बुरांश सहित कई प्रजाति के लगाए जायेंगे फूल।

उत्तराखंड में दुर्लभ जड़ी-बूटी की प्रजातियों को बचाने व पर्यावरण का महत्व बताने के लिए काम करने वाला वन विभाग का वन अनुसंधान केन्द्र, अब प्रदेश में रास्तों को सजाने का काम भी करेगा। इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों के प्रमुख रास्तों पर राज्य वृक्ष बुरांश सहित कई प्रजाति के फूलों के पौधे लगाए जाएंगे।इसकी शुरुआत के लिए प्रदेश में कैलास मानसरोवर और चारधाम यात्रा मार्ग समेत छह जिलों के उन रास्तों को चुना गया है, जहां पर्यटक और श्रद्धालु प्रमुख रूप से आवाजाही करते हैं। इस पहल का उद्देश्य लोगों को प्रकृति के करीब लाना है। राज्य के वनों में कई ऐसे स्थान हैं जहां बेल, झाड़ी, छोटे-छोटे पौधों में विभिन्न तरह के फूल खिलते हैं।

विशेष तरह के यह फूल सर्दी, गर्मी, बरसात हर मौसम में अलग-अलग खिलते हैं। बुरांश के पेड़ों पर भी फूल उगते हैं। प्रदेश में रास्तों को सुंदर बनाने में इनका इस्तेमाल किया जाएगा। पिथौरागढ़ में मानसरोवर रूट, उत्तरकाशी में चारधाम रूट, नैनीताल के मुक्तेश्वर व रूसी बाईपास, चमोली के जोशीमठ, देहरादून के चकराता और अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में रास्तों को इन फूलों और पेड़ों से आकर्षक बनाया जाएगा।

फूलों की पौध के बीच पेड़ भी उगाए जाएंगे ताकि रास्तों की शोभा बढ़े। इन प्रजातियों के पेड़ लगेंगे झाड़ी प्रजाति के फूलों के बीच-बीच में 4 तरह के पेड़ों को भी उगाया जाएगा। ये पेड़ पदम, हिमालय कोरल ट्री, गुलाबी व लाल बुरांश के होंगे।

इन प्रजातियों के फूल लगाए जाएंगे

रास्तों को सुंदर बनाने में झाड़ी प्रजाति के फ्योंली, पुष्कर मूल, शकीना, चाइनीज हेड, धौला आदि पुष्प लगाए जाएंगे। फूलों से जहां रास्ते की शोभा बढ़ेगी वहीं पक्षी, तितली, भौरे आदि की संख्या में भी इजाफा होगा। कीट पतंगों व पक्षियों से इलाके में जहां जैव विविधता मजबूत होगी वहीं लोगों की जानकारी बढ़ेगी।  (एएमएपी)