जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं उद्धाटन।

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो अपने पश्चिमी समूह के मंदिरों के लिए तो जाना ही जाता है। ये मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल हैं। वहीं खजुराहो को एक अलग पहचान भी मिलने जा रही है। संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन ने खजुराहो में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को आदिवासी, जनजातीय संस्कृति, रहन-सहन, सभ्यता और कला से परिचित कराने के लिए आदिवासी बस्ती विकसित की है। जो कि बनकर लगभग तैयार है। इस जनजातीय संग्रालय का नाम आदिवर्त है।जिसके अंदर ये गांव विकसित किया जा रहा है। संग्रालय के क्यूरेटर अशोक मिश्र के मुताबिक इसका उद्घाटन दिसंबर के अंतिम हफ्ते या जनवरी 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या राष्ट्रपति द्वारा किया जा सकता है। इसे जनजातीयता से परिपूर्ण बनाने के लिए करीब 100 से अधिक कलाकार सजाने संवारने में लगे हुए हैं। यहां मध्यप्रदेश की 7 प्रमुख जनजातियों बैगा, सहरिया, भारिया, कोल, कोरकू, गौंड और भील साथ ही प्रदेश के 5 प्रमुख सांस्कृतिक जनपद बुंदेलखंड, बघेलखंड, निमाड़, मालवा और चम्बल हैं उनके आवासों और जीवन की जरूरतों को प्रदर्शित कर रहा है।

खजुराहो अंतरराष्ट्रीय कला केंद्र के रूप में विकसित करने फैसला

आपको बता दें ये आवास प्रतिकृति स्वरूप न होकर वैसे ही होंगे जैसे कि आम दिनों में उनका इस्तेमाल किया जाता है। इन आवासों का चयन बहुसंख्या के आधार पर किया गया है। जनजातीय संग्रहालय के क्यूरेटर अशोक मिश्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत वर्ष घोषित किया था कि खजुराहो अंतरराष्ट्रीय कला केंद्र के रूप में विकसित हो। इसी दृष्टि से यहां सांस्कृतिक गांव को निर्मित करने का फैसला लिया गया।

15 दिन जनजाति कलाकार यहां अपनी कला का कर पाएंगे प्रदर्शन

इस संग्रहालय में एक प्रदर्शनी दीर्घा भी रहेगी। प्रत्येक माह में 15 दिन जनजाति कलाकार यहां अपनी कला का प्रदर्शन कर पाएंगे। वे सीधे ग्राहक को अपने उत्पाद भी बेच पाएंग, प्रदेश में सात जनजातियों में पांच जनजाति नर्मदा नदी के किनारे बसती हैं। पानी से इनका गहरा नाता है। ऐसे में यहां दीवारों पर मां नर्मदा की जीवंत कथा पेंटिंग के माध्यम से उकेरी जाएगी, जब यह पूरा गांव बन जायेगा तो यहां आने वाले देशी विदेशी पयर्टको के लिये भी एक नई जगह आर्कषण का केन्द्र होगी। (एएमएपी)