जाम्बिया और केन्या का बुरा हाल
रिपोर्ट में बताया गया कि चीन के कर्ज जाल से सबसे ज्यादा प्रभावितों में जाम्बिया शामिल है। चीन के साथ सबसे बड़े लेनदार के रूप में 2020 में उस पर 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर का डिफॉल्ट रहा। इसके चलते देश को ऋण राहत को सुरक्षित करने के लिए जी-20 ग्रुप तक पहुंचना पड़ा जो अभी भी बीजिंग की आपत्तियों के कारण रुका हुआ है। एक अन्य अफ्रीकी देश केन्या भी चीन से अत्यधिक उधार लेने के कारण आंतरिक अस्थिरता का सामना कर रहा है। केन्या के बढ़ते चीनी ऋण यहां गंभीर नतीजे पैदा कर रहे हैं। बीजिंग केन्या के लगभग एक तिहाई कर्ज के लिए जिम्मेदार है। ड्रैगन अब कई लोगों को याद दिला रहा है कि केन्याई सरकारों ने अधिक कीमत वाली परियोजनाओं के लिए बहुत सारा उधार लिया।
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श्रीलंका-पाकिस्तान को IMF से लोन का इंतजार
श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे दक्षिण एशियाई देश भी चीनी कर्ज के बोझ के कारण आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहे हैं। इसके चलते दोनों देशों को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से राहत पैकेज मिलने में भी दिक्कतें पेश आने लगी हैं। कोलंबो के लिए राहत की बात यह रही कि चीन ने उसके कर्ज पुनर्गठन को समर्थन देने का आश्वासन दिया, जिससे इसे आईएमएफ से 2.9 अरब डॉलर का राहत पैकेज मिलने का रास्ता साफ हो गया। इससे पहले के पत्र में चीन ने कर्ज भुगतान के लिए 2 वर्ष की मोहलत देने की बात कही थी जिसे आईएमएफ ने अपर्याप्त माना था। आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका को आईएमएफ से कर्ज दिलाने के प्रयासों का भारत ने भी जनवरी में मजबूती से समर्थन किया था।
श्रीलंका को मिले कुल कर्ज में 20% चीनी हिस्सेदारी
IMF ने पिछले वर्ष सितंबर में श्रीलंका को 2.9 अरब डॉलर का राहत पैकेज 4 वर्ष की अवधि के दौरान देने की मंजूरी दी थी, हालांकि यह कर्जदाताओं के साथ कर्ज के पुनर्गठन की श्रीलंका की क्षमता पर निर्भर करता। जून, 2022 के अंत तक श्रीलंका पर करीब 40 अरब डॉलर का द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और वाणिज्यिक कर्ज था। कुल कर्ज में से चीन से मिले कर्ज की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत और द्विपक्षीय कर्ज में 43 प्रतिशत है। नकदी संकट से जूझ रहा पाकिस्तान आईएमएफ से 1.1 अरब डॉलर की किस्त का इंतजार कर रहा है। मालूम हो कि चीन का कुल चार अरब डॉलर का एसएएफई जमा है। बाकी की राशि की परिपक्वता अवधि अगले कुछ महीनों की है।(एएमएपी)