सूत्रों ने कहा कि इससे पहले बुधवार को डीके शिवकुमार को राहुल गांधी और खड़गे के साथ बैठक के दौरान बताया गया कि सिद्धारमैया सीएम बनेंगे। राहुल ने यह स्पष्ट कर दिया कि अधिकांश विधायकों के समर्थन से वही मुख्यमंत्री होंगे। साथ ही यह भी कहा पार्टी उनके विचारों का सम्मान करेगी। सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी ने डीके शिवकुमार से कहा कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा लिए गए फैसले का पालन करने और विरोध की किसी भी आवाज को दबाना होगा। यह समय की मांग है। कांग्रेस को ऐसा लगता है कि दलितों, पिछड़े वर्गों और मुसलमानों के बीच सिद्धारमैया की मजबूत अपील 2024 के लोकसभा चुनाव में काम आ सकती है।

शिवकुमार ने मुख्यमंत्री बनने के लिए कड़ा मोलभाव किया, लेकिन कांग्रेस ने इससे इनकार कर दिया। बाद में शिवकुमार भी मजबूर हो गए। शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने गुरुवार को जोर देकर कहा कि समझौते में ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला शामिल है। आखिरी बाधा डीके शिवकुमार की यह जिद थी कि वह अकेले सीएम रहेंगे। इससे पहले चर्चा थी कि कांग्रेस लिंगायत, दलित और मुस्लिम समुदाय के एक-दो नेताओं को भी डिप्टी सीएम बनाने पर विचार कर रही है।
डीके शिवकुमार भले ही डिप्टी बनाए जा रहे हों, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह सीएम बनने के लिए योग्य नहीं हैं। उनके खिलाफ लंबित सीबीआई, ईडी और आईटी के मामले इसमें रुकावट बने। वोक्कालिगा समुदाय का वोट कांग्रेस को दिलाने में उनका अहम योगदान रहा। इसके बावजूद उन्होंने अपने कट्टर विरोधी सिद्धारमैया का साथ देने पर हामी भरी। वहीं, सिद्धारमैया के अधिकार को कमजोर नहीं करने के लिए बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनाने की औपचारिक रूप से घोषणा नहीं की गई है। ऐसा कहा जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद इसकी समीक्षा की जाएगी।(एएमएपी)



