विपक्ष को सरकार को घेरने का मिला मौका

अडानी मुद्दे ने विपक्ष को एकजुट होने का मौका दे दिया है। संसद में विपक्ष एक होकर सरकार को घेर रहा है। इस वजह से सरकार पर भी दबाव बढ़ा है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद संसद ठप है। हालांकि, इस घेराबंदी को चुनावी एकजुटता से जोड़कर भी देखा जा सकता है। कांग्रेस की अगुवाई में एक दर्जन से ज्यादा विपक्षी पार्टियां एकजुट हैं।सोमवार को राज्यसभा में विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में 14 दलों के नेता शामिल हुए। भारतीय राष्ट्र समिति (टीआरएस) और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी हिस्सा लिया। यह शायद पहला मौका है, जब किसी मुद्दे पर कांग्रेस को इतने दलों का समर्थन मिला है।

भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने तेलंगाना में एक बड़ी रैली की थी। इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, केरल के सीएम पिनाराई विजयन और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव शामिल हुए थे।

इस बीच, भारत जोड़ो यात्रा के श्रीनगर में होने वाले समापन समारोह में कांग्रेस ने भी विपक्षी दलों को आमंत्रित किया था। पर, उस दिन भारी बर्फबारी होने की वजह से कई विपक्षी नेता श्रीनगर नहीं पहुंच पाए। पर अडानी पर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने विपक्ष को एकजुट होकर सरकार को घेरने का बड़ा मौका दे दिया।

इस एकजुटता में कांग्रेस को भी उम्मीद दिख रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, यह सकारात्मक संकेत हैं। इस एकजुटता से साफ हो गया है कि किसी मुद्दे पर हम सभी आपसी वैचारिक मतभेद भुलाकर एक मंच पर आ सकते हैं। पार्टी इस एकजुटता को और मजबूत करने और दायरा बढ़ाने का प्रयास करेगी।

संसद के बजट सत्र के पहले दिन तृणमूल कांग्रेस विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली विपक्षी दलों की बैठक में शामिल हुई थी। पर इसके बाद टीएमसी ने विपक्ष से किनारा कर लिया। कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, मेघालय और त्रिपुरा चुनाव के वजह से टीएमसी कांग्रेस और लेफ्ट के साथ खड़ा नहीं दिखना चाहती है। (एएमएपी)