प्रमोद जोशी।
जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों के गुपकार गठबंधन ने जिला विकास परिषद के चुनावों में मिलकर उतरने की घोषणा करके राजनीतिक गतिविधियों में जान डाल दी है। देखना होगा कि ये राजनीतिक दल जनता के साथ किस हद तक जुड़ते हैं। साथ ही यह भी देखना होगा कि पाकिस्तान परस्त हुर्रियत कांफ्रेंस की भूमिका क्या होगी। चूंकि हुर्रियत चुनाव के बहिष्कार की घोषणा करती है, जिसके कारण मतदान कम होता है।
यदि कश्मीर की मुख्यधारा के राजनीतिक दलों का प्रभाव बढ़ेगा, तो कश्मीर में हालात सामान्य करने में आसानी होगी।
महत्वपूर्ण संदेश
कुछ समय पहले तक ये दल जम्मू-कश्मीर को पुराना स्टेटस बहाल न होने तक किसी भी राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल न होने की बात कह रहे थे। 7 नवंबर को उन्होंने एकजुट होने की घोषणा करके एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। कांग्रेस पार्टी शुरू में गुपकार गठबंधन की बैठकों में शामिल हुई थी, पर उसने इसमें शामिल होने की घोषणा नहीं की है। अलबत्ता पार्टी ने चुनाव में शामिल होने की घोषणा जरूर की है।
गुपकार गठबंधन में नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस, सीपीएम, सीपीआई, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और अवामी नेशनल कांफ्रेंस शामिल हैं। इस बैठक में नेशनल पैंथर्स पार्टी के भीम सिंह भी शामिल हुए थे, पर उनकी पार्टी की सहमति इस बात पर नहीं थी। पैंथर्स पार्टी ने भीम सिंह को निकाले जाने की घोषणा की है।
हर चुनाव मिलकर लड़ेगा अलाएंस
फारुक़ अब्दुल्ला के बठिंडी स्थित निवास में पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डिक्लरेशन की बैठक के दौरान इस संबंध में फैसला किया गया। अलायंस के प्रवक्ता सज्जाद गनी लोन ने कहा कि सिर्फ जिला परिषद ही नहीं, एलायंस जम्मू-कश्मीर में होने वाले प्रत्येक चुनाव को एकजुट होकर और गुपकार घोषणा के बैनर तले लड़ेगा।
सज्जाद लोन ने कहा कि हम जम्मू में पहली बार आए हैं। हमें यहां भी वही भावनाएं मिली हैं, जो कश्मीर घाटी में है। उन्होंने कहा कि हमने आज कई प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि उम्मीदवारों के चुनाव के लिए फारुक़ अब्दुल्ला को अधिकृत किया गया है। बैठक में पीपुल्स अलायंस के नेताओं का प्रयास अनुच्छेद 370 पर जम्मू से भी समर्थन जुटाने का था।
370 पर जोर
पीपुल्स अलायंस के नेता अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से अनुच्छेद 370, नए भूमि कानून सहित कई अन्य मुद्दों पर भी उनकी राय ले रहे थे। एलायंस के नेता इसके पहले करगिल में बैठक कर वहां पर कई संगठनों का समर्थन हासिल कर चुके हैं।
इन संगठनों में करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस भी शामिल है, जिसमें इस्लामिया स्कूल कारगिल, इमाम खुमैनी मेमोरियल ट्रस्ट, साहिब-ए-जमान ट्रस्ट करगिल, जमायत अहले सुन्नत और स्टूडेंट्स मूवमेंट करगिल शामिल है। अलायंस में शामिल नेता जम्मू-कश्मीर और लद्दाख तीनों जम्मू के लोगों का समर्थन हासिल कर केंद्र सरकार पर अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
गत शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में डीडीसी के अलावा सरपंच और पंच के रिक्त पदों पर चुनाव 1 दिसंबर से 24 दिसंबर तक आठ चरणों में होंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह आलेख उनके ब्लॉग ‘जिज्ञासा’ से लिया गया है)