आपका अख़बार ब्यूरो।
भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े कट्टर ईमानदार चेहरे अरविन्द केजरीवाल भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में तिहाड़ जेल में हैं। उनके और उनकी पार्टी के भविष्य को लेकर अटकलों का बाज़ार गर्म है। ऐसे में कभी आम आदमी पार्टी में रहे लोकप्रिय कवि डॉ. कुमार विश्वास का एक कुछ समय पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। यह वीडियो एक कार्यक्रम का है जिसमें एंकर अरविंद केजरीवाल को लेकर कुमार विश्वास से कुछ सवाल करते हैं उसके जवाब में कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल के बारे में कहते हैं कि ‘यह कितने दिन के हैं।’ दिलचस्प यह है की पूरे वीडियो में एंकर और कुमार विश्वास दोनों ने एक बार भी अरविन्द केजरीवाल का नाम नहीं लिया है।
केजरीवाल को लेकर कुमार विश्वास के तीखे चुभते बयानों के सन्दर्भ में एंकर सवाल पूछते हैं कि ‘आप निष्पक्ष हैं, किसी के साथ नहीं हैं… पर एक के खिलाफ जरूर हैं। और उसके खिलाफ आप बोलते रहते हैं। कभी बाइट देते हैं चुनाव के वक्त पर- कभी ट्वीट कर देते चुनाव के वक्त पर- यह खुंदक कब खत्म होगी?’
तब एंकर को केजरीवाल से अपनी पुरानी दोस्ती का प्रत्यक्ष रूप से हवाला देते हुए कुमार विश्वास प्रतिप्रश्न करते हैं- अच्छा यह बताइए कि आपका बेटा है। एक दिन आपको कॉलोनी में पीछे झुरमुट के नीचे गुप्ता जी का लड़का, भटनागर जी का लड़का और आपका लड़का- तीनों सुट्टी के दम मारते मिलें तो पहला झापड़ किसको मारोगे… आप बताओ?
एंकर बोल उठा- पहला झापड़ मारेंगे अपने वाले को। झापड़ मार के, उसकी गलती का एहसास करा के, माफ भी कर देंगे।
इस पर कुमार विश्वास कहते हैं- ‘अब अपने वाले ने कहा- इट्स माय लाइफ डैडी, तो क्या करेंगे?’ फिर खुद ही जवाब देते हैं, ‘पहले तो मैंने अंदर रह के थप्पड़ मारे कि यह क्या कर रहा है। थोड़े दिन बाद अपने वाला इरिटेट हो गया। बोला- इट्स माय लाइफ डैडी। तो मैंने भी ‘अमेरिकन डैडी’ की तरह एक दी। मैंने कहा- जा भाग यहां से। …तो बॉस, प्रॉब्लम यह नहीं है। प्रॉब्लम यह है कि जो बाकी लोग हैं (राजनीति में), मैं उनके खिलाफ भी बोलता हूं। पर बाकी लोग घोषित करके आए थे कि हम कमीने हैं। हम यह पॉलिटिक्स नाम का कमीनापन करने जा रहे हैं। लेकिन आपने क्या किया? आपने कहा कि नहीं नहीं… ये सब कमीने हैं… पर हम आश्रम खोल रहे हैं। तो आप बताइए गुस्सा किस पर आएगा।
फिर जैसे केजरीवाल का भविष्य वह पहले ही पढ़ चुके हों कुछ उसी अंदाज में टिप्पणी करते हैं, ‘और यह भी कुछ दिन का है यार। …ये कितने दिन के हैं। देश का बहुत नुकसान किया उसने। …बड़ी मुश्किल से जागी थी जमाने की निगाहों में उसी उम्मीद के मरने का मातम कर रहा हूं।’
आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को लेकर आम आदमी के सपने टूटने को इंगित करते हुए डॉ. विश्वास बताते हैं, ‘जैसे आईने पे हल्की सी दरार पड़ जाती है तो वो दिखती रहती है बार-बार। चेहरा बीच में आए तो दिखती रहती है। तो मेरे जो दुनिया बदलने के ख्वाब का आईना था उसमें एक बड़ी बेहूदी दरार पड़ी हुई है।’