तकनीक का हाथ पकड़कर तेजी से विकसित होती दुनिया के साथ पश्चिम बंगाल के नौनिहाल भी कदमताल कर सकें, इसके लिए पहल शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने उच्च माध्यमिक पाठ्यक्रम में दो नए विषयों को शामिल करने का निर्णय लिया है। इसमें एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी है।वेस्ट बंगाल काउंसिल ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन के अध्यक्ष चिरंजीवी भट्टाचार्य ने बताया कि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और डाटा विज्ञान के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय को अगले शैक्षणिक सत्र से उच्च माध्यमिक पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया जाएगा। वर्ष 2023 में माध्यमिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले और विज्ञान स्ट्रीम का चयन करने वाले छात्र अपने उच्चतर माध्यमिक पाठ्यक्रम में इन दोनों विषयों में से किसी एक को चुन सकेंगे। भट्टाचार्य के अनुसार, दोनों विषयों को शामिल करने के प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है। परिषद की आंतरिक विशेषज्ञ समिति के विशेषज्ञ इसके विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन कर रहे हैं।

इस बीच, राज्य के शिक्षा विभाग के सूत्रों ने कहा कि सभी संबंधित अधिकारी इन दोनों विषयों को उच्च माध्यमिक पाठ्यक्रम में शामिल करने के इच्छुक हैं क्योंकि दोनों विषय वर्तमान संदर्भ में बेहद प्रासंगिक हैं। खासकर उन छात्रों के लिए जो विज्ञान या इंजीनियरिंग में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं। दुनिया जिस तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ओर बढ़ रही है, उसे देखते हुए यह बेहद जरूरी हो गया है। बच्चे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पूरी तरह न केवल अवगत हों बल्कि उसमें वैश्विक स्तर पर नेतृत्व के लिए पारंगत भी बनें, इस लिहाज से पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा।

राज्य शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि विज्ञान की पढ़ाई करने वाले छात्रों के पास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा विज्ञान का विकल्प हो, यह बेहद जरूरी हो गया है। यही मानव जाति का भविष्य है इसीलिए इसे पाठ्यक्रम में शामिल करना नितांत आवश्यक है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि उच्च माध्यमिक पाठ्यक्रम में इन दोनों विषयों को शामिल करना एक बड़ी चुनौती भी है। क्योंकि राज्य के अधिकतर उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अद्यतन सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) प्रयोगशालाओं का निर्माण आवश्यक हो जाएगा।

राज्य के शिक्षा विभाग के सूत्रों ने कहा कि पहले से ही सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालयों में से अधिकांश में आईटी प्रयोगशालाएं हैं और उनका आवश्यक विकास संबंधित स्कूल अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। प्रयोगशालाओं की मदद से ही इन दोनों नए विषयों का पठन-पाठन प्रासंगिक हो सकेगा। इन दो नए विषयों को पढ़ाया जाएगा। अधिकारी ने कहा, जहां तक निजी स्कूलों का सवाल है, जो इन दोनों विषयों को पढ़ाने के इच्छुक हैं, वे अपने खर्च पर अपनी आईटी प्रयोगशालाओं का आवश्यक विकास करेंगे।

सिखाने का नया पैटर्न किया गया है विकसित

उन्होंने बताया कि कोई छात्र कैसे सीख पा रहा है, इस पर गहन अध्ययन के आधार पर उनके लिए मॉडल बनाकर सिखाने का नया पैटर्न विकसित किया गया है। वास्तव में यह एक क्रांति की तरह है, जिससे हर साल लाखों छात्र लाभान्वित होंगे। आज पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानवीय समझ की तरह ही काम कर रही है। मोबाइल इसका सबसे लोकप्रिय स्वरूप है जो हमारे रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कई मौकों पर डिजिटल इंडिया एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संदर्भ में चर्चा करते रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भविष्य की जरूरत बताया था। (एएमएपी)