एमपी एमएलए कोर्ट ने 25 हजार रु. जुर्माना लगाया, विधायिकी गई।

#pradepsinghप्रदीप सिंह।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर से विधायक आजम खान को रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में गुरुवार को तीन साल की सजा सुनाई है। उन पर तीन धाराओं में आरोप थे और तीनों में तीन तीन साल की सजा हुई है। ये तीनों सजाएं एक साथ शुरू होंगी इसलिए उनको तीन साल ही जेल में रहना होगा। अगर ऊपरी अदालत से उनको राहत नहीं मिलती है तो उत्तर प्रदेश में आजम खान पहले ऐसे नेता बन गए हैं जिनको हेट स्पीच यानी भड़काऊ भाषण देने के मामले में सजा हुई है।

इसके साथ ही अदालत ने उन पर पच्चीस हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है। मामला यह था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में आजम खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रामपुर के डीएम के खिलाफ आपत्तिजनक एवं अपमानजनक बातें कही थीं और उनके धर्म का नाम लेकर अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। अदालत ने इसको हेट स्पीच का हिस्सा माना और उसी के अनुसार उन्हें धारा 153 में यह सजा हुई है। इस तरह अब उनकी विधायकी चली जाएगी। वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं रह पाएंगे। संविधान में ऐसा प्रावधान है कि अगर किसी जनप्रतिनिधि को किसी भी मामले में तीन साल या इससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता चली जाएगी। यानी अगर वह सांसद है तो वह संसद सदस्य नहीं रह पाएगा और अगर वह विधायक है तो विधानसभा का सदस्य नहीं रह पाएगा।

लालू प्रसाद यादव का मामला

जैसा कि आप जानते हैं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के मामले में भी ऐसा ही हुआ था। उन्हें दो साल से अधिक की सजा हुई थी। चूंकि वह संसद सदस्य थे इसलिए उनकी संसद की सदस्यता चली गई और चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लग गया। रामपुर एमपी एमएलए कोर्ट का यह फैसला अगर ऊपरी अदालत से बदलता नहीं है तो समाजवादी पार्टी के लिए बहुत बड़ा राजनीतिक झटका है। आजम खान समाजवादी पार्टी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के सबसे कद्दावर मुस्लिम नेता हैं। क्योंकि वह समाजवादी पार्टी से जुड़े हुए हैं इसलिए समाजवादी पार्टी के लिए वह एक बहुत बड़े एसेट थे। खासकर मुस्लिम समाज में उनकी जो अपील है, आधार है उसका नुकसान समाजवादी पार्टी को होगा। तो चुनाव में हार के बाद समाजवादी पार्टी को और एक नया झटका लगा है। इतना जान लीजिए कि अगर आजम खान को ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिलती है तो वह अब सक्रिय राजनीति से बाहर हो जाएंगे। अगर एमपी एमएलए कोर्ट का यह फैसला बरकरार रहता है तो आजम खान का राजनीतिक सफर खत्म हो गया समझिए। अब से वह ना तो कोई चुनाव लड़ पाएंगे और ना ही चुनाव प्रचार कर पाएंगे।

बाकी नेताओं के लिए सबक

आजम खान को हेट स्पीच मामले में इस सजा से बाकी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को सबक लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट इस पर बहुत सख्त हो गया है। हाल ही में दिए एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारों को इंतजार नहीं करना चाहिए बल्कि हेट स्पीच का मामला सामने आते ही मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर देनी चाहिए। ऐसे में नेताओं के लिए अब धर्म के आधार पर, जाति के आधार पर, व्यक्तिगत टीका टिप्पणी या आक्षेप के आधार पर आरोप लगाना संभव नहीं रह जाएगा। अगर फिर भी ऐसा करेंगे तो उनका भी वही हश्र होगा जो आजम खान का हुआ है। जहां तक मुझे याद आ रहा है हेट स्पीच पर किसी नेता को इतनी बड़ी सजा अभी तक नहीं हुई है। आजम खान ऐसे पहले नेता हैं जिन्हें तीन साल की सजा हुई है। यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है। अब इंतज़ार इस बात का रहेगा कि इस मामले में आगे क्या होता है। ऊपर की अदालत क्या फैसला करती है उसी पर सब निर्भर करेगा।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और ‘आपका अखबार’ न्यूज पोर्टल एवं यूट्यूब चैनल के संपादक हैं)