“आप” के हाथ 2018 में लगी थी असफलता
2018 में हुए विधानसभा चुनावों में आप ने इन तीनों राज्यों में किस्मत आजमाई थी। लेकिन, वह तीनों राज्यों में असफल साबित हुई। उसने छत्तीसगढ़ में 90 में से 85 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन महज 0.9 फीसदी ही वोट मिल पाए। मध्य प्रदेश में 230 से 208 सीटों पर लड़कर महज 0.7 फीसदी मत मिले। जबकि राजस्थान में 199 में से 142 सीटों पर लड़कर उसे महज 0.4 फीसदी मत मिले। इससे कई गुना ज्यादा मत नोटा को मिले थे। लेकिन, यह बात पांच साल पुरानी है।
पांच वर्षों में काफी बदली है स्थितियां
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इन पांच वर्षों में स्थितियां काफी बदली हैं। आप ने दिल्ली में दोबारा जीत हासिल की। पंजाब में भी शानदार बहुमत से सरकार बनाई। पिछले साल गोवा और गुजरात में भी ठीकठाक प्रदर्शन किया। गुजरात में करीब 13 फीसदी मत लेकर 5 सीटें जीती। गोवा में 7 फीसदी मत लेकर दो सीटें जीती। इसी के आधार पर उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है। इसलिए आगामी विधानसभा चुनावों में उसकी सक्रियता को इन तीनों राज्यों में पूरी तरह से अनदेखा करना भी एक चूक होगी।
अधिकतर चुनावों में कांग्रेस के मतों को आप ने लगाई सेंध
अधिकतर चुनावों में यह देखा गया है कि आप ने कांग्रेस के मतों में ही सेंध लगाई है। गोवा और गुजरात में भी ऐसा ही हुआ है। हालांकि, यहां यह बात भी गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पिछले साल हुए चुनावों में भी आप ने खूब ताकत लगाई थी, लेकिन इन राज्यों में उसे जरा भी सफलता नहीं मिली है। एक तर्क यह भी है कि जिन राज्यों में कांग्रेस या अन्य क्षेत्रीय दल की स्थिति मजबूत है और वह सत्ता में आने की स्थिति में है, वहां आप को कोई खास लाभ नहीं मिलेगा। लेकिन, जहां भाजपा मजबूत है और कांग्रेस की स्थिति कमजोर है और कोई तीसरा विकल्प नहीं है, वहां आप कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब हो जाती है।(एएमएपी)



