरूरी है, वैसे ही शेयर बाजार में निवेश से पहले उसके बारे में जानकारी होना जरूरी है। मोटे तौर पर शेयर बाजार भी किसी अन्य बाजार की तरह ही है। यहां भी खरीद फरोख्त होती है। पर किसी जिन्स की बजाय शेयरों की। अंग्रेजी शब्द शेयर का अर्थ है, हिस्सा। तो जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो दरअसल उस कंपनी का एक छोटा सा हिस्सा खरीदते हैं और इस तरह आप उस कंपनी के हिस्सेदार बन जाते हैं। हिस्सा तो खरीद लिया अब कमाई कैसे हो? आपकी कमाई तभी होगी जब कंपनी मुनाफा कमाएगी। पर इसके अलावा भी कई कारण होते हैं जिनसे किसी कंपनी के शेयर के भाव में उतार चढ़ाव आता है। उसका एक कारण शेयरों की मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर भी हो सकता है। या फिर कंपनी के बारे में कोई अच्छी या बुरी खबर भी हो सकती है। कंपनी के बारे में अच्छी खबर सिर्फ उसका मुनाफा बढ़ना ही नहीं है। उसे कोई बड़ा ऑर्डर मिलने की खबर भी उसके दाम में इजाफा कर सकती है। कंपनी के मालिक या कंपनी किसी विवाद में फंस जाए तो उसके शेयरों का भाव गिर सकता है।
शेयर बाजार में निवेशकों के अलावा एक और प्रजाति होती है जिन्हेंबाजार की भाषा में ब्रोकर या दलाल कहा जाता है। ये दलाल बाजार को कृतिम ढंग से ऊपर नीचे ले जाते हैं। किसी कंपनी का शेयर सस्ते में खरीद कर उसका भाव बढ़ा देते हैं। उस कंपनी के शेयरों की उपल्ब्धता कम होते ही और खरीददार इस उम्मीद में आ जाते हैं कि इसका भाव बढ़ेगा। भाव को एक स्तर पर ले जाने के बाद ये दलाल उसे बेचकर मुनाफा वसूल लेते हैं। वे इसका उल्टा भी करते हैं। पर इस चक्कर में आम निवेशक फंस जाता है। इन दलालों का एकमात्र लक्ष्य कम समय में ज्यादा कमाई का होता है। इसलिए शेयर बाजार में यदि आप निवेशक हैं तो ट्रेडर बनने की कोशिश मत कीजिए। क्योंकि यह आपकी पूंजी डूबने का शर्तिया फार्मूला है।
बाजार में उतार चढ़ाव का एक कारण टीवी चैनलोंमें विभिन्न कंपनियों के बारे में आने वाली राय भी है। ज्यादातर निवेशक मेहनत करके कंपनी के बारे में जानकारी हासिल करने की बजाय इन्हीं विशेषज्ञों की राय के आधार पर निवेश करते हैं। बाजार मोटे तौर चार कारणों के ऊपर नीचे होता है। पहला, कंपनी का प्रदर्शन। दूसरा, बाजार में लिवाली और बिकवाली का अनुपात। तीसरा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्या गतिविधियां चल रही हैं और चौथा, दलालों की लीला। आम निवेशक इसमें फंसता है तो अंटी का पैसा चला जाता है और हाथ मलने के अलावा कुछ बचता नहीं। इसलिए बाद में पछताने की बजाय सावधानी बरतना ज्यादा अच्छा है।
आप निवेशक और वह भी लम्बी अवधि के निवेशक हैं तो इन सब चिंताओं से मुक्त हैं। बाजार में रोजमर्रा के उतार चढ़ाव का असर लम्बी अवधि के निवेश पर नहीं पड़ता। इसलिए निवेशक बनने की बुनियादी योग्यता है, धैर्य।यदि आपमें धैर्य है और अच्छी कंपनियों को चुनने और उनमें निवेश की समझ है तो आप शेयर बाजार से कमाई ही नहीं धन-सम्पत्ति( वेल्थ) भी अर्जित कर सकते हैं। निवेशक के तौर पर हमेशा याद रखिए कि बाजार में गिरावट के समय अच्छी कंपनियों के शेयर खरीदिए। एक बात का ध्यान जरूर रखें कि तेजी से गिरते बाजार में किनारे खड़े होकर उसके ठहरने के इंतजार कीजिए। क्योंकि गिरता बाजार गिरती हुई छुरी की तरह होता है जिसे पकड़ने की कभी कोशिश नहीं करना चाहिए। चढ़ते बाजार में बेचिए। पर अपने लालच पर थोड़ा काबू रखकर। ऐसा न हो कि चौबे जी के छब्बे बनने के फेर में दूबे बनने वाली कहवात आप पर ही चरितार्थ हो जाय। उतार चढ़ाव बाजार का मूल चरित्र है। उससे पंगा मत लीजिए।
शेयर बाजार लम्बी अवधि के निवेशक को कभी निराश नहीं करता। जिसने अच्छी कंपनियों में पैसा लगाया और धैर्य से इंतजार किया वह पैसा बनाकर ही गया। अब सवाल है कि अगर आपके पास इतनी फुर्सत नहीं है कि अच्छी कंपनियों का चयन करने पर वक्त लगाएं या यह विषय आपको समझ में नहीं आता, तो आपके लिए निवेश का रास्ता म्युचुअल फंड से होकर गुजरता है। म्युचुअल फंड में विशेषज्ञ होते हैं जो आपके पैसे को उचित कंपनियों में सही समय पर लगाते हैं। इसके बदले वे एक मामूली सी फीस लेते हैं। ये विशेषज्ञ जिन्हें फंड मैनेजर कहा जाता है, आपको बाजार के बहुत से जोखिमों से बचा लेते हैं। ये उस कुशल नाविक की तरह होते हैं जो तूफान में भी किश्ती को किनारे पर ले आते हैं।
म्युचुअल फंड में पैसा मासिक किश्तों यानी एसआईपी (सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान) के जरिए ही लगाएं। इसके दो बड़े फायदे हैं। ऐसा करने से एकमुश्त पैसे की जरूरत नहीं होती। आप को अपनी बचत के मुताबिक निवेश की सुविधा होती है। दूसरे, बाजार के उतार चढ़ाव के जोखिम से यह आपको बचा लेता है। अब आपने म्युचुअल फंड के जरिए निवेश का इरादा बना लिया तो सवाल है कि किस तरह के फंड में पैसा लगाएं। नये निवेशकों को हाइब्रिड फंड्स में निवेश करना चाहिए। ऐसे फंड आपका पैसा शेयर बाजार के साथ ही डेट और बॉण्डों में भी निवेश करते हैं। डेट में निवेश से जोखिम कम होता है लेकिन कमाई भी कम होती है। यह केवल आपके निवेश को ही नहीं आपके रक्तचाप को भी संतुलित रखता है। क्योंकि गिरते बाजार में आपकी में तेजी से कमी नहीं आती लेकिन बढ़ते बाजार में पूंजी बहुत तेजी से बढ़ती भी नहीं।