मनमोहक खूबसूरती का दीदार करने दूरदराज से आते हैं पर्यटक।

आज हम आपको उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थल ज्योलीकोट के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि नैनीताल से 21 किलोमीटर और हल्द्वानी से 23 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। जबकि कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। दरअसल सड़क अच्छी है, लिहाजा आपको ज्योलीकोट पहुंचने में कोई परेशानी नहीं होगी। यही नहीं, स्वामी विवेकानंद का भी ज्योलीकोट से खास रिश्‍ता रहा है।यह नैनीताल जिले के अंतर्गत एक शानदार पर्यटन स्थल है, जहां की खूबसूरती और मनमोहक आबोहवा का आनंद लेने के लिए दूरदराज से पर्यटक आते हैं। प्रकृति प्रेमी से लेकर रोमांच का शौक रखने वाले वालों के लिए यह स्थल काफी ज्यादा मायने रखता है। इसके अलावा यह स्थल अपार आत्मिक और मानसिक शांति प्रदान करता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस स्थल की शांति से प्रभावित होकर स्वामी विवेकानंद ने यहां ध्यान किया था। वहीं, आपको यहां ठहरने के लिए कई कॉटेज, होम स्टे, होटल आदि मिल जाएंगे।

उत्तराखंड भ्रमण पर निकले बहुत से सैलानी विश्व प्रसिद्ध नैनीताल की सैर करना पसंद करते हैं, लेकिन ज्यादातक पर्यटक नैनी झील और उसके आसपास के स्थलों तक ही सीमित रह जाते हैं। नैनीताल में बहुत सी ऐसी भी खूबसूरत जगहें मौजूद हैं, जिन्हें अज्ञात श्रेणी में रखा जा सकता है। नैनीताल की हसीन वादियों के मध्य एक जन्नतनुमा हिल स्टेशन स्थित है, जो ज्योलीकोट के नाम से जाना जाता है।

स्थानीय और सक्रिय सैलानियों को छोड़ ज्यादातर सैलानी ज्योलीकोट से अनजान हैं। लगभग 1219 मीटर की ऊंचाई स्थित यह हिल स्टेशन, नैनी झील का गेटवे कहा जाता है।ज्योलीकोट की खूबसूरती पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यहां पर दिन के समय गर्मी और रात के समय ठंड रहती है। आसमान आमतौर पर साफ और रात तारों भरी होती है। बहुत पहले श्री अरबिंदो और स्वामी विवेकानंद भी यहां की यात्रा कर चुके हैं।

ज्योलीकोट आने का आदर्श समय बरसात का मौसम छोड़कर पूरा साल है। यहां का मौसम काफी अनुकूल बना रहता है। सर्दियों के दौरान यह स्थल काफी ज्यादा ठंडा रहता है। हालांकि एडवेंचर के शौकीन बहुत से पर्यटक इस दौरान भी उत्तराखंड की सैर करना पसंद करते हैं। सैलानी इस मौसम में भी ज्योलीकोट आना पसंद करते हैं। (एएमएपी)